आखिर वे इण्टर पास तो थे ही | कमरे का सामान उठाकर कमला के यहां ले आया गया | मकान मालिक भट्ट साहब को मिलकर और उनका पूरा हिसाब किताब करके मैं राम बाग़ की अपनी उस कालेज जीवन पद्धति से सम्पूर्णताः मुक्त हो गया | पिछले साठ वर्षों में मैं फिर कभी उस ओर जाने का अवसर नहीं निकाल पाया हूँ | माता जी ,राजा और मैं गाँव में आ गए और शायद कमला भी छुट्टी होने से साथ में आयीं | अब प्रश्न था कि राजा को कहाँ और किस तरह प्रशिक्षण हेतु भर्ती कराने का जुगाड़ किया जाये | उन दिनों भी आज की तरह सीमित संख्या में विद्यार्थियों का चयन होता था क्योंकि ट्रेनिंग के बाद नौकरी मिल जाना लगभग निश्चित सा था | जिला बोर्ड या नगर पालिका में दी जाने वाली प्रशिक्षण सुविधा उन्हें नहीं मिल सकती थी क्योंकि वे इन विभागों से सम्बन्धित नहीं थे और पुरुष अध्यापकों की कमी नहीं थी | दिमाग पर यह बोझा डालकर तथा माँ व बहन को यह बताकर कि मैं पटियाली छोड़कर सात जुलाई से गंजडुडवारा में पढ़ाना शुरू करूँगां | मैं पांच तारीख को पटियाली के लिए रवाना हुआ | वहां का कमरा मेरे ही नाम से था और उस 30 X30 के कमरे में मेरे दोनों साथी -त्रिवेदी व पाल -अभी रह रहे थे | उनकी अभी कोई अन्य व्यवस्था नहीं हुयी थी ,इसलिए उन्हें रहना ही था | दोपहर को जब मैं कमरे पर पहुंचा तो देखा कि कमरे के पीछे जो विशाल घर था ,उसके आँगन में काफी भीड़ इकठ्ठा है | पता चला कि देवा बाबा नहीं रहे और उनकी मृत्यु उसी प्रकार हुयी जैसा कि उन्होंने एक वर्ष पहले बता दिया था | देवा बाबा ने ही मुझे अपने उस बड़े कमरे में रहने का स्थान दिया था और वे मुझसे अत्यन्त निजीपन का व्यवहार करते थे | वे नब्बे बानवे वर्ष के थे और उनके सफ़ेद केश व लम्बी दाढ़ी उन्हें ऋषियों जैसा स्वरूप देती थी | वे अचरा पहनते थे और उन्होंने घर में ही रहकर संन्यास ले लिया था | कमरे में हम रहते थे और पीछे उनका बहुत बड़ा मकान था | जिसमें उनके दो पुत्रों का भरा पूरा परिवार रहता था | वे काफी बड़े जमींदार थे और अपनी जवानी में फ़ौज से सूबेदार बनकर आये थे | पत्नी मृत्यु के बाद उन्होंने पटियाली के ही एक महात्मा तपस्वी बाबा का शिष्यत्व स्वीकार कर लिया था | वर्ष के प्रारम्भ में मैं जब कालेज में गया था ,तो वे कई बार आकर हमलोगों के पास बैठ जाते थे | तभी मैनें सुना था कि उन्होंने सभी को बता दिया था कि वे अगले अषाढ़ की किसी विशिष्ट तिथि को किसी निश्चित समय पर अपना शरीर छोड़ देंगें | मुझे तिथि व समय का ध्यान नहीं है | हाँ इतना ध्यान है कि उन्होंने कहा था कि उन्हें पंजे के ऊपर एक काला साँप कटेगा और शिव का श्रृंगार यह साँप उनके लिए मृत्यु का सन्देशा लायेगा | हम अँग्रेजी पढ़े लिखे कालेज के नवयुवक प्रवक्ता उनकी बातों को एक सनक मानते थे और हँसकर टाल देते थे | कई माह बाद घर के बाहर जो एक घेरा पड़ा था ,उसमें मैनें एक काले सांप को देखा | देवा बाबा उसी घेरे में बनी टट्टी में तड़के अन्धेरे में शौच हेतु जाते थे | एकाध बार मैनें उनसे सांप दिखाई देने की बात कही ,पर उन्होंने हमेशा हँसकर कहा ये तो भगवान शंकर के गले का श्रृंगार है | यह तो एक अजीब संयोग ही कहा जायेगा कि मैं उसी दिन वहां पहुँच गया जिस दिन वे सुबह चार बजे शौच के लिये गये और और वहां बैठे हुए करकोटक ने उनके पैर में फन मार दिया | मुझे बताया गया कि उन्होंने स्पष्ट कह दिया था कि उनका उपचार न कराया जाये ,न इंजेक्शन दिया जाये और न ही चीर -फाड़ की जाये | उन्होंने अपने शव को गाँव के बाहर खेतों के पास पडी खाली बंजर जमीन में भूमिगत करने की बात कही थी | बोलते -बोलते थोड़ी देर बाद उनका शरीर नीला पड़ने लगा | पास के गाँव के एक झाड़ -फूंक वालों का पता चला तो उन्होंने आकर मन्त्र पढ़कर चावल मारे | लोगों ने देखा कि बाहरी घेरे के पास किसी बिल से एक कोबरा निकला और गेंडुली मारकर बैठ गया | वह अपना फन ऊपर उठाकर इधर -उधर हिलाने लग गया जैसे आने से इनकार कर रहा हो | दूर खड़े व्यक्ति आश्चर्य चकित रह गए | झाड़ फूक करने वाले ने कहा कि काल देवता इन्कार कर रहे हैं और दोबारा जीवन नहीं मिल सकता | देवा बाबा कैलाशवासी हो गए हैं और उनका अन्तिम संस्कार किया जाये | उन्होंने मन्त्र पढ़ना बन्द किया और क्षण मात्र में सर्पराज न जाने कहाँ व किस ओर विलीन हो गये | मेरा सौभाग्य ही था कि शव उठाने के समय मैं वहां पहुँच गया | मैनें हाँथ जोड़कर अपनी श्रद्धांजलि दी | पटियाली का वह स्थल जहां उन्हें दफनाया गया ,अब देवाश्रम नाम से प्रसिद्ध है और प्रतिवर्ष उनके देहावसान दिवस पर वहां श्रद्धालुओं का बहुत बड़ा जमघट लगता है | ईश्वर ने शायद मुझे देवा बाबा को अन्तिम नमस्कार करने के लिए उस समय पटियाली पहुँचाया था | मेरी वैज्ञानिक बुद्धि इस घटना के प्रति कई बार सशंक रही है और मैं इसके तर्कपूर्ण कारणों को खोजने में लगा रहा हूँ | पर संयोग का ऐसा अपूर्व विधान दैवी विश्वास के बल पर ही संभ्भव हो सकता है | ,अन्यथा पहले कहे हुए समय , तिथि व क्षण पर ऐसा कैसे सम्भव हो पाता | (क्रमशः )
No comments:
Post a Comment