Friday 29 November 2019

          प्रवक्ता की नियुक्ति

                       महानगर दिल्ली में मोटर गाड़ी से भरी सड़कें और कान सुन्न कर देने वाला घोर कोलाहल पैदल चलने वालों के लिए  मानसिक यन्त्रणा का कारण बन जाता है | पर दिल्ली में बड़े -बड़े पार्कों की सुविधा मेरे जैसे सेवा निवृत्त बुजुर्गों के लिये वरदान ही साबित होती है | शाहपुर जाट के पास हौज ख़ास में रहते हुये मैं कभी रोज गार्डेन ,कभी डियर पार्क , कभी पंचशील पार्क और कभी तिकोना पार्क निकल जाता था और मन भर घूम फिर लेता था | पर रोहतक शहर में पार्कों की ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है | दिल्ली रोड पर दो एक अच्छे पार्क अवश्य हैं पर बढ़ते हुये शहर के छोरों पर बसे मुहल्लों से वहां पहुँचना संभ्भव नहीं हो पाता | घूमने वालों के लिये सुबह , शाम का भ्रमण पूजा जैसा महत्व रखता है | जब तक कोई अनिवार्य बाध्यता न आ जाये घूमना उनके लिये शारीरिक और मानसिक दोनों सकून प्रदान करता है तो सुन्दरपुर की नयी रोड बन जानें की सुविधा ने शहर के पश्चिमी छोर पर रहने वाले घुमन्तुओं के लिये आनन्द का एक नया अवसर ला दिया है | मैं भी हाँथ में छड़ी उठाकर सांयकाल इस सड़क पर घूमने निकल जाता हूँ | कुछ एक मोटर वाहन जो सुन्दरपुर से टिटौली और खड़वारी की ओर जाते हैं इस सड़क पर से भी गुजरते हैं | पर अपेक्षाकृत यहां शान्ति रहती है | सुन्दरपुर के पास कई बगीचे हैं और वृक्षों से घिरा हुआ एक आर्यसमाजी गुरुकुल भी है | पानी के लिये एक सरकारी माइनर तो है ही साथ में जलकूपों की प्रचुर सुविधा भी उपलब्ध है | आश्रम के पास थोड़ी -बहुत देर बैठकर ऊँचे विचारों में डूबने की गहरायी का आनन्द लिया जा सकता है | उस दिन जब घूमकर वापस आ रहा था तो शहर की ओर से आते हुये एक युवक ने नमस्ते कर के कहा कि वह मुझसे कुछ पूछना चाहता है | गौर वर्ण का यह युवक एक शोभन व्यक्तित्व का धनी था | उसने साफ़ -सुथरे कपडे पहन रखे थे | मैनें सड़क के एक कोनें में एक वृक्ष की छाँह में खड़े होकर उससे अपनी बात कहने के लिए कहा | युवक बोला कि वह लगभग सवा महीनें पहले जाट कालेज में भौतकी के लेक्चरर पद के लिये इन्टरव्यूह पर बुलाया गया था | इंटरव्यूह देने के बाद उसे कालेज के प्राचार्य ने बधाई का फोन किया था और बताया था कि उसकी नियुक्ति हो गयी है | पर उसे अभीतक नियुक्ति का पत्र नहीं मिला है | वह जानना चाहता था कि प्रवक्ता के Appointment की प्रक्रिया में कौन -कौन सी औपचारिकतायें पूरी की जाती हैं | मैनें उससे सबसे पहले उसका नाम पूछा | उसने बताया कि उसका नाम शीशपाल है |
" इस इंटरव्यूह को देने के पहले कहीं काम करते रहे हो ?"
 " जी हाँ |"
" मैं वेरी में एक प्राइवेट 10 +2  स्कूल में फिजिक्स पढ़ा रहा हूँ |"
 " बेटे शीशपाल , M,Sc. में फर्स्ट क्लास था न ?"जी हाँ ,साथ में एम. फिल.भी कर रखा है जिसमें 75 % से ऊपर नम्बर आये |
इंटरव्यूह में कितने लोग आये थे ?शायद 10 के करीब रहे होंगें ज्यादा भी हो सकते हैं |
कितनी पोस्ट थी ?
