Friday, 5 April 2013

Possession in fact and Possession in law

                                        Possession  in fact and Possession in law  

            कब्जा कानून के अध्येता यह जानते ही हैं कि वास्तविक कब्जा और कानूनी कब्जा में काफी कुछ अन्तर होता है।  वास्तविक कब्जा का अर्थ है कि किसी वस्तु और व्यक्ति के बीच कैसा सम्बन्ध है। जो वस्तुयें आपके हाँथ में हैं उनपर आपका कब्जा है ,जो कपड़े आप पहने हैं उन पर भी आपका कब्जा है और जो चीजें आपके अधिकार में हैं उन पर भी आपका कब्जा है। कब्जा का अर्थ है आपके शारीरिक अधिकार में होना , मान लीजिये कि आपने एक सुग्गा पकड़ा और उसे पिजड़े में डाल  दिया जब तक वह पिजड़े में है और उस पिजड़े पर आपका अधिकार है तब तक  वह सुग्गा  आपके कब्जे में है । पर यदि वह सुग्गा पिजड़े से निकल कर उड़ जाता है ।  तो उसपर  आपका कब्जा नहीं रहता यहाँ यह बात ध्यान देने योग्य है कि कोई भी वस्तु जो आपके अधिकार में है यह माँग नहीं करती कि आप प्रत्येक क्षण उस पर अपना कब्जा बनाये रखें ,अपने कोट पर आपका अधिकार है पर यदि आप कोट उतारकर पास में रख लें और आपको झपकी आ जाय तब भी उस कोट पर आपका कब्जा बना रहता है हाँ इतना अवश्य होना चाहिये कि हम जब चाहें अपने कब्जे की वस्तु पर अपना अधिकार जमा सकें। प्रत्येक समय कब्जा की हुयी वस्तु पर अधिकार नहीं रखा जा सकता।  छोटी -मोटी चीजें जिन्हें हाँथ में लिया जा सकता है सदैव हमारे कब्जे में रह सकती हैं पर बड़ी चीजें जैसे पशु और पक्षी पिजड़ों में बन्द करके ही कब्जे में रखे जा सकते हैं। बड़ी और गति हीन वस्तुयें जैसे घर ,बाग भी हमारे कब्जे में मानी जायेंगी भले ही हम उनसे कई किलोमीटर की दूरी में हों यदि हमारा अधिकार उनपर स्वीकार किया जाता है और दूसरे लोग हमारे उस अधिकार को चुनौती नहीं देते हैं। कानूनी कब्जे का अर्थ है क़ानून की निगाह में हकदार होना। हो सकता है कानूनी हकदार के पास वस्तु का वास्तविक कब्जा न हो पर क़ानून से    यदि  उसे यह हक़ मिलता है तो क़ानून उस वस्तु पर वास्तविक कब्जा भी दिलवा देता है । क़ानून से हक़ साबित हो जाने पर उस व्यक्ति पर नुकसान की भरपायी का दावा भी किया जा सकता हैजिसने बिना कानूनी अधिकार के वस्तु को कब्जे में कर रखा है ।१ ९ ६ ७ में सुप्रीम कोर्ट नें मंगल सिंह v /s श्री मती रत्ना के केस में जो निर्णय दिया। वह कानूनी कब्जे की अच्छी व्याख्या प्रस्तुत करता है। इस केस में एक हिन्दू विधवा अपने पति की जायदाद पर काबिज थी। १ ९ ५ ४  में उससे कब्जा छीनकर दूसरों को दे दिया गया। हिन्दू विधवा नें जायदाद पर कब्जे की माँग के लिये काबिजों पर मुकदमा चलाया। मुकदमें के दौरान जून १ ७ ,१ ९ ५ ६ को Hindu Succession Act बन गया और लागू हो गया। हिन्दू विधवा १ ९ ५ ८ में दिवंगत हो गयी और उसकी प्रतिनिधि श्रीमती रत्ना ने उसका स्थान लिया काबिज लोगों के वकीलों ने यह दावा किया कि हिन्दू विधवा न तो Act के शुरुआत पर और ना ही अपनी म्रत्त्यु के समय जायदाद की असली काबिज थी इसलिये Act का Section 1 4  उस पर लागू नहीं होता। सुप्रीम कोर्ट के जजों नें काबिजों के इस तर्क को स्वीकार नहीं किया और यह माना कि १ ९ ५ ८  में जब विधवा की म्रत्यु हुई तब वह कानूनी रूप से जायदाद पर काबिज थी और इसलिए उसकी म्रत्यु के बाद उसके कानूनी वारिस को कब्जा मिलना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा।
