Monday 13 November 2017

                                                         नया प्रबन्धन आयाम 

                                    दिल्ली जाना हुआ तो मन में आया कि गुड़गांव जाकर गुरुवर को प्रणाम कर आऊँ | दिल्ली विश्वविद्यालय के एक कालेज से सेवानिवृत्त हो जानें के बाद प्रोफ़ेसर राजशेखर जी गुङगांव  में बस गये हैं | बड़ी लड़की पति के साथ अमरीका में रह रही है ,उससे छोटा लड़का भी इन्जीनियर होकर कम्पनी की तरफ से सिंगापुर ट्रेनिंग के लिये गया हुआ है | राजशेखर जी और उनकी पत्नी गुङगांव के फ़्लैट में इन दिनों अकेले रह रहे हैं | अंग्रेजी भाषा के सबसे प्रिय अध्यापकों में होनें के कारण मैं उन्हें पितृ तुल्य आदर देता था , और वे भी मुझे बेटे जैसा स्नेह ही देते रहे हैं | दिल्ली में काम -काज में लगा रहा ,गुड़गांव में उनके फ़्लैट में पहुंचने में शाम हो गयी | सोचा था मिलकर दिल्ली लौट जाऊँगा और रात्रि शयन वहीं करूँगा | पर दूसरी मंजिल की फ़्लैट की बालकनी पर खड़े होनें के कारण उन्होंने ज्यों ही मुझे आते देखा तो कहा गाड़ी लॉक करके आना , उसमें कोई जरूरी सामान हो तो साथ लेकर आओ ,अब सुबह ही वापस जानें दूंगा | माता जी को जब तुम्हारे आने का फोन मिला था तब से वे बेचैन हैं कि आनें में इतनी देर कैसे हुयी | कह रहीं थीं कि अजय भी अब बहुधन्धी हो गया है | पैसा कमानें में लगा है | मैनें बताया कि वह अब समदर्शी नाम से कुछ लिखता -विखता है | मैटीरियल इकठ्ठा करता रहता है | कहता है हिन्दी में उच्च स्तरीय रचनाओं की कमी है | जो हिन्दुस्तानी अंग्रेजी में लिख रहे हैं ,उनमें एक ठसका है कि वे बड़े लेखक हैं | जो लिखते हैं उसमें पश्चिमी देशों का सांस्कृतिक कूड़ा -कचरा खरीदनें वाले भी बहुत हो गये हैं और लगभग सभी कबाड़ी पैसे वाले हो गये हैं , इसलिये उनका माल बिकता रहता है | हिन्दी का शब्दकार अभी भी अपनी रोजी -रोटी का जुगाड़ लेखन के अतिरिक्त अन्य साधनों से जुटा रहा है |
                                      मैं जब ऊपर फ़्लैट में हाँथ में अपना हल्का बैग लिये हुये पहुंचा तो पाया कि गुरु माता नें खानें का सामान मेज पर लगा दिया है और चाय की केतली गैस पर चढ़ चुकी है | एक दो बिस्कुट के साथ चाय लेने के बाद मैनें गुरु शेखर जी से वार्धक्य के दौर में बच्चों से अलग जीवन जीनें के अनुभवों के बारे में जानना चाहा | उन्होंने कहा समदर्शी सभी कुछ तो अखबारों में पढ़ते रहते होंगे | हम दोनों का अकेलापन कोई निराला तो है नहीं | अधिकतर बुद्धिजीवी अपना बुढ़ापा अब इसी प्रकार काटते हैं | अब यह संख्या निरन्तर बढ़ती ही जायेगी | क्योंकि बुद्धिजीवियों के पास जीविका के लिये कोई खेत -खलिहान ,आढ़त -गद्दी ,दुकान -गोदाम ,या फैक्ट्री -एजेन्सी तो होती नहीं ,उनके बच्चे देश -विदेश में जहां इज्जत की रोटी कमानें का मौक़ा पायेंगें ,चले जायेंगें | वहीं उनका परिवार होगा और वहीं उनका क्षेत्र होगा | आर्थिक रूप से समर्थ भारत में बुद्धिजीवियों का यही भविष्य हमें दिखायी पड़ता है |
