तूर्य नाद
मास्टर दत्ता राम आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भूगोल का पाठ पढ़ा रहे थे | अभी कुछ दिन पहले की ही बात है | अगले दिन यानि 15 जनवरी को सूर्यग्रहण पड़ने वाला था | वह बता रहे थे कि चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो उसकी छाया से सूर्यग्रहण दिखायी पड़नें लगता है | लद्धू राम का तीसरा बेटा नकटू उनकी कक्षा में मध्यम दर्जे का विद्यार्थी था || नकटू का बड़ा भाई सरकारी वजीफे के बल पर भूगोल में एम ० ए ० कर रहा था | लद्धू राम अपने सात गधों पर मिट्टी लादकर खाली प्लाटों में भरत का काम किया करता था | टूटे -फूटे मकानों का आड़ अम्बार भी उठाकर इधर उधर करता रहता था | घर में गधों की निरन्तर उपस्थिति ने लद्धू राम के तीनों लड़कों पर कोई असर नहीं डाला था | तीनों के तीनों पढ़ने में तेज थे | शायद उन्होंने अपनी बूढ़ी दादी के जीन्स पाये थे जो अभी भी अपनी बिरादरी में सबसे समझदार लुगाई मानी जाती थीं | सूर्य ग्रहण से पहली वाली शाम से पहली वाली शाम को नकटू का बड़ा भाई शाम को घर पर एक नक्शा बना रहा था | उसके प्रोफ़ेसर साहब ने बताया था कि कल का सूर्यग्रहण और सूर्यग्रहणों से दूसरे किस्म का है | ये सूर्यग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा धरती से सबसे अधिक दूरी पर होता है | और भी कई बातें थीं जैसे कब ऐसा सूर्यग्रहण पड़ा था ,कब फिर पड़ेगा ,कहाँ कितना दिखाई देगा ,किस समय से किस समय तक दिखायी देगा आदि आदि यह सब बातें बड़कू ने नकटू को नहीं बतायी थीं पर जब नकटू ने नक़्शे पर खिंचे चाँद को देखकर पूछा तो उसने बता दिया था कि यह ग्रहण दूसरे किस्म का है इसमें चन्द्रमा सूरज के बिल्कुल सीध में होता है || उस दिन जब मास्टर दत्ता राम ने क्लास को बताया कि चन्द्रमा के बीच में आ जानें से सूर्यग्रहण लगेगा तब नकटू ने क्लास में हाँथ उठा दिया | मास्टर दत्ता राम ने कहा ,"नीका राम हाँथ क्यों उठा रहा है | "क्या कुछ पूछना है | नकटू बोला ," सर जी कल के ग्रहण में चन्द्रमा सूरज के बिल्कुल सीध में होगा | दत्ता राम जी बोले ,"सीध में नहीं होगा वह तेरे सिर पर होगा | " नकटू शर्मा गया फिर हिम्मत करके बोला ," सर जी मेरे भाई ने बताया है कि चन्द्रमा धरती से सबसे दूरी पर होगा | "दत्ता राम असमंजस में पड़ गये | सोचा क्या ग्रहण भी कई किस्म के होते हैं | धत्त तेरे की ,मैनें तो भूगोल में जो पढ़ा था वही बताया | लद्धू राम का नकटू नयी बात कहाँ से मार लाया | घण्टी समाप्त होने के बाद उन्होंने नकटू को अपने पास बुलाया और पूछा कि उसे ग्रहण के बारे में किसने बताया था | नकटू बोला सर जी मेरा बड़ा भाई बड़कू यूनिवर्सिटी जाता है वही कल नक्शा खींच रहा था उसी ने मुझसे यह बात बतायी थी | मुझे क्या पता है कि यह गलत है या सही है | मेरे पास काला चश्मा भी नहीं कि मैं उसे लगाकर सूरज की ओर देखूं अब चन्द्रमा कहाँ है मुझे क्या पता | बड़कू के प्रोफ़ेसर साहब को पता होगा या आपको पता होगा | मैं तो कल दादी के साथ ब्रम्ह सरोवर में नहानें जा रहा हूँ | वहीं पर पण्डित जी पत्रा में देखकर इस बारे में सही राय दे पायेंगें | बात आयी गयी हो गयी पर नकटू ने भारी क्लास में जो बात कही थी उसे फैलते देर न लगी | कुछ लड़के थे जिन्होनें अपने साथियों को जो दसवीं ,बारहवीं क्लास में थे यह बात बतायी | बारहवीं कक्षा के भूगोल के प्राध्यापक नीलमणि माहेश्वरी अपने भौगोलिक ज्ञान के लिये स्कूल में प्रसिद्धि पा चुके थे | उन्हें पूरी तरह पता था कि गेंहूं का पौधा मिसोपटानिया से भारत कैसे आया और लीची चीन से चलकर हिन्दुस्तान घरों में कैसे प्रवेश पा गयी | इतना सब होने पर भी नाभिकीय पिण्डों के विषय में वे कभी कभी अपने ज्ञान के विषय में शंकालु हो उठते