गतांक से आगे -
कम्पनी से संम्बन्धित कुछ मामलों पर मैनें उन विभाग अधिकारियों से बात की और फिर उन्हें विदा किया | मैनें चपरासी को कह दिया था कि ज्यों ही साहब लोग बाहर चले जांय लड़कियों को अन्दर भेज देना | मैं जान गया कि कामिनी नें कल शाम मुझे नीचे खड़ा देखकर कम्पनी का पता नोट कर लिया होगा और आज अपनें किसी फ्रैंड के साथ मुझसे मिलनें चली आयी है | हँसते हुये कामिनी नें अपनी फ्रैंड के साथ कमरे में प्रवेश किया | मैनें बगल में पड़े सोफे पर बैठनें का इशारा किया पर वह और उसकी सहेली मेरे सामनें पड़ी हुयी कुर्सियों पर बैठ गयीं | कामिनी बोली मास्टर जी आपनें बिना बताये दिल्ली छोड़ दी | वर्षों बीत गये वे अध्यापक भी जो आपके अत्यन्त नजदीक थे आपका पता नहीं जानते थे | पापा नें आपसे मिलनें की बड़ी कोशिश की पर जब अता -पता ही नहीं तो क्या करते | फिर अपनी फ्रैंड की ओर देखकर कहा यह शिवानी है | हम दोनों Anthropology में एम. ए. कर रहे हैं | इसका फर्स्ट क्लास तो है ही साथ ही क्लासिकल संगीत में गोल्ड मैडल भी मिला है | मैनें शिवानी की ओर बड़े भाई की वत्सल द्रश्य से देखा और कहा तुम दोनों को अभी बहुत आगे जाना है | फिर मैनें कहा , " कामिनी तुम्हारा चित्र अखबार में छपा था | तुमनें तो कमाल कर दिया | दिल्ली के बी. ए. परीक्षा की मैरिट लिस्ट में दूसरा स्थान पा लेना कितनी बड़ी बात है अपनें परिवार के साथ -साथ तुमनें मेरा सिर भी ऊंचा किया है | आप लोगों का टूर कहाँ जा रहा है | शिवानी बोली हमें दार्जलिंग जाना है दिन भर ठहर कर अगले दिन सन राइज देखेंगें | कहते हैं निकलते हुये सूरज में कंचन जंगा और उसके आस -पास की धवल प्रस्तर मीनारें तथा नीचे घाटी में फैला प्रकृति का अपार हरित वैभव अपनी छटा में इन्द्रलोक को भी मात कर देता है कहते हैं प्रकृति का ऐसा अदभुत द्रश्य संसार में कहीं नहीं है तभी तो अमरीका ,फ्रांस, इंग्लैण्ड और अन्य योरोपीय देशों के नव विवाहित दम्पति अपनें पर्यटन में दार्जलिंग की पहाड़ी उठानों पर खड़ा होकर सन राइज देखनें का प्रोग्राम अनिवार्य रूप से शामिल करते हैं | फिर वहां से काठमान्डू जाना है | पशुपति नाथ को तो माथा नवाना ही है | साथ ही बुद्ध धर्म के काल चक्र वाले पवित्र पूजा स्थलों पर भी अपनें आदर सुमन अर्पित करनें है | बड़ा मजा आयेगा , मास्टर जी आप भी चलें | डा. सलोनी शर्मा हमारी इन्चार्ज हैं | कामिनी नें उनसे आप की चर्चा की थी बोलीं आपके मास्टर साहब यदि चाहें तो हम उन्हें अपनें टूर में ले सकते हैं| मैनें हँसते हुये कहा अरे शिवानी तू तो अभी से लेक्चरर लग गयी | कितना प्रभावशाली लेक्चर दे लेती है फिर मैनें कामिनी की और देखकर कहा कामिनी तुम तो अब और भी अधिक आकर्षक व्यक्तित्व पा गयी हो | किसी अजनबी को