                                अब मैं सीढ़ियों से ऊपर  चढ़कर  आया था तो मैनें देखा कि उस Enclave के निचले साझी ग्राउण्ड में तम्बू लगे थे | ग्राउण्ड लेबल पर काफी खुली जमीन थी और सम्भवतः वहीं फ़्लैट में रहनें वालों के आयोजन और उत्सव तथा शादी- व्याह की रस्में पूरी की जाती होंगीं | मैनें शेखर जी से जानना चाहा कि क्या नीचे कोई लग्नोत्सव है | तो उन्होंने बताया कि किसी फ़्लैट में एक बुजुर्गवार के घर पोते का जन्म हुआ है ,खुशी में जगराते का आयोजन किया गया है | सारी रात गीत ,भजन ,गजल होते रहेंगें | धम -धम मचा रहेगा | फिर हंस कर बोले आज रात तुझे इसलिये रोका है कि अगर धम -धम की वजह से मुझे नींद न आये तो सारी रात तुम्हें भी जगाकर गपशप करता रहूंगा | मैनें कहा माता जी तो जागरण में जाना ही चाहेंगी तो उन्होंने कहा यह बात माता जी से तुम स्वयं पूछ लो | उनकी अपनी सोच है | मैं उसमें दखल नहीं देता | जहां तक मेरा सम्बन्ध है मैं रतजगों को शोरगुल मचानें के एक धार्मिक आडम्बर के अतिरिक्त और कुछ नहीं मानता | दरअसल अर्थ उपार्जन के जो नये -नये तरीके ईजाद किये जा रहे हैं उन्हीं में से एक तरीका रतजगा में चीखनें चिल्लानें वाले गायकों और ठुमका और झुमका बजानें वाले वादकों का भी है | दो चार  बूढ़े व्यापारी मर्दों के अलावा वहां 90 प्रतिशत से अधिक स्त्रियां ही होती हैं | अभी तक रतजगा के गीत अधिकतर पुरुष की टोलियां ही गा  रही हैं | पर धीरे -धीरे संगीत प्रिय नारियां भी इस क्षेत्र में प्रवेश करती जा रही हैं | फिर बोले बेटे समदर्शी कल की दुनिया केवल चमक -दमक ,मनोरंजन और इन्द्रिय विलास की दुनिया होगी | सुन्दर कुशल तथा नृत्य और गायन में प्रवीण नारियां उसका प्रमुख भाग होंगीं | चलो छोड़ो इन बातों को | बताओ इनकम टैक्स बचाने के लिये कैसे इन्वेस्टमेन्ट किया जाय |
                                                                     मेरे पास जो कुछ छोटा -मोटा ज्ञान था उससे मैनें उन्हें परिचित कराया और बताया कि अब एक लाख से ऊपर २0 ,000 का अतिरिक्त इन्वेस्टमेन्ट इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड्स में कर सकते हैं | कहना न होगा कि वह स्वयं इन सब बातों से परिचित थे | सम्भवतः उन्होंने विषयान्तर करने के लिये ही बातचीत को एक मोड़ दिया था | गुरु माता के कमरे में प्रविष्ट होते ही बातचीत इन्वेस्टमेन्ट से हटकर गृहस्थी के आस -पास घूमनें लगी | उन्होंने मेरी पत्नी और बेटी की कुशल मंगल के विषय में प्रथम सूचना हासिल की फिर पूछा कि दिल्ली कैसे आना हुआ | मैनें बताया कि एक अगले प्रमोशन के चान्सेज टटोलनें के लिये दिल्ली के कुछ सूत्रों से सम्पर्क करना