गतांक से आगे .......
इसमें तो कोई शक नहीँ कि श्रष्टि का जो भी खेल चल रहा है उस सबके पीछे प्रकृति का हाथ है। ब्रम्हाण्ड के इन स्वयं निर्धारित नियमों का संचालन स्वयं होता है या किसी अबूझी ,अन्जानी शक्ति से यह दर्शन का सबसे जटिल प्रश्न है । फिलहाल जिस विषय पर हम बात करने जा रहे हैं उससे इस दार्शनिक प्रश्न का कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है | अब जब सब कुछ डिजिटल हो गया हैतो इस ओर हमें विज्ञान सम्मति दृष्टि डालनी होगी कि श्रष्टि में जुड़वा भाई -बहनों का खेल कैसे घटित होता है। लगभग सभी धर्म यह मानते हैं कि उनके महानतम पैगम्बर ईश्वरीय शक्तियों द्वारा जन्माये गये थे । यदि नारी से उनका जन्म हुआ भी हैतो यह जन्म किसी पुरुष के सहवास के कारण नहीं हुआ बल्कि देवी कृपा से या रहस्यमयी अशरीरी मिलन प्रक्रिया से पर अब सम्भवत : हर सभ्य नर -नारी यह जानता है कि नयी श्रष्टि के लिये नर और नारी का मिलन आवश्यक है । यह मिलन चाहे शारीरिक हो चाहे प्रयोगशालाओं में यान्त्रिक क्रियाओं द्वारा सम्पन्न किया जाय। Egg और Spin के मिलन के बिना नयी श्रष्टि सम्भव नहीं है। आज विज्ञान नें हमें वह साधन दे दिये हैं कि मैथुन को प्रजनन से अलग कर एक स्वतन्त्र रूप पा जाने की क्षमता मिल गयी है पर हम बात कर रहे थे Twins की । कई बार हम पाते हैं कि किसी माँ -बाप के बच्चे अलग -अलग समय में जन्म लेकर भी काफी कुछ समानता रखते हैं । कई बार हम पाते हैं कि एक माँ की गोद में एक ही समय कुछ आगे -पीछे जन्में बच्चों में भी काफी समानता होती है पर हम जिसे एक रूपता कहते हैं यानि शरीर की बनावट में किसी भी अन्तर का न होना यह एक रूपता Identical Twins men ही पायी जाती है। प्रजनन विज्ञान इस इस विषय में क्या कहता है इस पर एक नजर डालनी होगी ।
जैसा हम पहले कह चुके हैं प्रकृति के खेल निराले हैं । नर -नारी के सहवास के बाद एक Spin जब किसी एक Egg को Fertilizer कर देता है यानि Egg जीवन्त हो जाता है और एकाध दिन के बाद यह टूटकर दो Eggs में बदल जाता है तो दोनों Eggs में एक जैसे शिशुओं की श्रष्टि होने लगती है चूँकि अण्डा और जीवाणु दोनों एक ही होते हैं और अण्डे के रहस्यमयी दुखण्डी विभाजन से उनके भीतर पलने वाली जीवन की एकरूपता पर कोई अन्तर नहीं पड़ता इसलिए इन दोनों अण्डों में पल रहे शिशु Identical Twins होते हैं। अब Spin में मादा शिशु बनाने की गुणवत्ता है तो दोनों अण्डों से मादा शिशु जन्मेंगें और यदि Spin में नर शिशु बनाने की गुणवत्ता है तो दोनों एक जैसे नर शिशु जन्मेंगें। हमें यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि Identical Twins हमेशा एक ही सेक्स के होंगें यानि लड़के होंगें तो दोनों लड़के ,लडकियां होंगीं तो दोनों लडकियाँ । चूंकि इसमें क्षेत्र और बीज एक जैसा है इसलिए इनकी आकृति तो समान होती ही है इनकी मानसिक और आन्तरिक क्षमतायें भी लगभग सामान होती हैं । यहाँ हम लगभग शब्द का प्रयोग इसलिये कर रहें हैं क्योंकि Identical twins को भी पलनें और बड़ा होने में अधिकतर एक जैसा परिवेश नहीं मिलता । Environment के प्रभाव को देखने के लिए Identical twins को लेकर यूरोप के कई देशों और अमेरिका में कई प्रयोग किये गये हैं । इन प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकाला गया है यद्यपि Environment का प्रभाव पड़ता है पर यह प्रभाव सीमित ही होता है यानि क्षमतायें लगभग एक जैसी होती हैं। इस दिशा में कुछ उदाहरण द्रष्टब्य हैं।