तुम्हें देखकर फिर और कहीं आँखें हटानें का मन ही नहीं करता होगा | एक हल्की लाली कामिनी के कपोलों पर दौड़ गयी | उसनें कहा मास्टर जी आपनें मेरे पढ़ाते समय मेरे रूप की कभी तारीफ़ नहीं की | मुझे हर्ष है कि आज आपनें मुझसे एक मुक्त युवक के रूप में बात की है | मास्टरी का चोंगा पहनकर भारी भरकम बातें ही की जा सकती हैं | फिर उसनें मुस्करा कर पूछा कि मैनें एम. ए. न करके क्या कुछ आगे किया है | मैनें उसे बताया कि नौकरी के कारण मैं रेगुलर एम. बी. ए. तो नहीं कर सका हूँ पर पत्राचार के द्वारा मैनें एम. बी. ए. की डिग्री हासिल कर ली है | और वहां भी न जानें क्यों मुझे टाप पर ही रख दिया गया | हांलांकि मैं अपनें को इस योग्य नहीं समझता | प्रबन्धक के रूप में कम्पनी मेरे काम से बहुत खुश है | दक्षिण भारत में भी कम्पनी अपनें पैर पसारना चाहती है | चेन्नई को केन्द्र बनाया जा रहा है | सुननें में आया है कि मुझे वहां पूरे अधिकार देकर कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में भेजा जायेगा | और कामिनी तुमसे तो मैं पढ़ाते समय कहा ही करता था कि भविष्य की आशा और निराशायें तो मन का एक खेलमात्र ही होती हैं | सत्य तो वर्तमान ही है | तुम दोनों के साथ बैठकर जो सुखद अनुभूति मैं अनुभव कर रहा हूँ वह अभी चन्द लम्हों में स्मृति शेष रह जायेगी | कामिनी बोली मास्टर जी आपकी दार्शनिकता अभी तक नहीं गयी | पिता जी आपसे मिलनें को बहुत उत्सुक थे एक वादा करिये चेन्नई जानें से पहले आप पिताजी से आकर मिल लीजिये और आप वहां न जाना चाहें तो पिता जी को अपनें पास बुलाइयेगा | उन्हें आप से एक बहुत जरूरी बात करनी है | बोलिये बचन देते हैं या नहीं | मैनें कहा कामिनी तुम्हारी बात कौन टाल सकता है | कामिनी शिवानी के साथ उठ खड़ी हुयी फिर दोनों हाँथ जोड़कर कहा , " हम दोनों का प्रणाम स्वीकार करें गुरुदेव | " यह कहते हुये वे दोनों हंसकर दफ्तर के बाहर निकल गयीं | कामिनी का वह प्रणाम मेरी चेतना की अगम्य गहराइयों में आज तक न जानें कहाँ छुपा पड़ा है | आधी शताब्दी से ऊपर हो जानें के बाद भी उसके जुड़े हुये दोनों हाँथ ,उसकी सलज्ज मुखाकृति , उसकी नीची झुकी कमल जैसी आँखें ,बिजली की कौंध की भांति मेरे मन में चमक भरती रहती हैं | घटनाओं पर किसी का वश नहीं है | मनुष्यों के निर्णय घास -फूस की तरह घटनाओं की आकस्मिक तूफ़ान में उड़ जाते हैं | कामिनी मेरे जीवन में नहीं आ पायी पर उसकी जगह जो आया उसनें मुझे कभी इतना कुछ दिया है कि कामिनी अब मेरे लिये एक अमूर्त ,अविस्मरणीय , जीवन स्पन्दन के अतिरिक्त और कुछ नहीं रह पायी है | पर मैं तो अभी हूँ -काया के कटघरे में घिरा एक बन्दी प्राणतत्व ,पर वो अभी बन्दी है या आकाश गंगाओं की तारिकाओं में विहर रही है कौन जानें ?