थे | कितनी आकाशगंगायें हैं ,कितने सूरज हैं आदि आदि उन्हें खगोल शास्त्र के विषय कठिन लगते थे |साथ ही साथ कैसे चाँद धरती पर आता है ,कैसे सूरज अपनी परिधि में भ्रमित होता है और कैसे धरती अपनी धुरी और अपनी कक्षा की दोनों गतियों को संचालित करती है इस विषय में वे कभी कभी स्पष्ट और समझ में आने वाली विवेचना प्रस्तुत करने में असमर्थ हो जाते थे | उनकी पत्नी अत्यन्त सुशील और समझदार होने के साथ साथ संस्कृत की एम ० ए ० भी थीं | घर पर शाम को उन्होंने अपनी पत्नी से भी इस विषय में बातचीत चलायी | पत्नी बोली , " पढ़ा तो मैनें भी है कि चाँद की छाया पड़ने से सूर्यग्रहण पड़ता है और धरती की छाया पड़ने से चन्द्रग्रहण लगता है | आठवीं में कुछ नक़्शे भी बनाये थे पर पूरी बात मेरी समझ में नहीं आती | अब एक नयी बात सुनायी पडी है कि यह ग्रहण औरों से अलग है और निराला है और अब ऐसा ग्रहण बहुत वर्षों के बाद पडेगा | चलो भाई जो जियेगा सो देखेगा | पता नहीं दुनिया में कितनी नयी नयी बातें खोजी जा रहीं हैं | माहेश्वरी जी ने कहा , " मैं जब छोटा था तो माँ गंगा स्नान के लिये जाती थी और कई आदमी- औरतें चिल्ला -चिल्ला कर कहते थे " धर्म करो ,धर्म करो "बड़ा होने पर मैनें इस सम्बन्द्ध में पौराणिक आख्यानों को सुना और मुझे लगा कि उन आख्यानों में बड़ी सूझ बूझ वाले कारण सुझाये गये हैं अपने युग में उनके द्वारा सुझायी गयी बातें अवश्य ही तर्क संगत लगती होंगीं | पत्नी बोली ,"भगवान् जानें कब समुद्र मन्थन हुआ ,कैसे मदराचल को शेषनाग ने अपनी गुंजलक में लिया और फिर मन्थन से क्या क्या निकला | लगता है इन सब बातों में भी कोई बहुत गहरा सत्य छिपा हुआ है | इस पर रिसर्च होनी चाहिये | बात आयी गयी हो गयी पर मामला तब बिगड़ गया जब नकटू ने सारा किस्सा अपने बापू लद्धू राम को बताया |
बात यों हुयी | उस ग्रहण वाले दिन भी लद्धू राम को छुट्टी कहाँ ? भले ही सारा कुरुक्षेत्र बन्द हो उसे तो भारत करनी ही थी | हड्डियों को कंपा देने वाला जाडा लद्धू को काम से रोक पाने में असमर्थ था पर न जानें क्या हुआ कि सवा ग्यारह बजते ही उसके सात गधों में से एक गधा अड़कर खड़ा हो गया | उसने उसे आगे बढ़ाने की बड़ी कोशिश की ,कुछ छड़ियां भी लगाईं पर आगे बढ़ने के बजाय उसने आर्केस्ट्रा का एक निराला स्वर निकाला और मुंह को ऊपर कर सूर्य भगवान् को देखने लगा | लद्धू जान गया कि गधा उससे अधिक समझदार है | सूर्य ग्रहण लग गया है और तीन बजे तक पास की एक खाली दालान में बैठकर टाइम काटना होगा | लद्धू जहां भरत कर रहा था वह जगह घर से ज्यादा दूर नहीं थी | नकटू और उसके साथ उसका दोस्त कालू और तोता दौड़कर दालान में पहुँच गये जहां लद्धू ईंटों पर बैठा था और उसके गधे तरतीबवार खड़े थे | नकटू की दादी अपनी साथिनों के साथ जो कि सबसे बूढ़ी भक्तिन थी ब्रम्ह सरोवर नहाने गयी थीऔर नकटू की जिद्द पर भी उसे अपने साथ नहीं ले गयी थी | नकटू ने अपने दोस्त कालू और तोता बुला लिये थे पर ग्रहण के समय खेलना बन्द था और वह बैठा बैठा ऊब रहा था | उसने दालान में पहुँच कर बापू को बताया कि मास्टर जी ने उससे कहा था कि चाँद अगर सूरज और धरती के बीच नहीं होगा तो क्या तेरे सिर पर होगा | लद्धू का मूड बिगड़ गया मास्टर जी ने सिर की बात कैसे कही ? हमको गधा समझ रखा है | बड़कू से बात करके मैं उसके प्रोफ़ेसर से मिलूँगा | इसकी मास्टरी न छुडवायी तो मेरा नाम लद्धू राम नहीं | इधर मास्टर दत्ता राम भी चिन्ता में पड़े थे | | वे मणिकान्त माहेश्वरी के घर गये तो उन्होंने कहा कि पूरी बात तो वे भी नहीं समझते पर अंग्रेजी के अखबार में कुछ ऐसा ही लिखा है जैसा नकटू ने बताया था | इधर लद्धू ने शाम को अलाव के आस पास बैठे अपनी बिरादरी के कुछ लोगों से बातचीत की | बिरादरी का एक बूढ़ा कीनाराम अपनी समझ के लिये बहुत चर्चित था उसने कहा कि मास्टर जी ने चाँद को सिर पर होने की जो बात कही है उसका मतलब चन्द्रमा से नहीं है | उसने अपनी टोपी उतार कर अपनी गज्जी चाँद दिखायी और कहा कि मास्टर जी का मतलब इस चाँद से था | वह जानता था कि मास्टर दत्ता राम भी गंजे होने की तरफ बढ़ रहे हैं | उसने अपने ज्ञान की बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि नकटू तो अभी बालक है उसके सिर पर चाँद कैसे होगा | बहुत लम्बे आरसे के बाद उसकी चाँद दिखेगी | कीनाराम की इस बात ने सबको खुश किया और बिरादरी के लोग ठहाका लगाकर हंस पड़े पर लद्धू था जो मानने को तैय्यार नहीं | नकटू और बड़कू बुलाये गये और बड़कू ने कहा किउसने जो बात नकटू को बतायी है वह बिल्कुल सही है | मास्टर जी ने हम लोगों का अपमान किया है | यह हमारी जाति का अपमान है | उन्हें माफी माँगनी होगी |
छोटा सा शहर बात फ़ैल गयी | नीका राम की पत्नी कपड़ों पर प्रेस करने का काम करती थी |मास्टर दत्ता राम के घर के कपड़े उसके यहां प्रेस करने के लिये आते थे | उसने अपनी लड़की भेजकर मस्टरानी जी को बुलवायाऔर सारी बात समझायी | मास्टरनी जी चिन्ता में पड़ गयीं | घर वापस आकर उन्होंने दत्ताराम जी से सारी बात बतायी | दत्ता राम जी ने एक नया दाँव खेला | उन्होंने कहा कि वे यह बतानें जा रहे थे कि साधारण ग्रहण चाँद के धरती और सूर्य के बीच में आ जानें कारण होता है पर यह ग्रहण औरों से कुछ भिन्न है | वे ब्लैक बोर्ड पर चाक से चित्र बनाकर समझाने जा रहे थे तब नकटू ने हाँथ उठाकर अपने बड़े भाई की कहानी शुरू कर दी | मैनें तो उससे सिर्फ यह कहा था कि मेरा सिर मत खा चाँद अभी कहाँ है ब्लैक बोर्ड पर दिखेगा | मेरे माफी मांगनें का सवाल ही नहीं उठता | मैनें कौन सी गलती की है | मैनें किसी जाति का अपमान नहीं किया |
लद्धू कोई कमजोर खिलाड़ी नहीं था | उसने पता लगा लिया कि मास्टर दत्ता राम बात को तोड़ -मरोड़ रहें हैं | उसनें धमकी दी कि क्लास के हर लड़के से गुप्त राय डलवायेगा कि नकटू की बात सही है या मास्टर दत्ता राम की | अब क्लास के अधिकतर लड़के मास्टर दत्ता राम की डांट डपट से परेशान रहते थे | उनकी यह आदत बन गयी थी जब कोई लड़का उनसे पूछता था कि मास्टर जी धरती तो चपटी है गोल कैसे है तो वे उसे डांट कर कहते थे , " तेरी खोपड़ी भी चपटी है पर गोल कैसे दिखायी पड़ती है | अबे चाँद गोल है ,सितारे गोल हैं तो धरती भी गोल होगी | मैं इसको मुट्ठी में उठाकर तेरी जेब में तो नहीं डाल सकता | एक बार इस प्रकार की बातचीत करके वे एक शाम एक गली से गुजर रहे थे तो कुछ लड़कों ने किवाड़ों की ओट से आवाज लगायी थी ," तेरा सिर गोल है ,गोल के भीतर ढोल है ,,ढोल के भीतर पोल है खा ले मास्टर यह मछली का झोल है | |"वे भीतर से जल भुन गये थे पर क्या करें आवाजों के मिले जुले स्वर में चेहरों की पहचान नहीं की जा सकती | अब लद्धू की चुनौती उनके सामने थी अगर क्लास में लड़कों की गुप्त राय मांगीं गयी तो वे नकटू के मुकाबले कहीं हार न जाँय फिर क्या होगा ? उनका यह कहना कि वे ब्लैक बोर्ड पर चाँद की स्थिति का नक्शा खींचने जा रहे थे कितना सार्थक रहेगा | और फिर यदि किसी ने यह कह दिया कि वे धरती ,सूरज और चाँद की स्थिति का सही नक्शा खींच कर दिखायें तो वे लड्डू की तीन शक्लें बनाने के बाद कैसे वृत्ताकार दायरों में उन्हें जोड़कर सही व्याख्या दे सकेंगें | सभी कुछ तो वह हेल्प बुक्स के पन्नो पर बनें नक्शों की मदद से ही पढ़ाया करते थे पर इस ग्रहण की स्थिति का कोई नक्शा किसी हेल्प बुक में तो मौजूद है नहीं | उनकी पत्नी ने उन्हें समझाया कि माफी मांगनें में कोई हर्ज नहीं है | तुम्हें तो यह कहना हो कि मैनें जाति का कोई अपमान