ब्रिटेन में 1972 में एक अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि Identical twins की शारीरिक क्षमतायें लगभग एक सामान होती हैं David और Robert Hold दोनों ही Twins थे और तीब्र धावक के रूप में ख्याति पा गये थे। 10 ,000 मीटर की दौड़ में इन दोनों नें इंग्लैण्ड में टाइम का लगभग एक जैसा रिकॉर्ड कायम किया। David ने 28 . 48 का समय लिया जबकि Robert Hold नें 28 . 398 का इसी प्रकार फिनलैण्ड में दो जुड़वा बहनें कैसा और क्रिस्टी नें एक जैसी दूरी पर जैवलिंग को फेंककर यह मानने पर विवश कर दिया कि Identical Twins की शारीरिक क्षमतायें एक जैसी होती हैं । पश्चिमी जर्मनी में फुटबॉल के दो मशहूर खिलाड़ी Halmut और Arvin लगभग एक जैसे टाइम और एक जैसी चालें फुटबॉल के खेल में ले पाते हैं। इसी प्रकार फ्रांस में Pascal और Patrick 100और 200 मीटर की दौड़ में लगभग एक जैसा समय लेते हैं। योरोप के एक छोटे से देश आस्ट्रिया में पौधों ,पशुओं और और पक्षियों को लेकर Greger Mandel नें हैरीडिटी और एन्वारेंन मेन्ट में पायी गयी समानताओं और विषमताओं पर ठोस वैज्ञानिक शोधे प्रस्तुत की थीं । इसी कारण Mandel को Genetic का महापुरुष माना जाता है उन्ही के नाम पर 1953 में रोम में प्रोफेसर लुविगी गेड्डा नें एक संस्थान कायम किया है जो Twins पर विश्वव्यापी रिसर्च में लगा है । अब हम उन Twins की बात करें जो एक ही अण्डे और एक ही जीवाणु से नहीं जन्मते पर फिर भी माँ के पेट से साथ -साथ जन्म लेते हैं। इनकी संख्या एक रूपीय Twins से लगभग 2 -2. 5 गुना होती है । इनमें काफी विभिन्नता पायी जाती है। इस विभिन्नता का कारण यह है कि इनका जन्म एक ही समय में दो अलग -अलग अण्डों में दो अलग -अलग जीवाणुओ के प्रवेश के कारण होता है । आप जानते ही होंगें कि लिँग यानि सेक्स के निर्माण में अण्डे का कोई हाथ नहीं होता। Egg या अण्डा तो एक क्षेत्र या भूमि है जहाँ भोजन उपस्थित है और बीज की प्रतीक्षा कर रहा है। Egg में भी अर्थचेतना है और Spern में भी अर्धचेतना जब दोनों का मिलन होता है तो एक चेतन सेल बन जाता है और एक से दो और दो से चार की गति से बढ़ता जाता है । अब यदि Spern में नर शिशु बनाने की गुणवत्ता होगी तो तो नर शिशु बनेगा और यदि मादा शिशु बनाने की गुणवत्ता होगी तो मादा शिशु बनेगा । चूंकि दो अलग -अलग अण्डे हैं और दो अलग -अलग Spern इसलिए एक नर शिशु हो सकता है और दूसरा मादा शिशु और यदि दोनों ही Spern एक जैसे है तो दोनों नर शिशु हो सकते हैं या दोनों मादा शिशु हो सकते है इस प्रकार के Twins चूँकि एक ही समय में गर्भ में आ जाते है इसलिए साथ -साथ जन्मते हैं। पर उनमें भिन्नताएं ठीक उसी प्रकार पायी जाती है जैसे अलग -अलग समय में जन्म लेने वाले भाई -बहनों में एक ही माता पिता की कई सन्ताने जो अलग -अलग समय में जन्म लेती है कई बार अद्द्भुत समानता रखती हैं। ऐसा वँश परम्परा के कारण होता है। अंग्रजी की यह कहावत सभी जानते हैं "Like father like Son " बेटा बाप पर थोड़ा बहुत पड़ता ही है । क्या कभी आप नें सोचा है कि आप अधिक लम्बे क्यों नहीं हो सके ?