हाँ उसके पिता मुझसे एक जरूरी बात करना चाहते थे | पर प्रियम्बदा के पिता कैप्टन जबर सिंह क्या मेरे प्रथम जन्मा पुत्र राकेश से कुछ जरूरी बात करना चाहेंगें | समाचार पत्र तो मुझे यही बताते हैं कि कि दिल्ली में लगे राजधानी क्षेत्र में न जानें कितनी आत्महत्यायें , कितनें आनर किलिंग्स और कितनें ग्राम्य निष्कासन जाति , गोत्र और पूजा पद्धतियों के विरोध को लेकर होते रहते हैं | रोमांस भी मानव विकास में एक अदभुत शक्ति बनकर निखरा है | प्राणों की बलि देकर अपनें प्रिय को पा लेनें का साहस एक ऐसे आनन्द की श्रष्टि करता है जिसकी तुलना में संसार के सारे सुख तुच्छ हो जाते हैं | अब प्रियम्बदा यदि शकुन्तला बनकर दुष्यन्त की आराधना करती है या मालविका बनकर कालिदास को आराध्य मानती है तो छोटी छोटी सीमाओं में वहां हमारे बचकानें वाद -विवाद उसमें बाधा क्यों डालें | पर मेरी सोच क्या समाज के बहुसंख्य परम्परा पीड़ित विवेकहीन समूहों से टक्कर ले सकेगी | क्या प्रियम्बदा में कामिनी की समझ और हिम्मत है ? क्या प्रियम्बदा सिनेमायी चकाचौंध की उपज तो नहीं है ? क्या प्रियम्बदा के आकर्षक रूप रंग में भारतीय नारी का चारित्रिक साहस ,त्याग , शील और विवेक अन्तर के किसी कोनें में संरक्षित है | इसका निर्णय मैं क्यों करूँ ? मेरा कर्तव्य तो इतना ही है कि मैं जिन आदर्शों की पैरवी करता रहा हूँ उन पर अविचलित रूप से खड़ा रहूँ | पर अकेले राकेश का ही झगड़ा ही तो नहीं है | सुननें में आया है कि उससे छोटा सन्दीप भी क्लासिकल म्यूजिक में नाम कमानें वाली किसी प्रमिला में घिरनें बंधने लगा है जो सिविल अस्पताल में कार्यरत लेडी डा. विनीता कत्याल की पुत्री है | कितनें मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी ? कृत संकल्पित होता हूँ व्यक्ति स्वतन्त्रता की प्रत्येक मुहिम में भाग लूंगा | कृत संकल्प होता हूँ पाखण्ड और मिथ्याभिमान की हर परत उघाड़ कर रख दूंगा | कृत संकल्प होता हूँ हृदय की पवित्रता और आचरण की शुद्धता ही मुझे अपनें खेमें में बाँध सकेगी | कृत संकल्प होता हूँ कि नये मानव मूल्यों के निर्माण के लिये मेरा जीवन , जीवन की हर सांस ,साँस का हर आरोह -अवरोह खाद बननें का काम करेगा |
पर चारवार कृत संकल्पित होकर भी क्या मैं इतना मानसिक अनुशासन अर्जित कर सका हूँ कि एक गहरी नींद ले लूँ | अरे गहरी नींद क्या अगर झपकियाँ आती हैं तो वे भी न जानें बीते बचपन के कितनें खण्ड चित्रों को मुदे नयनों के समक्ष प्रस्तुत करती है | इन दिनों न जानें क्यों अर्धचेतन में उठी लहरें अर्धशुशुप्त अवस्था में मुझे अपनें गाँव की गलियों की ओर ले जाती हैं | जहां की धूल नें मेरे बचपन का श्रृंगार किया था | देखें आज तंद्रालस में स्मृति का कौन सा छोर खुलता है ?