नहीं किया | यदि कोई गलतफहमी हुयी है तो मैं उसके लिये माफी माँगता हूँ | अगर तुम ग्रहण की गहरायी में फंस गये तो फिर उबरना मुश्किल होगा | कितनी बार मैनें तुमसे कहा है कि गोवर्धन के दिन गोबर की एक मूर्ति तो ठीक बना दो पर तुम्हें सिर की मुण्डी बनानी भी नहीं आती | | चाँद सूरज का चक्र बनाना क्या आदमी के वश की बात है | दत्ता राम जी अपनी पत्नी की सूझ बूझ के कायल थे | बोले सबके सामने माफी मांगना तो नाक कटने जैसा होगा | पत्नी बोली मैं कीना की घरवाली को बुलाये लेती हूँ वह लद्धू की घरवाली से बात कर लेगी | सूर्ग्रहण की शाम को हम तुम कुछ प्रसाद लेकर लद्धू के घर चलेंगें | पास ही तो है | वहीं तुम बातों ही बातों में माफी की बात कह देना | नकटू ,बड़कू और मझलू भी वहीं होंगें | हाँ यह बात मत भूलना कि आते समय लद्धू के गधों की तारीफ़ करते आना | कौन जानता है सात गधों में से कोई एक तुम्हारी विदाई पर नफ़ीरी बजा दे | दत्ता राम जी ने मुस्कराते हुये कहा , " शम्भू की माँ तेरा भी कोई जवाब नहीं |आज से मैं ग्रह पिण्डों की बातें तुमसे पूछकर ही क्लास में जाया करूंगा | " बात आयी गयी हुयी | दत्ता राम तो झंझट से छूटे पर मणिं कान्त माहेश्वरी जी को तो बारहवीं के विद्यार्थियों को सही बात बतानी ही थी | उन्होंने कई अखबारों से कतरनें काटकर फैक्ट्स इकट्ठे किये | अगले दिन उन्होंने क्लास में बताया कि ऐसा ग्रहण अब दुबारा 3014 सन में पडेगा | इससे पहले यह सन 1900 में पड़ा था | हम लोग न तो सन 1900 में थे और न सन 3014 में होंगें | इस ग्रहण को अँग्रेजी में Annular Solar Eclipse कहा जाता है | यह तब पड़ता है जब सूरज और चाँद ठीक एक सीध में होते हैं लेकिन चाँद की जो छाप छाया के रूप में सूरज के घेरे पर पड़ती है वह इतनी बड़ी नहीं होती कि सूरज को पूरी तरह ढक ले | इसलिये सूरज के चारो ओर प्रकाश का घेरा बना रहता है पर बीच में छाया होती है | इस प्रकार का सूरज एक चमकदार अंगूठी जैसा दिखायी पड़ता है | चमकदार मुद्रिका या रिंग को लैटिन भाषा में Annular Solar Eclipse कहते हैं | अग्नि का प्रकाश लिये हुये यह मुद्रिका अत्यन्त सुन्दर द्रश्य पैदा करती है | भारतीय स्पेस एजेन्सी ने धरती पर इस ग्रहण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये पांच राकेट छोड़े हैं क्योंकि अगले 1000 वर्ष तक इस प्रकार की घटना फिर देखने में नहीं आयेगी | तमिलनाडु के रामेश्वरम में शुक्रवार 15 जनवरी को 11 बजे से लेकर 3 . 15 तक दुनिया भर के जिज्ञासुओं ने ग्रहण के विभिन्न चरणों को काले चश्में ,डी ० वी ० डी ० ,टेलीस्कोप या बेल्डिंग ग्लासेस से देखा | पहले सूरज के वृत्ताकार आकार का थोड़ा हिस्सा फिर और बड़ा फिर और बड़ा और फिर और बड़ा हिस्सा चाँद की छाया से ढक गया और फिर अन्त में चारो तरफ प्रकाश का एक दिव्य घेरा तो रह गया पर बीच में चाँद की छाया ने अपनी धूमिलता की छाप छोड़ दी | सूरज के ग्रहण में आये इन विभिन्न छाया चित्रों को लोग अपने अलबम में सहेज कर रखेंगें | अब स्कूल की आठवीं कक्षा में नकटू ,उसके दोस्त कालू और तोता हीरो बन गये हैं | मास्टर दत्ता राम भी उन्हें प्रणाम करने पर प्यार भरा आशीर्वाद देते हैं | बड़े क्लास के दोस्तों से सब बातें सुनकर नकटू ने अपनी समझ से उन बातों को अपने बापू , माँ और दादी के सामने दोहराया | दादी बोली यह सब बातें बेकार हैं | जब तक राहु -केतु रहेंगें तब तक ग्रहण पड़ते रहेंगें | पूजा पाठ और दान से ही ग्रहण छूटता है | चाहे चाँद का हो चाहे सूरज का चाहे आदमी की जिन्दगी का | उसकी बात में सभी ने सिर हिलाकर सभी ने हामी भरी पर सबसे बड़ी शाबासी तो उस समय मिली जब सात गधों में से एक ने छत की ओर मुँह करके अपना तूर्यनाद किया | विजय का यह स्वर दादी के मन को उल्लसित कर गया |
