........ पकिस्तान तो नीचता की उस हद तक उतर आया है जहाँ उतरनें में शैतान भी संकोच करते रहते हैं। उसे तो बस हिन्दुस्तान में किसी भी प्रकार कटी -फटी लाशों के अम्बार लगाने में अपनी सफलता का आनन्द आता है चाहे पंच सितारा होटल हो ,चाहे संसद भवन ,चाहे मन्दिरों के परिसर हों ,चाहे भारत के गली -गलियारे या उड़ी जैसे शर्मनाक कारनामें ,सभी जगह विस्फोटों की साजिशें अबाध गति से चलती रहीं हैं । आखिरकार किसी भी देश का सामान्य जन क्या इसीलिये जीवन जीता है कि उसे अपनें पड़ोसी देश में चीथड़े -चीथड़े हो गये सैकड़ों शरीरों की खबरें रोज सुननें को मिलें । सारा विश्व इस बात पर हंस रहा है कि पाकिस्तान और हिन्दुस्तान आपस के उलझन में इतना फंस गये हैं कि उनकी अपनी आन्तरिक समस्यायें और सभी अर्थों में बेमानी हो गये हैं । घोर गरीबी ,घोर बेकारी , घोर बीमारी और निकृष्ट भ्रष्टाचार सभी कुछ नकारकर आपसी गाली गलौज में होड़ लगी हुयी है । गाली गलौज के लिये नये वाक्य और नये मुहावरे गढ़े जा रहे हैं । हेरफेर की शब्दावली रचने के लिये और द्वीअर्थीय वार्तालाप करनें के लिये करोड़ों रुपये खर्च करके तिकडमी दिमाग जुटाये जा रहे हैं । न जाने कितनी वार्तायें हो चुकी हैं । कितनी मुलाकातें हो चुकी हैं । अनगिनत फोटो छप चुके हैं । पर हर मुलाक़ात के बाद बमों का धमाका ,हर बातचीत के बाद धूम -धड़ाम का धुंवा और हर मुस्कराती हाथ मिलाती राजनीतिक हस्तियों के फोटो के पीछे साजिश भरे विषखांपरों की शतरंजी चालें । ऐसा कैसे निभेगा ? दुनिया का कोई भी देश पकिस्तान के मुँह पर थप्पड़ क्यों नहीं मारता ? और हिन्दुस्तान जब थप्पड़ मारने के लिये पंजा उठाता है तो विश्व पंचायत के जमूड़े अपनी डुगडुगी बजाकर शान्ति की बात करनें लगते हैं । जब पकिस्तान के हुक्मरानों से इस विषय में मीडिया द्वारा प्रश्न किये जाते हैं तो वे उस समय भी बेशर्मी की हंसी हंसते है जब विश्व जनमत इस पर अफ़सोस प्रगट कर रहा होता है । आखिर भारत कब तक यह सब सहता रहेगा ?आखिर हम कब तक शान्ति का पैगाम भेजते रहेंगें ? अब आवश्यकता है कि हिंसा को और अधिक बर्दाश्त न कर उसे ऐसा जवाब दिया जाय जिससे आतंकवाद का दानव हमेशा हमेशा के लिये शान्त हो जाय । (क्रमशः )
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