जैसा कि मैं पहले कह चुका हूँ कि जब कभी वे गाँव में रुकते तो अकेले रहते क्योंकि माता जी बैरी में रहती थीं और कोई न कोई चरित्रहीनता की कहानी उनके आस -पास जन्म लेती रहती थी | जब मनुष्य विवश हो जाता है तब समय के सहारे ही भविष्य की घटनाओं का मोड़ उसे छोड़ना पड़ता है | मन में वितृष्णा का एक भाव लिए हुए मैं कालेज में आकर कार्य में संलग्न हो गया | पूर्वी पंजाब की राजनीतिक परिस्थिति उस समय आन्दोलनकारी मार्ग से बढ़ रही थी | हरियाणा का जाट बहुल भाग हरियाणा प्रदेश की माँग कर रहा था और पश्चिमी पंजाब का सिख बहुल भागपंजाबी सूबे की | स्वर्ण मन्दिर में अनशन चल रहे थे और हरियाणा में चौधरी देवी लाल मुहिम की अगुवाई पर थे | हिमांचल प्रदेश का हिन्दी भाषा भाषी भाग अपने अलग अस्तित्व की तलाश में था | हम जानते थे कि कुछ ही वर्ष बाद पंजाब का विभाजन एक निश्चितता बन जायेगी और हमें जाट बहुल हरियाणा का भाग बनकर रहना होगा | उन दिनों पाठ्यक्रम 10 +2 +3 का न होकर 10 +2 +2 का था | हाई स्कूल पास करने के बाद विद्यार्थी कालेज में आता था ,न कि इण्टर कालेज में | उस समय तक हायर सेकण्ड्री कक्षा की व्यवस्था नहीं हुयी थी | बी ० काम ० व बी० एस ० सी ० कक्षा में लड़के शहर के सम्पन्न घरानों से थे | बी ० काम ० कक्षायें लाहौर के हेली कालेज से उठकर वैश्य कालेज रोहतक में आयी थीं | उन विद्यार्थियों मेंअँग्रेजी की अच्छी पकड़ थी पर इण्टर आर्ट्स कक्षा में काफी बच्चे जाट के किसानों के थे | भाखड़ा नंगल बन जाने के बाद पानी की प्राप्ति के साथ साथ पंजाब के किसान भारत में अग्रणी बन गए थे और हरियाणा का किसान भी सम्पन्न बन गया था | पर ये विद्यार्थी अंग्रेजी से अनिभिज्ञ थे जब कालेज में आते तो लम्बाई होती 5 . 6 'या उससे कम ,पर बारहवीं पास करते तो अधिकाँश 6 फ़ीट के हो जाते | हरियाणा लम्बाई के लिए भारत के सबसे अग्रणी प्रदेशों में है | मेरे साधारण अँग्रेजी वाक्य Do You Understand का जवाब मिलता- कुछ बेरा न | प्रारम्भ में मैं समझ नहीं पाया कि इसका अर्थ क्या है ,फिर मैनें पूछ पूछ कर जाना कि इसका अर्थ है -कुछ समझ में नहीं आता | सम्भवतः यह बेरा शब्द सबेरा से लिया गया है और इसका मतलब हुआ कि अज्ञान का अन्धकार मिटकर प्रकाश नहीं आया है | धीरे धीरे अँग्रेजी के साथ हिन्दी और फिर हरियाणवी हिन्दी भी प्रयोग करने लगा | मुझे लगा कि Squirrel का अनुवाद गिलहरी उन्हें समझ नहीं आता ,पर काटी उन्हें समझ आता है | जो समझ में आवे वही बोल अध्यापक को स्वीकार करना चाहिएऔर धीरे धीरे अपरिष्कृत से परिष्कृत की ओर बढ़ना चाहिए | पहले एक दो वर्ष तक मैं बच्चों के लिए पार का छोरा रहा ,पर धीरे धीरे मैनें उनका हृदय जीत लिया | 'आखिरकार'' पार के छोरे हृदय जीतते ही हैं | ' इसीलिये तो छोरा गंगा किनारे वाला गीत -उत्तर भारत में हर एक की जुबान पर चढ़ गया था | समय चल रहा था अपनी अबाधित गति के साथ और गर्मी की छुट्टी के पहले ही मुझे पता चला कि अगले सत्र के अगस्त माह में मुझे चण्डीगढ़ में NCC officers के साक्षात्कार में जाना पडेगा | मेरे प्रतिद्वन्दी थे वाणिज्य विभाग के प्रो ० रतन लाल गर्ग ,एम ० ए ०एल ० एल ० बी ० ,हर कालेज को एक पोस्ट के लिए दो नाम भेजने होते थे जिसमे से एक का चयन राज्य का Directorate चण्डीगढ़ में करता था जिसमे ब्रिगेडियर रैंक का एक आर्मी अफसर भी रहता था | कालेज ने जो दो नाम भेजे ,उसमें गर्ग जी का नाम ऊपर था और मेरा नीचे | वैश्य कालेज में ऐसा होना स्वाभाविक ही कहा जायेगा ,पर अगस्त आने में काफी देरी थी और बीच में लम्बी छुट्टियां थीं | जून में शादी का नया वर्ष शुरू होना था और मैनें निश्चय किया कि अबकी बार अपनी पत्नी को रोहतक लाकर एक हिन्दू सद्गृहस्थ की परम्परा प्रयोग में लायी जाये | डाक्टरों ने परीक्षण की जो सलाह दी थी ,उसे फिलहाल एक वर्ष तक टाला जाये और प्रकृति पर भरोसा कर परस्पर प्रेम मार्ग पर बढ़कर श्रष्टि के नये अवतरण की प्रार्थना की जाये | मैं गाँव आया और पहली खबर जो मुझे मिली ,वह यह थी कि उदय नारायण रिस्टिकेट कर दिए गए | उन्होंने न केवल मार -पीट की बल्कि होस्टल के कई विद्यार्थयों का माल सामान भी गायब कर दिया | मुन्शी सिंह जी ने राजा से बार बार कहा होगा कि वे हमें बतायें और तिरवां आने को कहें ,पर राजा ने मुझसे कभी कोई जिक्र नहीं किया | अब वे कई बार गाँव में न रहकर कानपुर में अपने साथी छोटे बबुआ के मकान में किसी ऊपर के कमरे में रहने लग गए थे और माता जी व बहन जी से कह दिया था कि वे उनकी चिन्ता न करें | वे अपना जीवन स्वयं बनायेंगें -बिगाड़ेंगे | सुनने में यह भी आया कि मन्नी लाल वकील और उनके दोनों बेटे उन्हें बिना प्रशिक्षित हुए ही किसी स्कूल में लगवा रहे हैं और वे अपना खर्चा स्वयं निकाल लेंगें | माता जी यह कहती थीं कि राजा पता लगाए रहते हैं कि अम्मा को कब वेतन मिला और वेतन मिलते ही बैरी आकर उनसे गिड़गिड़ाकर लगभग सारा का सारा पैसा ले जाते हैं | मैं अपने असन्तोष को वाणी देने की कोशिश करता तो कई बार कुछ क्रोध झलक पड़ता और मैं यह सोचने लगा था कि हर व्यक्ति अपने जीवन निर्माण में स्वतन्त्र है और राजा अब वयस्क हो चुके हैं | (क्रमशः )
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