मास्टर दत्ता राम आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को भूगोल का पाठ पढ़ा रहे थे | अभी कुछ दिन पहले की ही बात है | अगले दिन यानि 15 जनवरी को सूर्यग्रहण पड़ने वाला था | वह बता रहे थे कि चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है तो उसकी छाया से सूर्यग्रहण दिखायी पड़नें लगता है | लद्धू राम का तीसरा बेटा नकटू उनकी कक्षा में मध्यम दर्जे का विद्यार्थी था || नकटू का बड़ा भाई सरकारी वजीफे के बल पर भूगोल में एम ० ए ० कर रहा था | लद्धू राम अपने सात गधों पर मिट्टी लादकर खाली प्लाटों में भरत का काम किया करता था | टूटे -फूटे मकानों का आड़ अम्बार भी उठाकर इधर उधर करता रहता था | घर में गधों की निरन्तर उपस्थिति ने लद्धू राम के तीनों लड़कों पर कोई असर नहीं डाला था | तीनों के तीनों पढ़ने में तेज थे | शायद उन्होंने अपनी बूढ़ी दादी के जीन्स पाये थे जो अभी भी अपनी बिरादरी में सबसे समझदार लुगाई मानी जाती थीं | सूर्य ग्रहण से पहली वाली शाम से पहली वाली शाम को नकटू का बड़ा भाई शाम को घर पर एक नक्शा बना रहा था | उसके प्रोफ़ेसर साहब ने बताया था कि कल का सूर्यग्रहण और सूर्यग्रहणों से दूसरे किस्म का है | ये सूर्यग्रहण तब होता है जब चन्द्रमा धरती से सबसे अधिक दूरी पर होता है | और भी कई बातें थीं जैसे कब ऐसा सूर्यग्रहण पड़ा था ,कब फिर पड़ेगा ,कहाँ कितना दिखाई देगा ,किस समय से किस समय तक दिखायी देगा आदि आदि यह सब बातें बड़कू ने नकटू को नहीं बतायी थीं पर जब नकटू ने नक़्शे पर खिंचे चाँद को देखकर पूछा तो उसने बता दिया था कि यह ग्रहण दूसरे किस्म का है इसमें चन्द्रमा सूरज के बिल्कुल सीध में होता है || उस दिन जब मास्टर दत्ता राम ने क्लास को बताया कि चन्द्रमा के बीच में आ जानें से सूर्यग्रहण लगेगा तब नकटू ने क्लास में हाँथ उठा दिया | मास्टर दत्ता राम ने कहा ,"नीका राम हाँथ क्यों उठा रहा है | "क्या कुछ पूछना है | नकटू बोला ," सर जी कल के ग्रहण में चन्द्रमा सूरज के बिल्कुल सीध में होगा | दत्ता राम जी बोले ,"सीध में नहीं होगा वह तेरे सिर पर होगा | " नकटू शर्मा गया फिर हिम्मत करके बोला ," सर जी मेरे भाई ने बताया है कि चन्द्रमा धरती से सबसे दूरी पर होगा | "दत्ता राम असमंजस में पड़ गये | सोचा क्या ग्रहण भी कई किस्म के होते हैं | धत्त तेरे की ,मैनें तो भूगोल में जो पढ़ा था वही बताया | लद्धू राम का नकटू नयी बात कहाँ से मार लाया | घण्टी समाप्त होने के बाद उन्होंने नकटू को अपने पास बुलाया और पूछा कि उसे ग्रहण के बारे में किसने बताया था | नकटू बोला सर जी मेरा बड़ा भाई बड़कू यूनिवर्सिटी जाता है वही कल नक्शा खींच रहा था उसी ने मुझसे यह बात बतायी थी | मुझे क्या पता है कि यह गलत है या सही है | मेरे पास काला चश्मा भी नहीं कि मैं उसे लगाकर सूरज की ओर देखूं अब चन्द्रमा कहाँ है मुझे क्या पता | बड़कू के प्रोफ़ेसर साहब को पता होगा या आपको पता होगा | मैं तो कल दादी के साथ ब्रम्ह सरोवर में नहानें जा रहा हूँ | वहीं पर पण्डित जी पत्रा में देखकर इस बारे में सही राय दे पायेंगें | बात आयी गयी हो गयी पर नकटू ने भारी क्लास में जो बात कही थी उसे फैलते देर न लगी | कुछ लड़के थे जिन्होनें अपने साथियों को जो दसवीं ,बारहवीं क्लास में थे यह बात बतायी | बारहवीं कक्षा के भूगोल के प्राध्यापक नीलमणि माहेश्वरी अपने भौगोलिक ज्ञान के लिये स्कूल में प्रसिद्धि पा चुके थे | उन्हें पूरी तरह पता था कि गेंहूं का पौधा मिसोपटानिया से भारत कैसे आया और लीची चीन से चलकर हिन्दुस्तान घरों में कैसे प्रवेश पा गयी | इतना सब होने पर भी नाभिकीय पिण्डों के विषय में वे कभी कभी अपने ज्ञान के विषय में शंकालु हो उठते थे | कितनी