Sunday 20 May 2018

अनासक्त काल - बिन्दु 

जिन्दगी
जन्म -मृत्यु खूँटों पर लटकी हुयी डोरी है
आशा है , पिपाशा  है
अर्थ हींन भाषा है
तार - तार हो रही सड़ी हुयी बोरी है
तार जो कटकर स्वतन्त्र है
मुक्त लहराने को
किन्तु जो
अपनी निरन्तरता में विवश है
जाल बन जाने को |
सांस का नियमित क्रमबद्ध व्यापार
निद्रा है
शीत में भू - गर्भित सरीसृप जीवन -----------
इसीलिये दीर्घ साँस
आगत विगत से अनासक्त काल -बिन्दु
स्फुरित द्योतित क्षण
जीवन  की साध है
कवि का आराध्य है |



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