Wednesday, 3 May 2017

युगोस्लाविया के टीटो ,मिश्र के नासिर ,और पण्डित जवाहर लाल नेहरू Non Aligned Movement के पुरोधा थे | UNO में नेहरू के परम विश्वासपात्र कृष्णा मेनन ने भारत का प्रतिनिधित्व किया था और स्वेज नहर पर मिश्र की आधिकारिक वैधता पर अत्यन्त प्रभावशाली भाषण दिया था | उनका छः घण्टे का धाराप्रवाह परिनिष्ठित अँग्रेजी में दिया गया उनका भाषण संसार के राजनीतिक गलियारों में तहलका मचा रहा था | कई विद्यार्थियों को भिन्न -भिन्न देशों के प्रतिनिधियों के रोल दिए गए | पटियाली के ग्राम्य वातावरण में बहुत कुछ श्रेष्ठ तो नहीं किया जा सका ,पर लड़कों को मंचीय अभिव्यक्ति देने के लिए मौक़ा देने का यह सार्थक प्रयास था | इसके लिए त्रिवेदी ,पाल ,अग्रवाल व चौबे जी ने मेहनत करके एक दर्जन बच्चे तैय्यार किये | एक गोल मेज के आस -पास ये बच्चे बैठे | गंजडुडवारा के प्राचार्य व प्रबन्धक विशिष्ट अतिथि के रूप   में बुलाये गए | पटियाली के प्रबन्धक व प्रधान तथा कस्बे के सभी सभ्रान्त नर -नारी आयोजन में उपस्थित थे | बीच - बीच में राष्ट्र भक्ति के कुछ हल्के -फुल्के गीत व उद्द्बोधक झाकियां थीं | समारोह का संचालन मेरे हाँथ में था और अन्त में मैनें अँग्रेजी में कृष्णा मेनन के द्वारा दी वक्तृता का सार प्रस्तुत किया | समापन अत्यन्त प्रभावशाली रहा | जब हम गंजडुडवारा के प्राचार्य व प्रधान उनकी पुरानी जीप तक छोडनें गए तो गाड़ी में बैठते -बैठते प्रधान जी ने मुझसे कहा कि अवस्थी अगले सत्र से हम तुम्हारा साथ चाहते हैं | इतना कहकर वे चले गए | बाद में वहां से प्राचार्य का एक पत्र मुझे मिला जिसमें उन्होंने अगले सत्र से मुझे बी ० ए ०  पढ़ाने के लिये नियमित नियुक्ति का प्रस्ताव रखा | इस बात का पता हमारे प्राचार्य सोने लाल जी को लग गया ,पर उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि मैं वहीं रहूँ क्योंकि वे भी बी ० ए ० की कक्षा लाने का प्रयास कर रहे हैं | मेरे मौन को उन्होंने स्वीकृत समझा | ,पर मैं गंजडुडवारा जाने का निश्चय कर चुका था | गर्मी की छुट्टियों में मैं गंजडुडवारा गया | प्रधान व प्राचार्य से मिला | उन्होंने मुझे नियुक्ति पत्र दिया और चाहा कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में मैं उनके कालेज में पहुँच जाऊँ | मैनें पटियाली में नौकरी छोड़ने का एक माह का नोटिस दे दिया और कानपुर कमला के यहां पहुँचा ताकि राजा की पढ़ाई -लिखाई व परीक्षा का हाल ले सकूं | कमला ने मुझे जो खबर दी उसने मुझे कुछ देर के लिए प्राण -हीन सा कर दिया | उन्होंने बताया कि राजा शीशामऊ पुलिस थाने में बन्द हैं और उनपर साईकिल चोरों के गिरोह का सरगना होने का चार्ज है | मेरा डिग्री कालेज के प्रवक्ता होने का अरमान चूर -चूर हो गया | माँ को अभी तक इस की खबर न थी | मैनें सोचा कि अब क्या किया जाये | मैं अपने जीवन में अभी तक किसी पुलिस स्टेशन नहीं गया था | एक बार मन में आया कि जो जैसा करे ,वैसा भरे | पर फिर रक्त का सम्बन्ध मन पर प्रभाव डालने लगा और मैनें तय किया कि मैं थाने में जाकर इन्चार्ज से बात करूँ | अब इन्स्पेक्टर तिवारी से बात -चीत करने का मेरा अनुभव बुरा नहीं कहा जा सकता | वे एस ० डी ० कालेज के ग्रेजुएट थे और जब उन्होंने जाना कि मैं अँग्रेजी का प्रवक्ता हूँ तो उन्होंने मेरे लिये कुर्सी मगवायी और बताया कि उदय नारायण को क्यों और कैसे गिरफ्तारी में लिया गया | कर्नल गंज में साईकिल चोरों का एक गिरोह पकड़ा गया था | उनसे पूछ तांछ करने पर एक लम्बे कद के बी ० ए ० में पढनें वाले