आकाशगंगायें हैं ,कितने सूरज हैं आदि आदि उन्हें खगोल शास्त्र के विषय कठिन लगते थे |साथ ही साथ कैसे चाँद धरती पर आता है ,कैसे सूरज अपनी परिधि में भ्रमित होता है और कैसे धरती अपनी धुरी और अपनी कक्षा की दोनों गतियों को संचालित करती है इस विषय में वे कभी कभी स्पष्ट और समझ में आने वाली विवेचना प्रस्तुत करने में असमर्थ हो जाते थे | उनकी पत्नी अत्यन्त सुशील और समझदार होने के साथ साथ संस्कृत की एम ० ए ० भी थीं | घर पर शाम को उन्होंने अपनी पत्नी से भी इस विषय में बातचीत चलायी | पत्नी बोली , " पढ़ा तो मैनें भी है कि चाँद की छाया पड़ने से सूर्यग्रहण पड़ता है और धरती की छाया पड़ने से चन्द्रग्रहण लगता है | आठवीं में कुछ नक़्शे भी बनाये थे पर पूरी बात मेरी समझ में नहीं आती | अब एक नयी बात सुनायी पडी है कि यह ग्रहण औरों से अलग है और निराला है और अब ऐसा ग्रहण बहुत वर्षों के बाद पडेगा | चलो भाई जो जियेगा सो देखेगा | पता नहीं दुनिया में कितनी नयी नयी बातें खोजी जा रहीं हैं | माहेश्वरी जी ने कहा , " मैं जब छोटा था तो माँ गंगा स्नान के लिये जाती थी और कई आदमी- औरतें चिल्ला -चिल्ला कर कहते थे " धर्म करो ,धर्म करो "बड़ा होने पर मैनें इस सम्बन्द्ध में पौराणिक आख्यानों को सुना और मुझे लगा कि उन आख्यानों में बड़ी सूझ बूझ वाले कारण सुझाये गये हैं अपने युग में उनके द्वारा सुझायी गयी बातें अवश्य ही तर्क संगत लगती होंगीं | पत्नी बोली ,"भगवान् जानें कब समुद्र मन्थन हुआ ,कैसे मदराचल को शेषनाग ने अपनी गुंजलक में लिया और फिर मन्थन से क्या क्या निकला | लगता है इन सब बातों में भी कोई बहुत गहरा सत्य छिपा हुआ है | इस पर रिसर्च होनी चाहिये | बात आयी गयी हो गयी पर मामला तब बिगड़ गया जब नकटू ने सारा किस्सा अपने बापू लद्धू राम को बताया |
बात यों हुयी | उस ग्रहण वाले दिन भी लद्धू राम को छुट्टी कहाँ ? भले ही सारा कुरुक्षेत्र बन्द हो उसे तो भारत करनी ही थी | हड्डियों को कंपा देने वाला जाडा लद्धू को काम से रोक पाने में असमर्थ था पर न जानें क्या हुआ कि सवा ग्यारह बजते ही उसके सात गधों में से एक गधा अड़कर खड़ा हो गया | उसने उसे आगे बढ़ाने की बड़ी कोशिश की ,कुछ छड़ियां भी लगाईं पर आगे बढ़ने के बजाय उसने आर्केस्ट्रा का एक निराला स्वर निकाला और मुंह को ऊपर कर सूर्य भगवान् को देखने लगा | लद्धू जान गया कि गधा उससे अधिक समझदार है | सूर्य ग्रहण लग गया है और तीन बजे तक पास की एक खाली दालान में बैठकर टाइम काटना होगा | लद्धू जहां भरत कर रहा था वह जगह घर से ज्यादा दूर नहीं थी | नकटू और उसके साथ उसका दोस्त कालू और तोता दौड़कर दालान में पहुँच गये जहां लद्धू ईंटों पर बैठा था और उसके गधे तरतीबवार खड़े थे | नकटू की दादी अपनी साथिनों के साथ जो कि सबसे बूढ़ी भक्तिन थी ब्रम्ह सरोवर नहाने गयी थीऔर नकटू की जिद्द पर भी उसे अपने साथ नहीं ले गयी थी | नकटू ने अपने दोस्त कालू और तोता बुला लिये थे पर ग्रहण के समय खेलना बन्द था और वह बैठा बैठा ऊब रहा था | उसने दालान में पहुँच कर बापू को बताया कि मास्टर जी ने उससे कहा था कि चाँद अगर सूरज और धरती के बीच नहीं होगा तो क्या तेरे सिर पर होगा | लद्धू का मूड बिगड़ गया मास्टर जी ने सिर की बात कैसे कही ? हमको गधा समझ रखा है | बड़कू से बात करके मैं उसके प्रोफ़ेसर से मिलूँगा | इसकी मास्टरी न छुडवायी तो मेरा नाम लद्धू राम नहीं | इधर मास्टर दत्ता राम भी चिन्ता में पड़े थे | | वे मणिकान्त माहेश्वरी के घर गये तो उन्होंने कहा कि पूरी बात तो वे भी नहीं समझते पर अंग्रेजी के अखबार में कुछ ऐसा ही लिखा है जैसा नकटू ने बताया था | इधर लद्धू ने शाम को अलाव के आस पास बैठे अपनी बिरादरी के कुछ लोगों से बातचीत की | बिरादरी का एक बूढ़ा