(क्रमशः )
कम्पनी से संम्बन्धित कुछ मामलों पर मैनें उन विभाग अधिकारियों से बात की और फिर उन्हें विदा किया | मैनें चपरासी को कह दिया था कि ज्यों ही साहब लोग बाहर चले जांय लड़कियों को अन्दर भेज देना | मैं जान गया कि कामिनी नें कल शाम मुझे नीचे खड़ा देखकर कम्पनी का पता नोट कर लिया होगा और आज अपनें किसी फ्रैंड के साथ मुझसे मिलनें चली आयी है | हँसते हुये कामिनी नें अपनी फ्रैंड के साथ कमरे में प्रवेश किया | मैनें बगल में पड़े सोफे पर बैठनें का इशारा किया पर वह और उसकी सहेली मेरे सामनें पड़ी हुयी कुर्सियों पर बैठ गयीं | कामिनी बोली मास्टर जी आपनें बिना बताये दिल्ली छोड़ दी | वर्षों बीत गये वे अध्यापक भी जो आपके अत्यन्त नजदीक थे आपका पता नहीं जानते थे | पापा नें आपसे मिलनें की बड़ी कोशिश की पर जब अता -पता ही नहीं तो क्या करते | फिर अपनी फ्रैंड की ओर देखकर कहा यह शिवानी है | हम दोनों Anthropology में एम. ए. कर रहे हैं | इसका फर्स्ट क्लास तो है ही साथ ही क्लासिकल संगीत में गोल्ड मैडल भी मिला है | मैनें शिवानी की ओर बड़े भाई की वत्सल द्रश्य से देखा और कहा तुम दोनों को अभी बहुत आगे जाना है | फिर मैनें कहा , " कामिनी तुम्हारा चित्र अखबार में छपा था | तुमनें तो कमाल कर दिया | दिल्ली के बी. ए. परीक्षा की मैरिट लिस्ट में दूसरा स्थान पा लेना कितनी बड़ी बात है अपनें परिवार के साथ -साथ तुमनें मेरा सिर भी ऊंचा किया है | आप लोगों का टूर कहाँ जा रहा है | शिवानी बोली हमें दार्जलिंग जाना है दिन भर ठहर कर अगले दिन सन राइज देखेंगें | कहते हैं निकलते हुये सूरज में कंचन जंगा और उसके आस -पास की धवल प्रस्तर मीनारें तथा नीचे घाटी में फैला प्रकृति का अपार हरित वैभव अपनी छटा में इन्द्रलोक को भी मात कर देता है कहते हैं प्रकृति का ऐसा अदभुत द्रश्य संसार में कहीं नहीं है तभी तो अमरीका ,फ्रांस, इंग्लैण्ड और अन्य योरोपीय देशों के नव विवाहित दम्पति अपनें पर्यटन में दार्जलिंग की पहाड़ी उठानों पर खड़ा होकर सन राइज देखनें का प्रोग्राम अनिवार्य रूप से शामिल करते हैं | फिर वहां से काठमान्डू जाना है | पशुपति नाथ को तो माथा नवाना ही है | साथ ही बुद्ध धर्म के काल चक्र वाले पवित्र पूजा स्थलों पर भी अपनें आदर सुमन अर्पित करनें है | बड़ा मजा आयेगा , मास्टर जी आप भी चलें | डा. सलोनी शर्मा हमारी इन्चार्ज हैं | कामिनी नें उनसे आप की चर्चा की थी बोलीं आपके मास्टर साहब यदि चाहें तो हम उन्हें अपनें टूर में ले सकते हैं| मैनें हँसते हुये कहा अरे शिवानी तू तो अभी से लेक्चरर लग गयी | कितना प्रभावशाली लेक्चर दे लेती है फिर मैनें कामिनी की और देखकर कहा कामिनी तुम तो अब और भी अधिक आकर्षक व्यक्तित्व पा गयी हो | किसी