था फिर मैनें उनसे सिंगापुर में प्रशिक्षण ले रहे उनके बेटे के विषय में पूछा | उन्होनें बताया कि सर्वेश को अभी हिन्दुस्तान वापस आने में तीन चार महीनें लगेंगें | प्रशिक्षण के बाद कम्पनी उसे एक पायदान और ऊँचा उठा देगी | शादी की बातें चल रही हैं | मैनें एक लड़की देखी है | एम ० बी ० ए  ० है | तीस चालीस हजार ले रही है | पर तुम्हारे गुरू जी का कहना है कि सर्वेश की शादी की बात सर्वेश जानें | वह अपना चयन स्वयं करेगा | और क्या पता उसने पहले से ही कोई लड़की देख रखी हो | शादी सर्वेश को करनी है | मुझको तो करनी नहीं | मेरी तकदीर में तुम बदी  थीं सो आ गयीं | तुम्हारे आते ही मेरी तकदीर का दरवाजा बन्द हो गया | गुरु माता जी की बातें सुनकर मैं थोड़ा मुस्करानें लगा | मैं पहले से ही जानता था कि गुरू जी और गुरु  माता जी में कई बार मीठी -मीठी झड़पें होती रहती थीं और मैं इस सच्चायी से भी परिचित था कि उन्होंने एक दूसरे के साथ भरपूर आनन्द का जीवन जिया है | दरअसल अब 50 के आस -पास पहुंचने के कारण मैं स्वयं यह जान गया था कि बिना छोटी -मोटी मिठास भरी झड़प के अटूट प्यार अपनी चमक खोने लगता है | माता जी ने फिर कहा कि साढ़े आठ नौ बजे हम दोनों को भोजन करा वे रतजगा में चली जायेंगीं | मेरे आ जानें से वे और निश्चिन्त हो गयी थीं कि गुरू जी अकेले नहीं रहेंगें | और वे अपनें वे सिर पैर की बातें मुझे सुनाते रहेंगें | जाते -जाते गुरू जी नें एक ठिठौली की बोले तुम अकेले जा रही हो या और भी औरतें वहां जायेंगीं | गुरु माता ने कहा सभी जा रही हैं | गुरू जी ने कहा सभी कौन ज़रा नाम तो बताओ | गुरु पत्नी कुछ नाराज सी हो गयीं बोलीं सुनोगे नाम तो सुनों -विनोदनी ,सुरुधुनी ,रामी ,वामी ,श्यामी ,कामिनी ,रमणीं ,शारदा ,प्रमदा ,सुखदा ,वरदा ,कमला ,विमला ,शीतला ,निर्मला फिर सांस लेकर -मधू , निधू ,विधू ,तारणीं ,बीन तारणीं ,भवतारणीं ,सुरबाला ,गिरिवाला ,ब्रजबाला ,शैल बाला , गुरू जी घबड़ा गये हाँथ जोड़कर बोले हार मान ली | आज तुमनें मेरा अहंकार चूर -चूर कर दिया | मैं भ्रम में था कि मैं ही भाषा का पण्डित हूँ | तुमनें तो मुझे पूरी पटकी लगा दी | मैनें प्रशंसा भरी आँखों से गुरुमाता की ओर देखा | मैं जानता था कि हिन्दी के शब्द गठन और शब्द चयन में मुश्किल से ही कोई उनके मुकाबले खड़ा हो सकता था | हंसी भरी इस नोक -झोंक की समाप्ति के बाद भोजन और फिर रतजगे का कार्यक्रम | गुरुमाता भजन -कीर्तन सुननें चली गयीं और हम गुरु शिष्य एक ही कमरे में दो बिस्तरे लगाकर आराम करने की सोचने लगे पर धमाधम ,ठक -ठक ,झन -झन के बीच कई बार किसी भजन के मार्मिक शब्द  पर अधिकतर भड़ैती से भरे सिनेमायी आलाप निद्रा देवी को हमारे पास आनें ही नहीं दे रहे थे | बातचीत का सिलसिला  फिर शुरू करना पड़ा क्योंकि गुरू जी नें कुछ सुझाव देनें प्रारम्भ कर दिये |