कीनाराम अपनी समझ के लिये बहुत चर्चित था उसने कहा कि मास्टर जी ने चाँद को सिर पर होने की जो बात कही है उसका मतलब चन्द्रमा से नहीं है | उसने अपनी टोपी उतार कर अपनी गज्जी चाँद दिखायी और कहा कि मास्टर जी का मतलब इस चाँद से था | वह जानता था कि मास्टर दत्ता राम भी गंजे होने की तरफ बढ़ रहे हैं | उसने अपने ज्ञान की बात को आगे बढ़ाते हुये कहा कि नकटू तो अभी बालक है उसके सिर पर चाँद कैसे होगा | बहुत लम्बे आरसे के बाद उसकी चाँद दिखेगी | कीनाराम की इस बात ने सबको खुश किया और बिरादरी के लोग ठहाका लगाकर हंस पड़े पर लद्धू था जो मानने को तैय्यार नहीं | नकटू और बड़कू बुलाये गये और बड़कू ने कहा किउसने जो बात नकटू को बतायी है वह बिल्कुल सही है | मास्टर जी ने हम लोगों का अपमान किया है | यह हमारी जाति का अपमान है | उन्हें माफी माँगनी होगी |
छोटा सा शहर बात फ़ैल गयी | नीका राम की पत्नी कपड़ों पर प्रेस करने का काम करती थी |मास्टर दत्ता राम के घर के कपड़े उसके यहां प्रेस करने के लिये आते थे | उसने अपनी लड़की भेजकर मस्टरानी जी को बुलवायाऔर सारी बात समझायी | मास्टरनी जी चिन्ता में पड़ गयीं | घर वापस आकर उन्होंने दत्ताराम जी से सारी बात बतायी | दत्ता राम जी ने एक नया दाँव खेला | उन्होंने कहा कि वे यह बतानें जा रहे थे कि साधारण ग्रहण चाँद के धरती और सूर्य के बीच में आ जानें कारण होता है पर यह ग्रहण औरों से कुछ भिन्न है | वे ब्लैक बोर्ड पर चाक से चित्र बनाकर समझाने जा रहे थे तब नकटू ने हाँथ उठाकर अपने बड़े भाई की कहानी शुरू कर दी | मैनें तो उससे सिर्फ यह कहा था कि मेरा सिर मत खा चाँद अभी कहाँ है ब्लैक बोर्ड पर दिखेगा | मेरे माफी मांगनें का सवाल ही नहीं उठता | मैनें कौन सी गलती की है | मैनें किसी जाति का अपमान नहीं किया |
लद्धू कोई कमजोर खिलाड़ी नहीं था | उसने पता लगा लिया कि मास्टर दत्ता राम बात को तोड़ -मरोड़ रहें हैं | उसनें धमकी दी कि क्लास के हर लड़के से गुप्त राय डलवायेगा कि नकटू की बात सही है या मास्टर दत्ता राम की | अब क्लास के अधिकतर लड़के मास्टर दत्ता राम की डांट डपट से परेशान रहते थे | उनकी यह आदत बन गयी थी जब कोई लड़का उनसे पूछता था कि मास्टर जी धरती तो चपटी है गोल कैसे है तो वे उसे डांट कर कहते थे , " तेरी खोपड़ी भी चपटी है पर गोल कैसे दिखायी पड़ती है | अबे चाँद गोल है ,सितारे गोल हैं तो धरती भी गोल होगी | मैं इसको मुट्ठी में उठाकर तेरी जेब में तो नहीं डाल सकता | एक बार इस प्रकार की बातचीत करके वे एक शाम एक गली से गुजर रहे थे तो कुछ लड़कों ने किवाड़ों की ओट से आवाज लगायी थी ," तेरा सिर गोल है ,गोल के भीतर ढोल है ,,ढोल के भीतर पोल है खा ले मास्टर यह मछली का झोल है | |"वे भीतर से जल भुन गये थे पर क्या करें आवाजों के मिले जुले स्वर में चेहरों की पहचान नहीं की जा सकती | अब लद्धू की चुनौती उनके सामने थी अगर क्लास में लड़कों की गुप्त राय मांगीं गयी तो वे नकटू के मुकाबले कहीं हार न जाँय फिर क्या होगा ? उनका यह कहना कि वे ब्लैक बोर्ड पर चाँद की स्थिति का नक्शा खींचने जा रहे थे कितना सार्थक रहेगा | और फिर यदि किसी ने यह कह दिया कि वे धरती ,सूरज और चाँद की स्थिति का सही नक्शा खींच कर दिखायें तो वे लड्डू की तीन शक्लें बनाने के बाद कैसे वृत्ताकार दायरों में उन्हें जोड़कर सही व्याख्या दे सकेंगें | सभी कुछ तो वह हेल्प बुक्स के पन्नो पर बनें नक्शों की मदद से ही पढ़ाया करते थे पर इस ग्रहण की स्थिति का कोई नक्शा किसी हेल्प बुक में तो मौजूद है नहीं | उनकी पत्नी ने उन्हें समझाया कि माफी मांगनें में कोई हर्ज नहीं है | तुम्हें तो यह कहना हो कि मैनें जाति का कोई अपमान नहीं किया | यदि कोई गलतफहमी हुयी है तो मैं उसके