अजनबी को तुम्हें देखकर फिर और कहीं आँखें हटानें का मन ही नहीं करता होगा | एक हल्की लाली कामिनी के कपोलों पर दौड़ गयी | उसनें कहा मास्टर जी आपनें मेरे पढ़ाते समय मेरे रूप की कभी तारीफ़ नहीं की | मुझे हर्ष है कि आज आपनें मुझसे एक मुक्त युवक के रूप में बात की है | मास्टरी का चोंगा पहनकर भारी भरकम बातें ही की जा सकती हैं | फिर उसनें मुस्करा कर पूछा कि मैनें एम. ए. न करके क्या कुछ आगे किया है | मैनें उसे बताया कि नौकरी के कारण मैं रेगुलर एम. बी. ए. तो नहीं कर सका हूँ पर पत्राचार के द्वारा मैनें एम. बी. ए. की डिग्री हासिल कर ली है | और वहां भी न जानें क्यों मुझे टाप पर ही रख दिया गया | हांलांकि मैं अपनें को इस योग्य नहीं समझता | प्रबन्धक के रूप में कम्पनी मेरे काम से बहुत खुश है | दक्षिण भारत में भी कम्पनी अपनें पैर पसारना चाहती है | चेन्नई को केन्द्र बनाया जा रहा है | सुननें में आया है कि मुझे वहां पूरे अधिकार देकर कम्पनी के प्रतिनिधि के रूप में भेजा जायेगा | और कामिनी तुमसे तो मैं पढ़ाते समय कहा ही करता था कि भविष्य की आशा और निराशायें तो मन का एक खेलमात्र ही होती हैं | सत्य तो वर्तमान ही है | तुम दोनों के साथ बैठकर जो सुखद अनुभूति मैं अनुभव कर रहा हूँ वह अभी चन्द लम्हों में स्मृति शेष रह जायेगी | कामिनी बोली मास्टर जी आपकी दार्शनिकता अभी तक नहीं गयी | पिता जी आपसे मिलनें को बहुत उत्सुक थे एक वादा करिये चेन्नई जानें से पहले आप पिताजी से आकर मिल लीजिये और आप वहां न जाना चाहें तो पिता जी को अपनें पास बुलाइयेगा | उन्हें आप से एक बहुत जरूरी बात करनी है | बोलिये बचन देते हैं या नहीं | मैनें कहा कामिनी तुम्हारी बात कौन टाल सकता है | कामिनी शिवानी के साथ उठ खड़ी हुयी फिर दोनों हाँथ जोड़कर कहा , " हम दोनों का प्रणाम स्वीकार करें गुरुदेव | " यह कहते हुये वे दोनों हंसकर दफ्तर के बाहर निकल गयीं | कामिनी का वह प्रणाम मेरी चेतना की अगम्य गहराइयों में आज तक न जानें कहाँ छुपा पड़ा है | आधी शताब्दी से ऊपर हो जानें के बाद भी उसके जुड़े हुये दोनों हाँथ ,उसकी सलज्ज मुखाकृति , उसकी नीची झुकी कमल जैसी आँखें ,बिजली की कौंध की भांति मेरे मन में चमक भरती रहती हैं | घटनाओं पर किसी का वश नहीं है | मनुष्यों के निर्णय घास -फूस की तरह घटनाओं की आकस्मिक तूफ़ान में उड़ जाते हैं | कामिनी मेरे जीवन में नहीं आ पायी पर उसकी जगह जो आया उसनें मुझे कभी इतना कुछ दिया है कि कामिनी अब मेरे लिये एक अमूर्त ,अविस्मरणीय , जीवन स्पन्दन के अतिरिक्त और कुछ नहीं रह पायी है | पर मैं तो अभी हूँ -काया के कटघरे में घिरा एक बन्दी प्राणतत्व ,पर वो अभी बन्दी है या आकाश गंगाओं की तारिकाओं में विहर रही है कौन जानें ?