या आपकी आँखें भूरी क्यों हैं ?या आपके बाल किशोरावस्था से ही सफ़ेद क्यों दिखते हैं? या आपकी दन्तावलियाँ ऊबड़ -खाबड़ क्यों बनी हैं ? आदि -आदि इन सबके पीछे बहुत कुछ वंश परम्परा का हाथ है । अब चूंकि वंश परम्परा में भी सैकड़ों -हजारों वर्ष के काल में अनेक बदलाव आते रहते हैं। माँ कहीं से ,पिता कहीँ से ,दादी कहीं से आती है ,दादा कहीं से । कोई लम्बा है ,कोई ठिगना ,कोई किसी बीमारी को अपने में छिपाये है तो कोई स्वस्थ्य लम्बे जीवन की परम्परा को । इन सब कारणों से परम्परा में सतत परिवर्तन चलता रहता है। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि परम्परा ही अन्तिम निष्कर्ष तक पहुँचा सकती है। परम्परा की पीठिका पर हमारे आस -पास का सामाजिक भूगौलिक और प्राकृतिक वातावरण गहरा प्रभाव ड़ालता रहता है । हजारों हजार वर्ष के काल में बुद्धि के विकास नें वंश परम्परा को असंख्य बार चुनौती दी है अब मस्तिष्क के विकासके सम्बन्ध में यह माना जाने लगा हैकि इसमें वंश परम्परा का कोई अधिक महत्वपूर्ण भाग नहीं है। अंग्रेजी में जिसे Nature या Nurture कहते हैं उसमें कम से कम मष्तिष्क के विकास के सम्बन्ध में नर्चर की भूमिका नेचर की भूमिका से कहीं अधिक अहम है । अन्त में चलते -चलते आइये फिर से एक बार बालि और सुग्रीव का जिकर कर लें। अब बालि और सुग्रीव Identical Twins ही थे या एक ही समय में जन्में या अलग -अलग भ्रूणों के विकास के सम्बन्ध में हम कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दे सकते क्योकि शारीरिक एकरूपता होने पर भी बालि की शारीरिक क्षमता सुग्रीव से कहीं बहुत अधिक थी।
( आगे अगले अँक में ………… )
इसमें तो कोई शक नहीँ कि श्रष्टि का जो भी खेल चल रहा है उस सबके पीछे प्रकृति का हाथ है। ब्रम्हाण्ड के इन स्वयं निर्धारित नियमों का संचालन स्वयं होता है या किसी अबूझी ,अन्जानी शक्ति से यह दर्शन का सबसे जटिल प्रश्न है । फिलहाल जिस विषय पर हम बात करने जा रहे हैं उससे इस दार्शनिक प्रश्न का कोई सीधा सम्बन्ध नहीं है | अब जब सब कुछ डिजिटल हो गया हैतो इस ओर हमें विज्ञान सम्मति दृष्टि डालनी होगी कि श्रष्टि में जुड़वा भाई -बहनों का खेल कैसे घटित होता है। लगभग सभी धर्म यह मानते हैं कि उनके महानतम पैगम्बर ईश्वरीय शक्तियों द्वारा जन्माये गये थे । यदि नारी से उनका जन्म हुआ भी हैतो यह जन्म किसी पुरुष के सहवास के कारण नहीं हुआ बल्कि देवी कृपा से या रहस्यमयी अशरीरी मिलन प्रक्रिया से पर अब सम्भवत : हर सभ्य नर -नारी यह जानता है कि नयी श्रष्टि के लिये नर और नारी का मिलन आवश्यक है । यह मिलन चाहे शारीरिक हो चाहे प्रयोगशालाओं में यान्त्रिक क्रियाओं द्वारा सम्पन्न किया जाय। Egg और Spin के मिलन के बिना नयी श्रष्टि सम्भव नहीं है। आज विज्ञान नें हमें वह साधन दे दिये हैं कि मैथुन को प्रजनन से अलग कर एक स्वतन्त्र रूप पा जाने की क्षमता मिल गयी है पर हम बात कर रहे थे Twins की । कई बार हम पाते हैं कि किसी माँ -बाप के बच्चे अलग -अलग समय में जन्म लेकर भी काफी कुछ समानता रखते हैं । कई बार हम पाते हैं कि एक माँ की गोद में एक ही समय कुछ आगे -पीछे जन्में बच्चों में भी काफी समानता होती है पर हम जिसे एक रूपता कहते हैं यानि शरीर की बनावट में किसी भी अन्तर का न होना यह एक रूपता Identical Twins men ही पायी जाती है। प्रजनन विज्ञान इस इस विषय में क्या कहता है इस पर एक नजर डालनी होगी ।
