Thursday 10 May 2018

कूक कलकंठिनि की 

शोध सर्वज्ञ बननें का दंम्भ भरती हो
राग  का रहस्य बस कविता ने जाना है
क्यों और कैसे , अनुमान ,  अवधारणां
कार्य और कारण की अपनी परिपाटी है
(  पर ) तर्कातीत मीठी पीर
मीरा , अनुराधा , हीर
साक्षी है केवल बस कविता नें बांटी है |
कोशिका की कुंजी रसायन के पास है
अणु की अनन्तता कणाद -पुत्र गायेंगें
उल्का - पथ , गगन -गुहा खगोलज्ञ खोज रहे
भूमि गत छिपा माल खंडक खोज लायेंगें
( पर ) कूक कलकंठिनि की पीर जो जगाती है
पुलक -भरा कंम्पन जो , प्रिया द्रष्टि लाती है
उसका रहस्य क्या शोध खोज पायेगी ?
टुकुर टुकुर तकती बिचारी रह जायेगी
मानसून पवनें कब कैसे क्यों आती हैं
उपल -वृष्टि , तड़ित -सृष्टि , कैसे कर पाती हैं
मौसम -विद खोजेंगे ,
त्वरित -झरित , मन्द -श्रमित
दोलित संगीत पर रसमय फुहारों का
मुझको क्यों भाता है ?
युग , काल चीर , पंख -धारी समीर
हर श्यामल शाम
कौन सा संदेशा क्षितिज -पार से लाता है ?
दोलित अँगड़ाई ले
सुधि के द्वार श्यामा मुस्काती है
पैंग भर गाती है
कविता विहँसती है
शोध शरमाती  है | 

No comments:

Post a Comment