Saturday 10 February 2018

                      प्रौढ़ि की समाप्ति और वार्धक्य की शुरुआत के बीच एक अगोचर विभाजक रेखा प्रकृति की शाश्वत नियम तालिका में खींच दी गयी है | स्वस्थ रहनें के सारे प्रयासों की बावजूद ऋतु परिवर्तन की सनातन संगीत लहरी में उम्र के विभिन्न सोपानों पर कई उतार -चढ़ाव आते रहते हैं | ' माटी ' के प्रकाशन में विलम्ब होने का कारण भी सम्पादक के स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जा सकता है | मानव शरीर की संरचना इतनी अदभुत और जटिल है कि उसमें आ जानें वाले तनाव बिन्दुओं का कोई सुनिश्चित समाधान मिल ही नहीं पाता | पर अब ' माटी  ' प्रकाशन की नियमित प्रतिबद्धता के प्रति हमें पूरी तरह सचेत रहना होगा | सम्पादक मण्डल के कुछ आदरणीय बन्धुओं के प्यार भरे आग्रह के बल पर स्वास्थ्य संम्बन्धी समस्या खड़ी हो जानें पर सम्पादकीय भार को वहन करनें के लिये सहमत कर लिया गया है |   विश्वास है कि मासिक प्रकाशन का अनावृत क्रम अब अबाधि गति से चलता रहेगा पर दार्शनिक परिप्रेक्ष्य में कुछ भी तो अबाध नहीं चलता | हर विकासवादी नियम कहीं न कहीं , किसी न किसी स्तर पर ऋजु मार्ग से हटकर वक्रता की तिर्यक रेखायें खींचता दिखायी पड़ता है | विकासवाद के आदि श्रष्टा डार्बिन स्वयं ही Mutation क्यों होता है इसका कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दे पाये हैं | महर्षि अरविन्द नें विकास के इसी पक्ष को लेकर प्रकृति के अनवरत संगीत में किसी श्रष्टा की ध्वनि सुनी है और विश्वास  व्यक्त किया है प्रकृति मानव को महामानव बनानें की ओर चेष्टा रत है | कितनी सहत्राब्दियों के बाद यह चेष्टा सफलीभूत हो सकेगी इसकी झलक दिव्य नेत्र पानें वाले महापुरुष ही पा सकते हैं |
                                     शीत ऋतु समाप्ति की ओर बढ़ रही है ,बढ़ना ही चाहिये | एक की समाप्ति ही दूसरे को अवतरित करनें का सुअवसर प्रदान करती है | अंग्रेजी के शीर्षस्थ गीतकार शैली नें कहा ही है , " If winter comes can spring be far behind. " भारत के राजनैतिक पटल पर जो घट  रहा है उसे 'माटी ' के पाठक देखते , सुनते ही हैं | विश्व के राजनीतिक पटल पर भी द्रुतिगति से द्रश्य परिवर्तित होते रहते हैं पर इन सब परिवर्तनों से भी कहीं अधिक तीव्रता के साथ व्यक्ति की अन्तस चेतना पर भावों और विचारों की चल छवियाँ ज्योतित होती रहती हैं | भारतीय आर्ष परम्परा निर्विकार रूप से अन्तस चेतना को सांसारिकता से अलग हटाकर मानव जीवन जीनें का सन्देश देती है | सुखे दुखे समेकृत्वा , लाभा लाभो जया जयो | हम चाहते हैं कि प्रिन्ट मीडिया में छपी सनसनीखेज खबरों और पाशविक कामुक प्रसंगों से ' माटी  ' के पाठक अपनें को दूर रखनें का प्रयास करें | पढ़ कर विस्मृति कर देना भी एक प्रकार का मानसिक अनुशासन है | गृह सज्जा के लिये स्वच्छता की तलाश करने पर कूड़ा -कचरा तो इकठ्ठा हो ही जाता है | फेंक देनें योग्य उच्छिष्ट को घर से बाहर डाल देना ही उचित होता है | बाजारू खबरें मानसिक स्वास्थ्य के लिये उससे कहीं अधिक गहरा संकट उत्पन्न करती है जो संकट बाजारू खानें से स्वास्थ्य के लिये उत्पन्न होता है |
                              बसन्त के आगमन के साथ ही कलियों का प्रसूनों में परिवर्तन प्रारम्भ हो जायेगा | नव वर्ष के प्रारंम्भ के साथ ही बहुत से नवयुवक और नवयुवतियां 18 वर्ष पूरे कर मतदान की पात्रता पा जायेंगें | मानव शरीर की चेतना प्रणाली को गहन अध्ययन का विषय बनानें वाले मनीषी इस बात से सहमत हैं कि युवा अवस्था चालीस के आस -पास अपनें पूर्ण वेग से प्रभावित होती रहती है | उसके बाद उत्साह का उफान धीमी गति पकड़ लेता है | मार्गदर्शन के लिये प्रौढ़ि और वार्धक्य आदर्श के रूप में लिये जा सकते हैं | पर सक्रियता के लिये साहस और जुझारूपन के लिये तथा आमूल चूल परिवर्तन के लिये युवा शक्ति ही आदर्श बन सकती है | भारत की सभी राजनैतिक पार्टियां इस तथ्य को स्वीकार करती हैं और इसीलिये सभी के अपनें युवा -युवती संगठन हैं | अंग्रेजी का यूथ शब्द नर -नारी दोनों के लिये समान रूप से प्रयोग होता है | और हिन्दी में भी हमें युवा शक्ति का प्रयोग इसी व्यापक सन्दर्भ में करना चाहिये | झरनें वाले पात तो झरेंगें ही | अंकुरित होनें वाले कोपल दल नयी साज -सज्जा के साथ उनका स्थान लेंगें | हाँ डालियों की मेरु रेखा उन दोनों का ही संम्बल बनी रहेंगीं | ठीक इसी प्रकार मानव सभ्यता के हजारों हजार सालों  से पाये हुये संचित ज्ञान के बल पर कुछ श्रेष्ठ विचारधारायें सभ्यता का मेरुदण्ड बनकर उभरी हैं | इन विचारधाराओं को जीवित रखना होगा | पादप दल झरते -उभरते रहेंगें | कलियाँ विकसित और प्रफुल्लित होती रहेंगीं |

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