लिये माफी माँगता हूँ | अगर तुम ग्रहण की गहरायी में फंस गये तो फिर उबरना मुश्किल होगा | कितनी बार मैनें तुमसे कहा है कि गोवर्धन के दिन गोबर की एक मूर्ति तो ठीक बना दो पर तुम्हें सिर की मुण्डी बनानी भी नहीं आती | | चाँद सूरज का चक्र बनाना क्या आदमी के वश की बात है | दत्ता राम जी अपनी पत्नी की सूझ बूझ के कायल थे | बोले सबके सामने माफी मांगना तो नाक कटने जैसा होगा | पत्नी बोली मैं कीना की घरवाली को बुलाये लेती हूँ वह लद्धू की घरवाली से बात कर लेगी | सूर्ग्रहण की शाम को हम तुम कुछ प्रसाद लेकर लद्धू के घर चलेंगें | पास ही तो है | वहीं तुम बातों ही बातों में माफी की बात कह देना | नकटू ,बड़कू और मझलू भी वहीं होंगें | हाँ यह बात मत भूलना कि आते समय लद्धू के गधों की तारीफ़ करते आना | कौन जानता है सात गधों में से कोई एक तुम्हारी विदाई पर नफ़ीरी बजा दे | दत्ता राम जी ने मुस्कराते हुये कहा , " शम्भू की माँ तेरा भी कोई जवाब नहीं |आज से मैं ग्रह पिण्डों की बातें तुमसे पूछकर ही क्लास में जाया करूंगा | " बात आयी गयी हुयी | दत्ता राम तो झंझट से छूटे पर मणिं कान्त माहेश्वरी जी को तो बारहवीं के विद्यार्थियों को सही बात बतानी ही थी | उन्होंने कई अखबारों से कतरनें काटकर फैक्ट्स इकट्ठे किये | अगले दिन उन्होंने क्लास में बताया कि ऐसा ग्रहण अब दुबारा 3014 सन में पडेगा | इससे पहले यह सन 1900 में पड़ा था | हम लोग न तो सन 1900 में थे और न सन 3014 में होंगें | इस ग्रहण को अँग्रेजी में Annular Solar Eclipse कहा जाता है | यह तब पड़ता है जब सूरज और चाँद ठीक एक सीध में होते हैं लेकिन चाँद की जो छाप छाया के रूप में सूरज के घेरे पर पड़ती है वह इतनी बड़ी नहीं होती कि सूरज को पूरी तरह ढक ले | इसलिये सूरज के चारो ओर प्रकाश का घेरा बना रहता है पर बीच में छाया होती है | इस प्रकार का सूरज एक चमकदार अंगूठी जैसा दिखायी पड़ता है | चमकदार मुद्रिका या रिंग को लैटिन भाषा में Annular Solar Eclipse कहते हैं | अग्नि का प्रकाश लिये हुये यह मुद्रिका अत्यन्त सुन्दर द्रश्य पैदा करती है | भारतीय स्पेस एजेन्सी ने धरती पर इस ग्रहण के प्रभाव का अध्ययन करने के लिये पांच राकेट छोड़े हैं क्योंकि अगले 1000 वर्ष तक इस प्रकार की घटना फिर देखने में नहीं आयेगी | तमिलनाडु के रामेश्वरम में शुक्रवार 15 जनवरी को 11 बजे से लेकर 3 . 15 तक दुनिया भर के जिज्ञासुओं ने ग्रहण के विभिन्न चरणों को काले चश्में ,डी ० वी ० डी ० ,टेलीस्कोप या बेल्डिंग ग्लासेस से देखा | पहले सूरज के वृत्ताकार आकार का थोड़ा हिस्सा फिर और बड़ा फिर और बड़ा और फिर और बड़ा हिस्सा चाँद की छाया से ढक गया और फिर अन्त में चारो तरफ प्रकाश का एक दिव्य घेरा तो रह गया पर बीच में चाँद की छाया ने अपनी धूमिलता की छाप छोड़ दी | सूरज के ग्रहण में आये इन विभिन्न छाया चित्रों को लोग अपने अलबम में सहेज कर रखेंगें | अब स्कूल की आठवीं कक्षा में नकटू ,उसके दोस्त कालू और तोता हीरो बन गये हैं | मास्टर दत्ता राम भी उन्हें प्रणाम करने पर प्यार भरा आशीर्वाद देते हैं | बड़े क्लास के दोस्तों से सब बातें सुनकर नकटू ने अपनी समझ से उन बातों को अपने बापू , माँ और दादी के सामने दोहराया | दादी बोली यह सब बातें बेकार हैं | जब तक राहु -केतु रहेंगें तब तक ग्रहण पड़ते रहेंगें | पूजा पाठ और दान से ही ग्रहण छूटता है | चाहे चाँद का हो चाहे सूरज का चाहे आदमी की जिन्दगी का | उसकी बात में सभी ने सिर हिलाकर सभी ने हामी भरी पर सबसे बड़ी शाबासी तो उस समय मिली जब सात गधों में से एक ने छत की ओर मुँह करके अपना तूर्यनाद किया | विजय का यह स्वर दादी के मन को उल्लसित कर गया |
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