Tuesday 16 January 2018

(गतांक से आगे )

                                     लम्बी यात्रा के दौरान पिछले विश्राम स्थल मुड़कर देखनें पर स्पष्ट नजर नहीं आते | धुन्धलके से घिरी वस्तुयें और घटनायें रहस्यमयी लगनें लगती हैं  पर बीते कल का सत्य आज यदि सत्य न भी रहा हो तो भी अपनें युग की सीमाओं में उसकी सार्थकता से इन्कार नहीं किया जा सकता | धोबी घाट पर कही सुनीं बातें आज हमारे लिये बिल्कुल बेमानी हैं | पर सामाजिक नैतिकता निर्माण के प्रारम्भिक काल में उनका काफी कुछ महत्व रहा होगा तभी तो राम जैसे महापुरुष को क्षुद्र मुहों से निकली उपेक्षणींय कटुक्तियों नें विचलित कर दिया था | पर राम का नाम जिसके बिना भारत के सांस्कृतिक अस्तित्व की कल्पना भी नहीं की जा सकती न जानें कितनें अन्य नामों के साथ जुड़कर अपावन गर्त की गहराइयों में डूब चुका है ऐसे ही गन्दी नाली में बुदबुदाते कृमि कीटों सा थाह बिहार के सासाराम का सेकेण्ड लेफ्टीनेन्ट का सितारा लगाने वाला जी ० राम | पूरा नाम था गया राम गोंद पर अब हम उसे गुन्डू राम के  नाम से अभिहत करेंगें | कमाण्डेन्ट के दफ्तर में गुन्डू राम को हाजिर किया गया | अपराधी प्रकृति का एक और साक्ष्य उस समय मिला जब गुन्डू राम नें प्रथमतः यह माननें से इन्कार किया कि उसनें किसी लड़की की चोली पर हाँथ रखा था और उसे नोट दिखाये हैं | और जब ब्रिगेडियर साहब नें उससे कहा कि इस दफ्तर से बाहर जाते ही रास्ते घेर कर बैठे हुये मराठे उसे पकड़कर बोटी -बोटी काट डालेंगें तो वह घबरा गया | उसनें कहा कि उस लड़की से तो उसनें सिर्फ यह पूछा था कि वह किस गाँव की है और वह गाँव वहां से कितनी दूर है | जब बाहर बैठी लड़की और उसकी माँ  को उसके सामनें लानें की बात कही गयी तब गुन्डू राम मान गया कि चलते समय गल्ती से उसका हाँथ लड़की की छाती से लग गया था | पर उसनें नोट नहीं दिखाये थे | उसनें कुछ कदम आगे चलकर पैन्ट की जेब से नोट इसलिये निकाले थे कि उसे यकीन हो जाये कि कहीं पूना में उन्हें खो तो नहीं आया है | उसकी इन बातों से हमें स्पष्ट हो गया कि गुन्डू राम एक अत्यन्त घटिया स्तर का अध्यापक है | उसनें कहा कि वह एक इण्टर कालेज में भूगोल पढ़ाता है | वह किस जाति में जन्मा था हम यह बतानें की आवश्यकता नहीं समझते क्योंकि हमारा अनुभव हमें बताता है कि अपराधी प्रवृत्ति के लोग हर जाति , हर काल , और हर क्षेत्र में पाये जाते हैं | पर वह मनुष्य कहा जानें योग्य तो है ही नहीं इतना तो सुनिश्चित ही हो गया | ब्रिगेडियर देसाई नें जब उससे कहा कि वो उसे बाहर बैठे मराठों को सौंप देते हैं और उसे अकेडमी से बाहर निकाल देनें का आर्डर कर देते हैं तो गुन्डू राम के हाँथ पैर फूल गये | पहली बार वह गिड़गिड़ाता हुआ बोला कि उसे मराठों के हाँथ न सौंपा जाय कि वह अकेडमी द्वारा दी जाने वाली हर सजा को मंजूर करेगा , कि वह एक गन्दा इन्सान है और कमीशन के काबिल नहीं है | कि वह अपनें पाप का प्रायश्चित करेगा और अच्छा इन्सान बननें की कोशिश करेगा , कि वह शादी -शुदा है और उसके दो बच्चे हैं , कि उसकी बीबी ग्रेजुएट है और उसका ससुर दिल्ली नगर निगम में सफायी विभाग का कर्मंचारी है | वह कमाण्डेन्ट साहब के पैरों पर गिर पड़ा | और फूट -फूट कर रोने लगा | हम लोगों को ऐसा लगा कि शायद इसका हृदय परिवर्तन हो जाय | हमें रत्नाकर डाकू के बाल्मीक ऋषि बननें की बात याद आ गयी | ब्रिगेडियर देसाई