                "  The property is said to be possessed by a person, if he is its owner even though he may,for the time being , be out of actual possession or even constructive possession.
                   It appears to us that the expression used in section 14( |  )of the Act was intended to cover cases of possession in law also ,where lands may have descended to a female Hindu and she had not actually  entered  them  into them ."
               आइये पजेशन इन फैक्ट और पजेशन इन ला को और अधिक स्पष्ट करने के लिये एकाध कल्पित प्रश्नों का उत्तर तलाशें। मान लीजिये कि ए  ने बी को एक अलमारी बेच दी भूल से अलमारी की एक गुप्त Recess में सोने की चैन रह गयी। बी ने यह अलमीरा सी को बेच दी और सी ने इसे डी के हांथों विक्रय कर दिया।स्पष्ट है कि अल्मिरा का Possession  in fact ए के हांथों से बी के हांथों में चला गया और बी से सी तक होता हुआ Possession in fact डी के हाँथों तक पहुच चुका है। अब ए को जरूरत पड़ने पर अलमारी के गुप्त रेसस (Recess)में रखी हुयी सोने की चैन की याद आती है। वह चेन का Possession in law के आधार पर हकदार है जबकि अल्मिरा Possession in fact के  आधार पर दूसरे के कब्जे में है। सवाल उठता है क्या ए को उस सोने की चेन पर कानूनी दावे के द्वारा कब्जा पाने का अधिकार है या नहीं इसका कानूनी उत्तर यही है कि ए  को अपनी सोने की चेन पाने का अधिकार है चूँकि अब अल्मिरा डी के Possession in fact में है इसलिए वह डी पर केस डाल  सकता है । Possession को सम्पूर्णत: देने के लिये अनिमिन्स (Intent) Corpus (Physical Possession)दोनों का होना अनिवार्य है। ए ने जब अल्मिरा बेची थी तब उसने सोने की चेन की कीमत नहीं ली थी। तब उसको उसका ज्ञान ही नहीं था इसलिए सोने की चेन में Physical Possession न होकर भी Possession in law बना रहेगा । क़ानून उसे चेन का Physical possession भी दिलायेगा । 
                                        १  ८ ४ १  में Merry V /S Green के केस में ऐसा ही फैसला इंग्लैण्ड के जज Baron Park ने दिया था । फैसले में कहा गया था कि अल्मिरा का Physical  Possession अल्मिरा में रखे हुये और किसी वस्तु का Possession नहीं हो सकता क्योंकि अल्मिरा ही बेची गयी थी न कि उसके अन्दर कोई रखी हुई  वस्तु । 
             आइये एक और उदाहरण से इस बात को स्पष्ट करें। मान लीजिये कि ए  ने बहुत दिनों से बंन्द  खाली पड़े अपने शो रूम को साफ़ करने के लिए बी को काम पर रखा। सफाई के दौरान बी को सोने की एक अंगूठी कोने में पड़ी मिली क़ानून के सभी पण्डित इस बात से सहमत होंगे यद्यपि बी के पास सोने की अंगूठी का Physical Possession है पर उसका Legal Possession स्टोर के मालिक का ही होगा अगर बी उसे Legal Owner को नहीं देता तो ए को क़ानून के द्वारा अंगूठी पर Physical Possession प्राप्त करवाया जा सकता है। South Strajord shine Water Co.V/S Sherman के केस में एक ऐसी ही घटना पर कोर्ट नें इम्प्लायर (मालिक ) को Possession का हकदार ठहराया था । 
               
                                        

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