जी दो पोस्ट थी |
तुम्हारा सेलेक्शन पहले नम्बर पर हुआ था या दूसरे नम्बर पर
"जी ,पहले नम्बर पर मेरे से सीनियर एक लेडी कंडीडेट का चयन हुआ है |वह  दिल्ली यूनिवर्सिटी से एम. फिल. करके आयी है | "
                          मैनें कहा कालेज की मैनेजिंग कमेटी के प्रधान से कोई बातचीत हुयी थी | उसने बताया कि उन्होंने भी मुझे मुबारकवाद का फोन किया था | मैनें कहा कि वैसे अब तक तुम्हें नियुक्ति पत्र मिल जाना चाहिये था पर हो सकता है कि डी. एच. ई. का Approval अभी न मिला हो | अखबार में मैनें कहीं पढ़ा था कि डी. एच. ई. का कहीं तबादला हो गया है और कोई दूसरा अधिकारी वहां चार्ज लेने के लिये पहुँच रहा है | इसीलिये मैनें शीशपाल को Suggest किया कि वो चंडीगढ़ जाकर Latest developmentकी जानकारी ले आये |
                          दो तीन दिन बाद जब मैं जीन्द रोड से होकर घर की ओर वापस आ रहा था तो सड़क के किनारे बनी हुयी दुकानों में से एक    सज्जन निकल कर आये और मुझे नमस्ते किया | मैनें देखा कि उनकी दुकान में बिजली का सामान भरा है और एक बड़ा सा साइन बोर्ड लगा है जिस पर लिखा है " अम्बर इलेक्ट्रिकल्स " इन सज्जन ने मुझे बताया कि वे शीशपाल के पिता हैं और अभी कुछ दिन पहले पुलिस डिपार्टमेन्ट से डी. एस. पी.के पद से रिटायर हुये हैं | मैनें अन्दाज लगाया कि वे 58 -60  के आस -पास होंगें | अच्छा खासा गोरा शरीर और मित्र भाव लिये हुए सहज चेहरा | उन्होंने मुझे दुकान के अन्दर पडी हुई  कुर्सियों पर चलकर बैठने का आग्रह किया | घूम तो मैं चुका ही था सोचा कुछ देर बैठ लूँ |
                       उन्होंने मुझे बताया कि उनका नाम चन्द्रपाल है और वे सी. आई.डी. डिपार्टमेन्ट में थे | उनके दो बेटे हैं बड़ा बेटा शिशुपाल दिल्ली में अध्यापक है वह एम.ए.,बी. एड. है उससे छोटा शीशपाल अभी कल ही जाट कालेज में प्रवक्ता के रूप में नियुक्त हुआ है |उससे छोटी बेटी एम.ए. करके इसी वर्ष बी.एड. के इम्तिहान में बैठी है | वे खडवाडी गाँव के हैं पर अब उन्होंने रिटायरमेन्ट के बाद जींद रोड और सुन्दरपुर रोड के जोड़ पर अपना निजी मकान बनवा लिया है | और यहीं रह रहे हैं|  गाँव में यदाकदा देखरेख के लिये चले जाते हैं | उन्होंने मुझे चाय लेने के लिये बहुत आग्रह किया पर चूंकि मैं घूमने और रात्रि के खानें के बीच में कुछ भी न लेने का आदी हूँ इसलिये मैनें उन्हें विनम्रता पूर्वक चाय लेने से इन्कार कर दिया |
             दो एक दिन के बाद जब मैं उसी मार्ग से फिर लौट रहा था तो बिजली की उस दुकान से एक नवयुवक ने बाहर निकलकर मुझे नमस्कार किया मैं जान गया कि यह शिशुपाल होगा जो रिटायर्ड डी. एस.पी.इन्द्रपाल का बड़ा बेटा है | उसने भी मुझे बैठने का आग्रह किया और मैनें पूछा कि वह दिल्ली से पढ़ाकर कब वापस आ जाता है | उसने बताया कि वह जिस सरकारी स्कूल में पढ़ाता है उसमें दो शिप्ट्स हैं वह सुबह की शिफ्ट में है और एक बजे उसे छुट्टी मिल जाती है | वह तीन और चार के बीच रोहतक आ जाता है और पिताजी को घर पर आराम करने के लिये भेजकर स्वयं दुकान पर बैठ जाता है | मैनें उससे पूछा कि  उसका उसका व्याह हुआ है या नहीं | उसने बताया कि वह शादीशुदा है और उसके एक बच्ची है | पत्नी ने पढ़ना छोड़ दिया था पर अब एम. ए. कर रही है | उसके पास पत्तों से ढके हुये मक्के के हरे भुट्टे रखे हुये थे | उसने कहा कि मैं कुछ भुट्टे अपने साथ लेता जाऊँ और पोलीथीन के एक बैग में भुट्टे डालकर देने लगा | मैनें कहा , "शिशुपाल बेटे , अब हम दोनों के दांत बहुत कमजोर हो गये हैं | वैसे भी हम उबली हुयी चीज इस्तेमाल करते हैं |  शिशुपाल बोला , " गुरूजी चाय तो चलेगी न |"मैनें कहा ," नहीं बेटे मैं शाम को खानें और घूमने के बीच कुछ भी नहीं लेता |"शिशुपाल ने कहा सर ,गाँव से कुछ मगाना हो तो बता देना मैं छुट्टी के दिन खडवाडी जाता रहता हूँ |