बोले अजय -हम जब विद्यार्थी थे तब भले घर की लड़कियों को सेज पर आकर नाचना और गाना एक निन्दा की बात मानी जाती थी ,आज बिना नाचनें गानें के किसी लड़की की कदर और कीमत ही नहीं होती | युवक भी मुकाबले में जनानी अदाओं के एक्सपर्ट हो गये हैं | अब न तो उदयशंकर के नृत्य हैं न श्री कृष्ण राधा के पवित्र रास | भरत नाट्यम ,कत्थक ,कथकली ,मणिपुरम ,उडसी ,डुण्डवा ,भंगड़ा ,मंगड़ा ,सभी एक हो गए हैं | किसी में एक तरफ का कूल्हा मटकाया जाता है , किसी में दोनों तरफ का | किसी में पाँचों उँगलियों की मुद्रायें बनायी जाती हैं किसी में दो या तीन , पर सबसे अधिक तालियां तब बजती हैं जब नर्तकी और नर्तक कमर के झटके लगाते हैं | पहले ठाकुर जमींदारों की बारातों में तवाइफें नचायी जाती थीं | अब चित्रपटों की तारिकायें लाखों लाख में घण्टे आध घण्टे मुजरा कहो या पश्चिमी लटके -झटके वहां  पेश करती हैं | वर के साथ आलिंगन मुद्रा में फोटो खिंचवाती हैं | और उच्च वर्ग उन्हें घर में प्रदर्शन के लिये सहेज कर रखता है | कहते हैं हिन्दुस्तान की तरक्की दुनिया में बेजोड़ है | सारी जिन्दगी अंग्रेजी पढ़ाता रहा हूँ पर तरक्की का मतलब केवल सेक्स की अपील को सार्वभौमिक बनाना है यह कभी समझ में नहीं आया | समदर्शी क्या चायना में भी ऐसा हो रहा है ? कहते हैं चायना भी तरक्की के नये पैगाम भर रहा है | गुरू जी की बात का मैं कोई उचित उत्तर खोजने में असमर्थ था शायद वह उत्तर चाहते भी नहीं थे क्योंकि वे जानते थे कि मैं चीन होकर नहीं आया हूँ और मेरी थोड़ी बहुत जानकारी अखबारों से ही है | अखबारी जानकारी में वे स्वयं मुझसे कहीं आगे थे | हाँ इतना मैनें अवश्य कहा गुरू जी जहां तक मैं समझता हूँ चीन में भ्रष्टाचार बहुत कम है क्योंकि वहां भ्रष्टाचारी को फांसी पर लटका दिया जाता है और मैं समझता हूँ कि सेक्सुअल अपील को बेचकर पूंजी इकट्ठा करने की प्रवृत्ति को भी साम्यवादी व्यवस्था बढ़ावा नहीं देती | इसलिये शायद वहां इतना नंगापन न हो | पर गुरू जी इतना तो आप मानेंगें ही कि जहां गलत ढंग से पैसा आता है वहां गलत ढंग से जाना भी प्रारम्भ हो जाता है | भारत के कर्म सिद्धान्त की प्राचीन धारणां आज के बदले सन्दर्भों में नये तरीके से व्याख्यायित की जा सकती है |
                                      इस बीच नीचे से गानें -चिल्लानें की आवाजें ऊपर उठ -उठ कर और तेज होती गयीं | गुरू जी कुछ देर चुप रहे फिर बोले देखो समदर्शी बुरा न मानों तो एक बात कहूँ फिर बिना  मेरा उत्तर पाये बोले सुना  है तुम एक बहुत अच्छे  करियर कन्सल्टेन्ट मानें जाते हो मैं तुम्हें एक राय देता हूँ तुम्हारे सम्पर्क में जो भी सुन्दर ,सुशिक्षित और ललित कलाओं में रूचि लेनें वाली तरुणियां हों और यदि वो ऊँची नौकरियों की तलाश में हों तो उन्हें सुझाव देना कि वे नाच -गानें का करियर एडाप्ट करें | सिनेमा और टेलीविजन तक यदि नहीं भी पहुँच सकेगीं तो अब उनके लिये और भी अनेक अवसर उपलब्ध हैं | शादी -व्याह में अब सुन्दर मन को आवेग में भर देनें वाले नारी नृत्य की आवश्यकता होती है | घरेलू स्त्रियां अपना फूहर शरीर लेकर अच्छा प्रदर्शन नहीं करतीं | इसके लिये प्रशिक्षित तरुणियों की टोली बनायी जा सकती है | उस टोली की आमदनीं किसी भी नौकरी से अधिक हो सकती है |
