ये मायावी मुखौटे
ये सहज सुख ---ये सहज ---उपलब्धियां
यह सहज अर्पण , समर्पण , गात का
रिक्त मुझको कर रहा क्यों ?
एक दूरागत मधुर आह्वान
सायं प्रात मन्दिर में ( क्वणित ) झंकार सा
पीर नस -नस में जगा कर
सिक्त मुझको कर रहा क्यों ?
मैं प्रवासी , है न यह भूगोल मेरा
हिम -धवल उन चोटियों के पार
ज्योतित - चूर्ण से निर्मित विरल संसार
क्या है देश मेरा ?
ये शताधिक रूप मायावी मुखौटे
यह सहज -असहज प्रिया -श्रृंगार
छूकर लौट जाते - अनध्वनित , अन -प्रत्युरित
मन व्योम का प्रस्तार
रंग -सज्जा इस धरा की भा न पायी क्यों मुझे
क्या इन्द्र - धनुषी वेष मेरा ?
यह सहज सम्मान , परिचय की सघनता
कर रहा है वाध्य मुझको खोज देखूँ
कहाँ परिचय - पत्र मेरा
अंश -जीवी चेतना के
स्तरों पर जी रहा हूँ
पर कहाँ सर्वत्र मेरा |
ये सहज सुख ---ये सहज ---उपलब्धियां
यह सहज अर्पण , समर्पण , गात का
रिक्त मुझको कर रहा क्यों ?
एक दूरागत मधुर आह्वान
सायं प्रात मन्दिर में ( क्वणित ) झंकार सा
पीर नस -नस में जगा कर
सिक्त मुझको कर रहा क्यों ?
मैं प्रवासी , है न यह भूगोल मेरा
हिम -धवल उन चोटियों के पार
ज्योतित - चूर्ण से निर्मित विरल संसार
क्या है देश मेरा ?
ये शताधिक रूप मायावी मुखौटे
यह सहज -असहज प्रिया -श्रृंगार
छूकर लौट जाते - अनध्वनित , अन -प्रत्युरित
मन व्योम का प्रस्तार
रंग -सज्जा इस धरा की भा न पायी क्यों मुझे
क्या इन्द्र - धनुषी वेष मेरा ?
यह सहज सम्मान , परिचय की सघनता
कर रहा है वाध्य मुझको खोज देखूँ
कहाँ परिचय - पत्र मेरा
अंश -जीवी चेतना के
स्तरों पर जी रहा हूँ
पर कहाँ सर्वत्र मेरा |
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