                                  मैं समझ गया कि इन्द्रपाल डी.एस.पी.गाँव के खाते -पीते किसानों में हैं | उनके पास अच्छी खासी जमीन होगी | उनका बेटा शीशपाल जाट कालेज में लेक्चरर लग ही गया है | हरियाणा में जाट जमींदारों के पास अच्छी खासी जमीन है और हरियाणा की यह स्वाभिमानी वीर कौम अपने परिश्रम और वीरता के लिये विश्व भर में जानी -मानी जाती है | कुछ दिन के बाद सुन्दरपुर रोड के पहले मोड़ पर ही इन्द्रपाल जी मुझे दिखायी पड़े | वह लपककर मेरे पास आये और उन्होंने मुझे बताया कि यहीं लगभग सौ गज की दूरी पर उन्होंने अपना मकान बनवाया है | अत्यन्त विनम्रता पूर्वक उन्होंने मुझसे घर पर चलने का आग्रह किया | एक रिटायर्ड डी.एस.पी. के आग्रह को स्वीकार न करना मुझे अच्छा नहीं लगा और मैं उनके साथ उनके घर पर चला गया घर  पर उस समय उनकी पत्नी और बेटी थी मैनें देखा कि उन्होंने लगभग तीन सौ वर्ग गज में एक अच्छा -खासा मकान बनवाया है जिसमें आगे कुछ कच्ची जमीन है | इस जमीन में कुछ मौसमी सब्जियां उगाई गयी थीं उन्होंने मुझसे कहा कि मैं एक फूल गोभी लेता जाऊँ | पर मैनें उन्हें बताया कि हम दोनों पात गोभी का इस्तेमाल करते हैं और फूल गोभी हमें सूट नहीं करती | इसी बीच मेरे बिना जानें चाय के दो प्याले एक तश्तरी में हमारी मेज पर आ गये | उन्होंने बताया कि यह उनकी बिटिया हिमानी है जो बी.एड.में पढ़ रही है और चाय तुलसी की पत्ती डालकर बनायी गयी है | मैं असमंजस में पड़ गया क्योंकि मेरे निजी चिकित्सक ने मुझे सख्त हिदायत दे रखी है कि शाम के घूमने और रात्रि के खाने के बीच में चाय नहीं लेनी है | मैनें यह बात डी.एस.पी. साहब को बतायी पर वे बोले ,"डा. बाक्टर तो यह सब कहते ही रहते हैं | आपको चाय लेनी ही होगी | घर पर आकर हमारी चाय भी न पियें तो हमें कैसा लगेगा | गाँव से तो आप कुछ मंगवाते ही नहीं | मैनें चाय लेने से विनम्रता पूर्वक इन्कार करते हुये अपनी छड़ी उठायी और वहां से उठनें के लिये प्रस्तुत हुआ | मैनें कहा , ' चौधरी साहब , कभी आप के गांव चलूँगा तो वहीं पर अपने खेतों से ताजी मक्के की छल्लियाँ तोड़कर गोसे की आग में भूंजकर खिलाना | और मैं उठकर खड़ा हो गया |
                                    उनका चेहरा तमतमा उठा और मैं आश्चर्य में पड़ गया कि उनके क्रोध का क्या कारण हो सकता है | वे खड़े हो गये और वे बोले मैं जानता हूँ आप हमारी कोई चीज क्यों खाते -पीते नहीं | जमीन की बात कहकर आप हमारी खिल्ली उड़ाते हैं | हम लोग खेतिहर मजदूर हैं | हम चमार जाति से हैं |
                                   मैं तुरन्त बैठ गया | चाय का प्याला हाँथ में उठाकर मुंह में लगाते हुये कहा , भाई इन्द्रपाल मेरा तो सारा जीवन ही मानव -समानता की विचारधारा को फैलाने में बीता है | आप डी. एस. पी. अवश्य रहे हैं पर आप मुझे समझ नहीं सके | मैनें जो कुछ कहा था वह सच था कहीं ऐसा तो नहीं कि आप स्वयं में ही कोई Complex Develop कर रहे हों | हीन भावना से मुक्त होने के लिये मैं आपसे प्रार्थना करता हूँ |
                                उनकी आँखें छलछला आयीं | शर्मशार होते हुये उन्होंने मेरे पैरों पर हाँथ रख दिये और बोले , "गुरुवर मुझे क्षमा करना ,मैनें आपको गलत समझा था | "

No comments:

Post a Comment