हाँ उसके पिता मुझसे एक जरूरी बात करना चाहते थे | पर प्रियम्बदा के पिता कैप्टन जबर सिंह क्या मेरे प्रथम जन्मा पुत्र राकेश से कुछ जरूरी बात करना चाहेंगें | समाचार पत्र तो मुझे यही बताते हैं कि कि दिल्ली में लगे राजधानी क्षेत्र में न जानें कितनी आत्महत्यायें , कितनें आनर किलिंग्स और कितनें ग्राम्य निष्कासन जाति , गोत्र और पूजा पद्धतियों के विरोध को लेकर होते रहते हैं | रोमांस भी मानव विकास में एक अदभुत शक्ति बनकर निखरा है | प्राणों की बलि देकर अपनें प्रिय को पा लेनें का साहस एक ऐसे आनन्द की श्रष्टि करता है जिसकी तुलना में संसार के सारे सुख तुच्छ हो जाते हैं | अब प्रियम्बदा यदि शकुन्तला बनकर दुष्यन्त की आराधना करती है या मालविका बनकर कालिदास को आराध्य मानती है तो छोटी छोटी सीमाओं में वहां हमारे बचकानें वाद -विवाद उसमें बाधा क्यों डालें | पर मेरी सोच क्या समाज के बहुसंख्य परम्परा पीड़ित विवेकहीन समूहों से टक्कर ले सकेगी | क्या प्रियम्बदा में कामिनी की समझ और हिम्मत है ? क्या प्रियम्बदा सिनेमायी चकाचौंध की उपज तो नहीं है ? क्या प्रियम्बदा के आकर्षक रूप रंग में भारतीय नारी का चारित्रिक साहस ,त्याग , शील और विवेक अन्तर के किसी कोनें में संरक्षित है | इसका निर्णय मैं क्यों करूँ ? मेरा कर्तव्य तो इतना ही है कि मैं जिन आदर्शों की पैरवी करता रहा हूँ उन पर अविचलित रूप से खड़ा रहूँ | पर अकेले राकेश का ही झगड़ा ही तो नहीं है | सुननें में आया है कि उससे छोटा सन्दीप भी क्लासिकल म्यूजिक में नाम कमानें वाली किसी प्रमिला में घिरनें बंधने लगा है जो सिविल अस्पताल में कार्यरत लेडी डा. विनीता कत्याल की पुत्री है | कितनें मोर्चों पर लड़ाई लड़नी पड़ेगी ? कृत संकल्पित होता हूँ व्यक्ति स्वतन्त्रता की प्रत्येक मुहिम में भाग लूंगा | कृत संकल्प होता हूँ पाखण्ड और मिथ्याभिमान की हर परत उघाड़ कर रख दूंगा | कृत संकल्प होता हूँ हृदय की पवित्रता और आचरण की शुद्धता ही मुझे अपनें खेमें में बाँध सकेगी | कृत संकल्प होता हूँ कि नये मानव मूल्यों के निर्माण के लिये मेरा जीवन , जीवन की हर सांस ,साँस का हर आरोह -अवरोह खाद बननें का काम करेगा |
पर चारवार कृत संकल्पित होकर भी क्या मैं इतना मानसिक अनुशासन अर्जित कर सका हूँ कि एक गहरी नींद ले लूँ | अरे गहरी नींद क्या अगर झपकियाँ आती हैं तो वे भी न जानें बीते बचपन के कितनें खण्ड चित्रों को मुदे नयनों के समक्ष प्रस्तुत करती है | इन दिनों न जानें क्यों अर्धचेतन में उठी लहरें अर्धशुशुप्त अवस्था में मुझे अपनें गाँव की गलियों की ओर ले जाती हैं | जहां की धूल नें मेरे बचपन का श्रृंगार किया था | देखें आज तंद्रालस में स्मृति का कौन सा छोर खुलता है ?
(क्रमशः )
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