विद्यार्थी का नाम उभर कर आया | जिसे राजा कहा जाता था | उससे पूछ ताछ करने के लिए रामबाग के कमरे पर दो सिपाही भेजे गए जिनके साथ उसने हाथापाई की | फिर अधिक फ़ोर्स भेजना पड़ा और उसकी गिरफ्तारी की गयी | मजिस्ट्रेट के सामने पेश करके वो तीन दिन की रिमाण्ड पर हमारे पास था और हम उसे कल सुबह कानपुर जेल भेज देंगें | यदि आप हफ्ते भर पहले आये होते तो शायद कुछ रास्ता निकल आता ,पर अब जमानत पर ही आप उसे छुड़ा सकते हैं |  उन्होंने कहा कि आप अत्यन्त योग्य व्यक्ति हैं और ऐसे पेशे में हैं जहां ज्ञान का आदान -प्रदान होता है | मेरी वर्दी मुझे अधिकतर अपराधियों का साथ ही देती है और मैं आपसे कहना चाहता हूँ कि योर ब्रदर इज ए वैरी हार्डन्ड क्रिमनल | वह अच्छे परिवार से है और ब्राम्हण है | अतः मैं चाहूँगा कि उसका जीवन नष्ट न हो | मैं उसके खिलाफ जो चार्ज शीट लगाऊँगा उससे आप का भाई मुकदमें में छूट जायेगा ,पर आप उसपर निरन्तर निगरानी रखियेगा | मैनें उन्हें बताया कि मेरे पिताजी नहीं हैं और माँ को गाँव से बुलवाया है | उन्होंने कहा कि गिरफ्तारी किसी झूठे केस में नहीं हुयी है ,आप स्वयं देख लीजिये | इतना कहकर उन्होंने राजा को मेरे सामने लाने को कहा | वे जब आये तो तीन चार सिपाही उन्हें घेरे थे | वे लड़खड़ा कर चल रहे थे और मैं जानता था कि उन्हें शारीरिक यन्त्रणा दी गयी होगी | इन्स्पेक्टर ने मेरे सामने पूछा कि तुमनें साइकिलें उठवाई या नहीं तो राजा ने स्वीकृति में सिर हिलाया  फिर तिवारी ने कहा कि तुमनें बशीर साईकिल रिपेयरिंग वर्कशाप कर्नलगंज में साइकिलें बिचवाई या नहीं | उन्होंने फिर सिर हिलाया | तिवारी ने कहा कि मुंह से बोल | राजा ने हाँ कहा और रोने लगे | तिवारी ने कहा कि तुम्हारी इतनी हिम्मत कि तुमनें सिपाहियों पर हाथ उठाया | तू परिवार व ब्राम्हण जाति के नाम पर कलंक है | मैनें मुँह दूसरी ओर फेर लिया | मन में एक गहरी हूक उठी -हे प्रभु ,यह दिन देखना भी बदा था | उदय नारायण को फिर अन्दर ले जाया गया | तिवारी ने कहा कि कल सुबह आप जमानत के लिए कागज़ पेश करवा देना ,जमानत मिल जाएगी | फिर उन्होंने चाय पीने की बात कही | मैनें उठकर नमस्कार करते हुए कहा कि वे मेरे बड़े भाई हैं और मैं उनका सदैव आभारी रहूँगा | आजादी के प्रथम वर्षों में सम्भवतः पुलिस के अफसर  इतने भ्रष्ट और मूल्यहीन नहीं हुए थे ,जितना कि आजकल सुनने में आता है | जो हो सब इन्स्पेक्टर तिवारी का वह मानवीय व्यवहार एक सुखद स्मृति के रूप में मुझे आज भी याद है | हांथ मिलाकर मैं चला आया | माता जी शाम को खेतों के लगान पत्र लेकर आ गयीं क्योंकि उन्ही के बल पर जमानत मिलनी थी | फिर वे मन्नी लाल वकील के घर गयीं जिनके छोटे लड़के की मित्रता में राजा ने दादागीरी का पाठ पढ़ा था | अगले दिन ही उनकी जमानत मंजूर हो गयी ,पर उस दिन वे छूट नहीं सके | उससे अगले दिन करीब ग्यारह बजे छूट कर वे कमला के यहां आये | दो तीन माह बाद की तारीख लगी थी ,पर जैसा कि तिवारी ने कहा था कि व्यक्तिगत रूप में चोरी में शामिल होने की पुष्टि उनके सम्बन्ध में नहीं हो सकी थी | ,इसलिए निश्चित था कि कुछ तारीखों के बाद वे बरी कर दिए जायेंगें | तिवारी ने अपना वादा निभाया था और पुलिस ने उनके Conviction के लिए विशेष दबाव कोर्ट में नहीं डाला था | दो एक दिन हम कमला के यहां रुके | मैनें तय किया कि रामबाग वाला कमरा छोड़ दिया जाये | उदय नारायण को किसी ट्रेनिंग स्कूल में अध्यापक प्रशिक्षण का कोर्स कराया जाये | (क्रमशः )

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