भी भारत की प्राचीन पौराणिक कथाओं से परिचित थे और अन्तरमन से यह चाहते थे कि पापी को सुधरनें का एक मौक़ा मिलना चाहिये | कमाण्डेन्ट साहब ने मेरी ओर देखा | मैनें उनसे निवेदन किया कि जी. राम को कुछ देर के लिये दूसरे कमरे में ले जाया जाय हम लोग फिर आपस में विचार -विमर्श करके दण्ड का स्वरूप और परिमाण तय कर लेंगें | जी. राम ब्रिगेडियर साहब के पैरों से चिपटा रहा पर उनके हुक्म देनें पर वह उठ खड़ा हुआ और दो हवलदार उसे पकड़कर क्वार्टर गार्ड में ले गये जहां वह बन्द कर दिया गया | मैनें ब्रिगेडियर साहब से कहा , " सर ऐसा लगता है कि सारी कालिख के बीच अभी इसमें इन्सानियत का एक चेतन बिन्दु उपस्थित है | अब आप बताइये कि क्या किया जाये | दो बातें स्पष्ट हैं | पहली यह कि हमें इसे मराठों के सुपुर्द नहीं करना चाहिये | यह अपनी अकेडमी में प्रशिक्षण के लिये आया है | इसनें अपराध की गंम्भीरता को स्वीकार कर लिया है अब दण्ड देनें का नैतिक और कानूनी अधिकार हमारा ही  है मराठा दम्पति ने हमें आश्वस्त ही कर दिया है कि वह हमारे निर्णय को स्वीकार कर लेंगें | दूसरी बात यह है यदि यह  अकेडमी में बना रहता है तो यह गाँव से आनें वाले बैरों की नजर में रहेगा और मराठा आनर के नाम पर कोई भी घटना घट सकती है इसलिये इसे अकेडमी से वापस  लौटाना ही होगा |
                                      ब्रिगेडियर साहब कुछ सोच में पड़ गये उन्होंने कर्नल राम सिंह की राय जाननी चाही | कर्नल साहब नें कहा , " सर इसे डी. कमीशन कर दिया जाय और इसके कालेज को इसके अपराध की सूचना दे दी जाय तथा इसके परिवार को भी इसके अपराध से सूचित कर दिया जाय और इसे   अकेडमी से वापस भेज दिया जाये | ब्रिगेडियर साहब नें मेरी ओर देखा मैनें कहा सर, मैं एन ० सी ० सी ० आफीसरों के प्रतिनिधि के रूप में आपके बीच उपस्थित हूँ | कर्नल साहब जी कहना बिल्कुल ठीक है पर कालेज में रिपोर्ट करनें से इसकी नौकरी चली जायेगी और यह दर -दर भटकनें लगेगा | कहीं ऐसा न हो कि हम इसे घोर अपराधी बना दें और यह क़ानून व्यवस्था के लिये एक मुसीबत खड़ी कर दे | सर मुझे एक बार अकेले में जी. राम से मिलनें की इजाजत दीजिये फिर मैं उसकी गल्ती के लिये दिये जानें वाले दण्ड के सम्बन्ध में विश्वास के साथ निवेदन कर सकूंगा | ब्रिगेडियर देसाई नें कैप्टन हूडा को बुलाया मुझे क्वार्टर गार्ड में बन्द जी.  राम से मिलनें की इजाजत मिल गयी | मेरे लिये एक कुर्सी डाल दी गयी | जी. राम जमीन पर बैठ गया | मैनें कहा देखो भाई हम दोनों ही मूलतः अध्यापक हैं | एन. सी. सी. की आफ़ीसरी तो हमारे लिये अतिरिक्त सम्मान और थोड़ी -बहुत अतिरिक्त आय का साधन मात्र है | कर्नल राम सिंह जी चाह रहे हैं कि तुम्हें डी ० कमीशन्ड कर दिया जाये |तुम्हारे कालेज और तुम्हारे परिवार को तुम्हारे अपराध के  बारे में लिख दिया जाय और तुम्हें अकेडमी की जीप में सुरक्षित रूप से पूना ले जाकर गाड़ी में बिठा दिया जाय ताकि तुम बिहार पहुंच जावो | बोलो तुम्हें इस सम्बन्ध में कुछ कहना है | जी. राम नें मेरे पैरों पर माथा रख दिया और रोने लगा | मैनें कहा अरे भाई यह क्या करते हो ? मैं तो तुम्हारा अध्यापक भाई हूँ खुल कर बताओ कि क्या ऊपर कही हुयी बातें तुम्हें जीवन भर के लिये विकार तो नहीं देंगीं | जी. राम बोला , " सर अगर आपनें मेरे कालेज को लिख दिया तो मैं नौकरी से निकाल दिया जाऊँगा | Moral Turpitude