जैसा हम पहले कह चुके हैं प्रकृति के खेल निराले हैं । नर -नारी के सहवास के बाद एक Spin जब किसी एक Egg को Fertilizer कर देता है यानि Egg जीवन्त हो जाता है और एकाध दिन के बाद यह टूटकर दो Eggs में बदल जाता है तो दोनों Eggs में एक जैसे शिशुओं की श्रष्टि होने लगती है चूँकि अण्डा और जीवाणु दोनों एक ही होते हैं और अण्डे के रहस्यमयी दुखण्डी विभाजन से उनके भीतर पलने वाली जीवन की एकरूपता पर कोई अन्तर नहीं पड़ता इसलिए इन दोनों अण्डों में पल रहे शिशु Identical Twins होते हैं। अब Spin में मादा शिशु बनाने की गुणवत्ता है तो दोनों अण्डों से मादा शिशु जन्मेंगें और यदि Spin में नर शिशु बनाने की गुणवत्ता है तो दोनों एक जैसे नर शिशु जन्मेंगें। हमें यहाँ यह ध्यान रखना होगा कि Identical Twins हमेशा एक ही सेक्स के होंगें यानि लड़के होंगें तो दोनों लड़के ,लडकियां होंगीं तो दोनों लडकियाँ । चूंकि इसमें क्षेत्र और बीज एक जैसा है इसलिए इनकी आकृति तो समान होती ही है इनकी मानसिक और आन्तरिक क्षमतायें भी लगभग सामान होती हैं । यहाँ हम लगभग शब्द का प्रयोग इसलिये कर रहें हैं क्योंकि Identical twins को भी पलनें और बड़ा होने में अधिकतर एक जैसा परिवेश नहीं मिलता । Environment के प्रभाव को देखने के लिए Identical twins को लेकर यूरोप के कई देशों और अमेरिका में कई प्रयोग किये गये हैं । इन प्रयोगों से यह निष्कर्ष निकाला गया है यद्यपि Environment का प्रभाव पड़ता है पर यह प्रभाव सीमित ही होता है यानि क्षमतायें लगभग एक जैसी होती हैं। इस दिशा में कुछ उदाहरण द्रष्टब्य हैं।
ब्रिटेन में 1972 में एक अध्ययन के दौरान यह पाया गया कि Identical twins की शारीरिक क्षमतायें लगभग एक सामान होती हैं David और Robert Hold दोनों ही Twins थे और तीब्र धावक के रूप में ख्याति पा गये थे। 10 ,000 मीटर की दौड़ में इन दोनों नें इंग्लैण्ड में टाइम का लगभग एक जैसा रिकॉर्ड कायम किया। David ने 28 . 48 का समय लिया जबकि Robert Hold नें 28 . 398 का इसी प्रकार फिनलैण्ड में दो जुड़वा बहनें कैसा और क्रिस्टी नें एक जैसी दूरी पर जैवलिंग को फेंककर यह मानने पर विवश कर दिया कि Identical Twins की शारीरिक क्षमतायें एक जैसी होती हैं । पश्चिमी जर्मनी में फुटबॉल के दो मशहूर खिलाड़ी Halmut और Arvin लगभग एक जैसे टाइम और एक जैसी चालें फुटबॉल के खेल में ले पाते हैं। इसी प्रकार फ्रांस में Pascal और Patrick 100और 200 मीटर की दौड़ में लगभग एक जैसा समय लेते हैं। योरोप के एक छोटे से देश आस्ट्रिया में पौधों ,पशुओं और और पक्षियों को लेकर Greger Mandel नें हैरीडिटी और एन्वारेंन मेन्ट में पायी गयी समानताओं और विषमताओं पर ठोस वैज्ञानिक शोधे प्रस्तुत की थीं । इसी कारण Mandel को Genetic का महापुरुष माना जाता है उन्ही के नाम पर 1953 में रोम में प्रोफेसर लुविगी गेड्डा नें एक संस्थान कायम किया है जो Twins पर विश्वव्यापी रिसर्च में लगा है । अब हम उन Twins की बात करें जो एक ही अण्डे और एक ही जीवाणु से नहीं जन्मते पर फिर भी माँ के पेट से साथ -साथ जन्म लेते हैं। इनकी संख्या एक रूपीय Twins से लगभग 2 -2. 