                                      एकल नृत्य और गायन भी धार्मिक आयोजनों में चार चाँद जोड़ देता है | सुन्दर तरुणीं की नारी देंह नृत्य और गायन की कुशलता पाकर ऐसे धार्मिक आयोजन में एक दिन में जितना कमा लेंगीं उतना साल भर की नौकरी में नहीं मिलेगा | और तो और आज जो नीचे रतजगे में गाये जानें वाले बेसुरे अलाप सुन रहे हैं उन्हें यदि उच्च शिक्षित नारियां कुछ प्रशिक्षण लेकर अपने सुरीले स्वर में प्रस्तुत करें तो उससे शायद थोड़ा बहुत भावोत्कर्ष भी हो सके | और यदि गायन के साथ आकर्षित नारी देह कुछ भाव मुद्रायें भी नाटकीय ढंग से पेश करें या खड़ी होकर संचलित पद संचालन  करें तो इन रतजगों का आकर्षण कई गुना बढ़ जायेगा | हम पढ़े लिखे वृद्ध तो शायद तब  भी इस चक्र में न फंसें पर तुम्हारे जैसे प्रौढ़ तो निश्चय ही इस भंवर जाल में फंस जायेंगें | कुछ और बातें हुंयीं | रात ढलने  लगी ,गुरू जी ने एक शेर सुनाया | 
                                " नींद किसी नाजनीन से कम तो नहीं |
                                   ठहर -ठहर कर सहर तक आयेगी | "
               सुबह (सहर ) से कुछ पहले ही निद्रा रानी की कृपा हुयी ,जगा तब तक सूर्य की पहली किरणें निकल आयीं थीं | नीचे से , ' मैय्या तोरी आरतिया ' की आवाज आ रही थी | मन उत्फुल हुआ कि झमेला ख़त्म हुआ | प्रातः कालीन अनिवार्य क्रिया कलापों से निवृत्त होकर वापस जानें के लिये अनुमति मांगनीं चाही | जाते समय उन्होंने एक छोटे कागज़ के लिफ़ाफ़े में ऊपर से लाल कपड़ा लपेट कर डोरी से बांधकर मुझे जगराता का प्रसाद दिया | बोलीं मधू को मेरा आशीर्वाद देनां साथ में यह प्रसाद | तुम भी कुछ प्रसाद अवश्य ले लेना | इनकी तरह जिद्द मत करना ये तो सठिया गये हैं | गुरू जी हँसे बोले , 'सर्वेश की माँ सत्तर की तो तुम हो गयी हो | मैं तो पचहत्तर से ऊपर का हूँ | साठ तक तो तुम्हारे कब्जे में था | अब मुझे अपने विचारों के साथ बाकी जीवन तो जी लेने दो | मैनें दोनों के चरण छुये |  गुरू जी मुझे गाड़ी तक छोडनें आये | गुरुमाता बालकनी पर खड़े सप्रेम नेत्रों से मुझे देखती रहीं | ड्राइव करनें से पहले मैनें गुरू जी को एक बार फिर प्रणाम किया उन्होंने कहा समदर्शी मैनेजमेन्ट में जिस नये करियर की मैनें बात की है उसको जरूर शामिल कर लेना | विपुल अर्थ उपार्जन का यह एक नया प्रबन्धन आयाम है | 

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