का चार्ज मुझे कहीं का नहीं रखेगा , मैं सड़क पर आवारा कुत्ते की भांति भटकनें लगूंगा | इससे  तो मैं मर जाना बेहतर समझूंगा | हाँ परिवार को आप न भी लिखें तो भी मैं बता ही दूंगा | मुझे अपनी गल्ती की गंभ्भीरता  का अहसास है | मैनें लड़की की गरीबी का नाजायज फायदा उठाना चाहा | अपनी पत्नी की आँखों में मैं कीड़े से बढ़कर और क्या लगूंगा | हाँ आप मुझे डी. कमीशन करना चाहें तो करवा दें | मैं एन ० सी ० सी ० आफीसर के लायक नहीं रहा | मैनें कहा भाई जी. राम सजा का अन्तिम निर्णय ब्रिगेडियर देसाई करेंगें | मैं तो बीच की एक कड़ी मात्र हूँ | फिर भी मैं प्रयास करता हूँ कि तुम्हारा जीवन नष्ट न हो और तुम एक बेहतर इन्सान बन जाओ |  तुम्हारे बच्चे बड़े होकर तुम्हें घृणा से न देखें अब  मैं जा रहा हूँ और कुछ देर के बाद कमाण्डेन्ट साहब तुमको  बुलाकर दण्ड के संम्बन्ध में अन्तिम निर्णय सुनायेंगें | हो सकता है कि मराठा दम्पति भी उस समय बुला लिया जाय | फिर मैं बैरक में आया और मैनें अपनें दो अन्य वरिष्ठ साथी कैप्टन देवेन्द्र सिंह और  कैप्टन पुणताम्बर से काफी देर तक विचार -विमर्श किया | हम तीनों ने तय किया कि लेफ्टीनेन्ट जी. राम का अपराध क्षमा के योग्य नहीं है पर उसका दण्ड भी ऐसा हो जिससे उसका सम्पूर्ण जीवन नष्ट न हो जाये  | क्षमा यदि कोई कर सकता है तो मराठा दम्पति और उनकी पुत्री ही इसका अधिकार रखती है | हाँ यदि कर्नल राम सिंह नहीं मानते हैं तो डी. कमीशन की बात पर विचार किया जा सकता है | पर अच्छा यही होगा कि उसे इस कोर्स से वापस लौटा दिया जाये | ऐसा करने के लिये उसे लिये जानें वाले टेस्ट में फेल हो जानें की वजह बतायी जा सकती है | हम सौ से ऊपर एन.सी . सी. आफीसर यही चाहते हैं बाकी कमाण्डेन्ट साहब यदि और दण्ड देना चाहें तो हम उस पर सोच विचार कर सकते हैं | करीब एक घण्टे बाद मैनें अर्दली को इस निवेदन के साथ अन्दर कमाण्डेन्ट के पास भेजा कि मैं उनसे मिलना चाहता हूँ | बुलावा आ गया | अन्दर ब्रिगेडियर साहब और कर्नल साहब विचार - मशिवरा कर रहे थे | मैं समझता हूँ कि रामाबाई और फूलमती भी घर के भीतर ब्रिगेडियर साहब की पत्नी और लड़कियों के बीच बैठी हुयी थी | कमाण्डेन्ट साहब नें पूछा कि वह कुत्ते का बच्चा क्या चाहता है | मैनें कहा , " सर वह फिर से इन्सान बनना चाहता है | " वह चाहता है कि आप उसे एक नया जीवन जीनें की इजाजत दें | -साफ़ सुथरा अध्यापक का जीवन | उसकी प्रार्थना है कि आप उसके इस अपराध की सूचना उसके कालेज को न भेंजें | | उसनें वादा किया है कि वह अपनें इस अपराध को अपनी पत्नी से स्वयं ही बता देगा और उनसे क्षमा मांगेगा | हाँ वह एन.सी. सी. अफसर होनें के लायक नहीं है इसलिये यदि हम उसे डी ० कमीशन्ड करना चाहें तो तो उसे वह स्वीकार कर लेगा | साथ ही उसनें कहा है कि वह फुल परेड के सामनें मराठा दम्पति के पैरों पर गिरकर क्षमा की याचना कर सकता है | और उनकी बेटी से राखी बंधवा कर उसे जीवन भर पवित्र प्यार और गौरव दे सकता है | मैंनें अपनें दोनों वरिष्ठ साथियों से बातचीत कर ली है | सारे के सारे एन. सी.सी. आफीसर इस फैसले में हमारे साथ खड़े होंगें |
