Saturday, 25 June 2016

.........................मनुष्य के विकास की कहानी अपनी छाप मनुष्य के शरीर पर भी छोड़ चुकी है । हजारों वर्षों तक द्विपदीय नँगा मनुष्य वर्षा की भीषण बौछारों और उपलघातों से बचने के लिये यदि पास में गुफाएँ मिल गयीं तो उनके भीतर या सघन पेड़ों के नीचे दोनों हाथों की कोहनियों को मोड़कर हथेलियों से मुख ढककर सिर नीचा किये बैठता रहा होगा । हजारों वर्षों की इस एक्सरसाइज ने  हथेली के जोड़ों से लेकर उसके कोहनी तक के बालों को नीचे की ओर मोड़ दिया क्योकि आसमान से गिरती पानी की बौछारें ऊपर उठी कोहनियों से बहकर ढके मुँह के पास से बूँद -बूँद गिरा करती होंगीं । झुके सिर के कारण पीठ पर गिरने वाली बौछारें भी मेरुदण्ड से बहती हुयी नीचे जाती होंगीं सम्भवतः इसीलिये पीठ के बीचोबीच मेरुदण्ड पर बालों की पंक्ति विरल होकर नीचे की ओर जाती हुयी दिखायी पड़ती है । Dreamology  ( स्वप्नों का वैज्ञानिक अध्ययन )कहता है कि हम अपने स्वप्न में विशेषतः शैशव में कई बार देखते हैं कि हम ऊंचाई से गिर रहे हैं पर आहत नहीं होते ऐसा इसलिये है कि हमारे अवचेतन की पर्तों में हमारे उन पुरुखों की यादें छिपी हैं जो सैकड़ों योजन फैले वन की डालों पर लटक -लटक कर मीलों का सफर तय करते रहते थे । अत्यन्त कौशल से एक हाथ से एक डाल छोड़कर दूसरे हाथ से दूसरी डाल को पकड़कर वे अपार वन राशि में क्रियाशील रहते थे । हम अपने स्वप्नों में इसे थोड़ा बहुत परिवर्तित रूप में दोहराते हैं पर गिर कर आहत नहीं होते । अपने जन्म के समय ही मानव शिशु की मुट्ठी में इतनी पकड़ होती है कि उससे ऐसा लगता है जैसे वह डाल में लटकने की अपनी लाखों वर्ष पहले की क्षमता अब तक सहेजे है । विकासवादी अध्येता अब यह मानने लगे हैं कि मानव सभ्यता का सबसे बड़ा कारण मानव शिशु का असहाय अवस्था में पैदा होना था । प्रकृति के अन्य सभी चेतन प्राणियों के शिशु जिसमें स्तन पायी भी शामिल हैं थोड़े बहुत समय का ही शैशव काल पाते हैं । वे  शीघ्र ही अपने पैरों और हाँथों का स्तेमाल कर जीवन चलाने लगते हैं पर मानव शिशु को एक अत्यन्त लम्बा शैशव काल बिताना पड़ता है जब उसे अपनी जननी के संरक्षण की आवश्यकता होती है । आदिम काल की लम्बी कालावधि में पिता का संरक्षण भी हिंसक वन्य पशुओं और नर समूहों से शिशु को बचाने के लिये अनिवार्य हो गया होगा । इस लम्बे सरंक्षण ने ही नारी को घर दिया और पुरुषों को पौरष द्वारा प्रारम्भिक खाद्य सामग्री और फिर भिन्न -भिन्न रूपों में जीवित रहने के लिये सम्पत्ति ,सामग्री इकट्ठा करने की प्रेरणा दी । कुछ उदाहरण दिये बिना और कुछ मनोरंजक कथाओं का सहारा लिये बिना विकास की इस कथा को आगे बढ़ाना कठिन लगता है । आइये जर्मनी में प्रचलित प्राचीन आर्यों की एक कहानी पर नजर डालें । (क्रमशः )

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