5 गुना होती है । इनमें काफी विभिन्नता पायी जाती है। इस विभिन्नता का कारण यह है कि इनका जन्म एक ही समय में दो अलग -अलग अण्डों में दो अलग -अलग जीवाणुओ के प्रवेश के कारण होता है । आप जानते ही होंगें कि लिँग यानि सेक्स के निर्माण में अण्डे का कोई हाथ नहीं होता। Egg या अण्डा तो एक क्षेत्र या भूमि है जहाँ भोजन उपस्थित है और बीज की प्रतीक्षा कर रहा है। Egg में भी अर्थचेतना है और Spern में भी अर्धचेतना जब दोनों का मिलन होता है तो एक चेतन सेल बन जाता है और एक से दो और दो से चार की गति से बढ़ता जाता है । अब यदि Spern में नर शिशु बनाने की गुणवत्ता होगी तो तो नर शिशु बनेगा और यदि मादा शिशु बनाने की गुणवत्ता होगी तो मादा शिशु बनेगा । चूंकि दो अलग -अलग अण्डे हैं और दो अलग -अलग Spern इसलिए एक नर शिशु हो सकता है और दूसरा मादा शिशु और यदि दोनों ही Spern एक जैसे है तो दोनों नर शिशु हो सकते हैं या दोनों मादा शिशु हो सकते है इस प्रकार के Twins चूँकि एक ही समय में गर्भ में आ जाते है इसलिए साथ -साथ जन्मते हैं। पर उनमें भिन्नताएं ठीक उसी प्रकार पायी जाती है जैसे अलग -अलग समय में जन्म लेने वाले भाई -बहनों में एक ही माता पिता की कई सन्ताने जो अलग -अलग समय में जन्म लेती है कई बार अद्द्भुत समानता रखती हैं। ऐसा वँश परम्परा के कारण होता है। अंग्रजी की यह कहावत सभी जानते हैं "Like father like Son " बेटा बाप पर थोड़ा बहुत पड़ता ही है । क्या कभी आप नें सोचा है कि आप अधिक लम्बे क्यों नहीं हो सके ?या आपकी आँखें भूरी क्यों हैं ?या आपके बाल किशोरावस्था से ही सफ़ेद क्यों दिखते हैं? या आपकी दन्तावलियाँ ऊबड़ -खाबड़ क्यों बनी हैं ? आदि -आदि इन सबके पीछे बहुत कुछ वंश परम्परा का हाथ है । अब चूंकि वंश परम्परा में भी सैकड़ों -हजारों वर्ष के काल में अनेक बदलाव आते रहते हैं। माँ कहीं से ,पिता कहीँ से ,दादी कहीं से आती है ,दादा कहीं से । कोई लम्बा है ,कोई ठिगना ,कोई किसी बीमारी को अपने में छिपाये है तो कोई स्वस्थ्य लम्बे जीवन की परम्परा को । इन सब कारणों से परम्परा में सतत परिवर्तन चलता रहता है। पर हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि परम्परा ही अन्तिम निष्कर्ष तक पहुँचा सकती है। परम्परा की पीठिका पर हमारे आस -पास का सामाजिक भूगौलिक और प्राकृतिक वातावरण गहरा प्रभाव ड़ालता रहता है । हजारों हजार वर्ष के काल में बुद्धि के विकास नें वंश परम्परा को असंख्य बार चुनौती दी है अब मस्तिष्क के विकासके सम्बन्ध में यह माना जाने लगा हैकि इसमें वंश परम्परा का कोई अधिक महत्वपूर्ण भाग नहीं है। अंग्रेजी में जिसे Nature या Nurture कहते हैं उसमें कम से कम मष्तिष्क के विकास के सम्बन्ध में नर्चर की भूमिका नेचर की भूमिका से कहीं अधिक अहम है । अन्त में चलते -चलते आइये फिर से एक बार बालि और सुग्रीव का जिकर कर लें। अब बालि और सुग्रीव Identical Twins ही थे या एक ही समय में जन्में या अलग -अलग भ्रूणों के विकास के सम्बन्ध में हम कोई स्पष्ट निर्णय नहीं दे सकते क्योकि शारीरिक एकरूपता होने पर भी बालि की शारीरिक क्षमता सुग्रीव से कहीं बहुत अधिक थी।
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