                           जी. राम को पूना स्टेशन से गाड़ी में बिठा दिया जाय और वह पटना पहुँच जायेगा | कमाण्डेन्ट साहब  हँसे और  उन्होंने कहा मेजर अवस्थी मैं तुम्हारी बातों से काफी कुछ सहमत हूँ | रामाबाई और उसकी बेटी यहीं पर है उस गधे के बच्चे को बुलाओ | वह उनसे मांफी मांगें | वह जैसा कहेगी  वैसा हम  कर देंगें | जी. राम को बुलाया गया | वह कांपते हुये अन्दर आया और देसाई साहब के पैरों पर गिर पड़ा | कमाण्डर साहब ने कहा , " अबे गधे के बच्चे मेरे पैरों पर मत पड़ अन्दर जा जहां रामाबाई और उसकी बेटी मेरी पत्नी और बच्चियों के साथ बैठी है  उनके पैरों पर गिर माफी मांग | वे माफ़ कर देंगीं तो हम भी माफ़ कर देंगें | ब्रिगेडियर साहब नें मुझे भी जी. राम  के साथ अन्दर जानें का आदेश दिया | जी. राम अन्दर जाते ही पहले ब्रिगेडियर साहब की पत्नी के पैरों पर लोट गया और फिर रामाबाई के पैरों पर सिर रखकर रोनें लगा | उसनें कहा माता जी मेरे सिर पर आप हजार बार जूते मारिये मैं गन्दी नाली के कीड़े से भी बद्तर हूँ | मैनें अपनी बहिन की इज्जत से खिलवाड़ किया | माँ मुझे माफ़ करो | रामाबाई गरीब अवश्य थी पर ओजस्वी मराठा जाति की चरित्रवान नारी थी उसनें कहा तुमनें मेरी बेटी को बहन कह कर पुकारा है जीवन भर अपनी पत्नी के अतिरिक्त सभी नारियों को माँ ,बहिन और बेटी के भाव से देखना | जा माँ भवानी तुझे माफ़ कर देंगीं | मैं ब्रिगेडियर साहब से कह दूंगीं के वे तेरा कोई नुकसान न करें | मैनें जी. राम की पीठ पर हाँथ रखकर उसे उठाया वह रोता -रोता बैठके में आकर ब्रिगेडियर साहब के पैरों के पास बैठ गया | कमाण्डेन्ट साहब नें कहा तू है तो गधे का बच्चा पर आज तूनें मराठा नारी के पैरों में सिर रखकर और उसे माँ कहकर एक कसम खायी है कि तू एक अच्छा इन्सान बनेगा | जा हम तुझे माफ़ करते हैं | मेजर अवस्थी का जीवन भर अहसान मानना जिनकी समझदारी से तेरा जीवन नष्ट होनें से बच गया | हम तुझे डी कमीशन भी नहीं करेंगें केवल कल सुबह जीप से पूना स्टेशन पहुंचाकर  बिहार के लिये गाड़ी में बिठा देंगें | तुम एक  अप्लीकेशन लिख कर छोड़ जाना कि तुझे एक बहुत जरूरी काम से प्रशिक्षण कोर्स छोड़कर घर जाना पड़ेगा | बाद में घर पहुंचकर तार भेज देना कि किसी ख़ास वजह से तुम यह कोर्स अटेण्ड नहीं कर पाओगे और तुम्हें अगले वर्षों में प्रशिक्षण के लिये भेजा जाय | ध्यान रहे यह सब उन एन. सी. सी. आफीसर्स की इज्जत के लिये किया जा रहा है जिनके नाम पर तुम्हारी यह गल्ती कलंक का न मिटनें वाला धब्बा लगा देती | Be a man still there is a chance.और यह कहकर उन्होंनें अर्दली को बुलाकर हुक्म दिया कि जी. राम को वापस बैरक में पहुंचा दिया जाय | कर्नल राम सिंह से उन्होनें कहा कि कल सुबह जवानों से सुरक्षित जीप में जी. राम को पूना  ले  जाकर बिहार वाली गाड़ी में बिठा दिया जाय | कर्नल राम सिंह यस सर कहकर बाहर चले गये | ब्रिगेडियर देसाई मुझे अपने छोटे भाई के रूप में लेते थे उन्होनें मुझसे कहा अवस्थी बैठे रहो | मिसेज देसाई और उनकी दो किशोर बेटियां सुप्रभा और सुकन्या रामाबाई और फूलमती के साथ बैठके में आ गयीं | रामाबाई ने कहा हुजूर हमें आपके फैसले से पूरा सन्तोष है|  हम मराठा नारियां किसी का जीवन बर्बाद करना नहीं चाहतीं | अपनें हमारे गौरव की पूरी रक्षा की है , आप जैसा न्याय और कहाँ मिल सकता था | मैनें ब्रिगेडियर साहब की ओर मुखातिब होकर कहा , " सर मुझे जानें की इजाजत दीजिये | "कमाण्डर साहब नें मेरी तरफ मिलानें के लिये  हाँथ बढ़ाते हुये कहा , "  Well done Awasthi !N.C.C.is proud of officers like you. "
( क्रमशः )

No comments:

Post a Comment