महाभारत में यक्ष के इस प्रश्न के उत्तर में कि संसार का सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है? युधिष्ठिर ने जो उत्तर दिया था उस उत्तर से भारत का हर प्रबुद्ध नर-नारी परिचित है पर एक बहुत बड़ा आश्चर्य जो राजनीति की दुनिया में घटित हो रहा है उसका उत्तर दे पाना भी धर्मराज युधिष्ठिर जैसी विलक्षण प्रतिभा की मांग करता है। ‘माटी’ जिन घरों में पढ़ी जाती है उन घरों में प्रतिदिन परिवर्तित हो रही राजनीतिक परिस्थितियों का विवेकपूर्ण विवेचन तो होता ही रहता है। आप सबने पढ़ा ही होगा कि तमिलनाडू के पूर्व मुख्यमंत्री श्री करूणानिधि की बेटी कनीमोरी जो राज्य सभा की मनोनीत सदस्या है। शुक्रवार 20 मई 2011 को तिहार जेल में भेज दी गयीं उन्हें जेल नं0 6 में जिस कोठरी में रखागया है उसकी लम्बाई, चौड़ाई 15ग10 फीट है। जेल नं0 6 में ही पहले भी कई जानी मानी झूठी प्रतिष्ठा पाने वाली नारियां कैद भुगतती रही है। ‘माटी’ के पाठक ऐसे कुछ नामों से परिचित ही होंगे। इस्लामाबाद के इण्डियन हाई कमीशन दफ्तर में माधुरी गुप्ता जी एक उच्च पद पर आसीन थी। वे भारत की प्रशासनिक सेवा में से हैं। उन्हें जब पाकिस्तान के लिये जासूसी करने के अपराध में गिरफ्तार किया गया था तो जेल नं0 6 में ही रखा गया था। एक उच्च प्रशासनिक अधिकारी और वह भी भारतीय संस्कृति में मातृत्व के गौरव की अधिकारिणी यदि अपने देश के राज शत्रु देश में पहुंचाने लगे तो इससे बड़ा दुर्भाग्य देश के लिये क्या हो सकता है। सरकार के सामने उन्हें जेल नं0 6 मंे रखने के अलावा चारा ही क्या था। इसी प्रकार सोनू पंजाबन नाम की ऊचीं सोसायटी में रहने वाली एक स्त्री दलाल जो दिल्ली और उसके आस-पास वैश्यावृत्ति का धन्धा चला रही थी और पवित्रता का आवरण ओढ़ कर कितनी ही युवतियों को घृणित वासना का मार्ग दिखा रही थी जब गिरफ्तार हुई थी तो उसे भी जेल नं0 6 में रखा गया था। शारदा जैन जिसे दिल्ली नगर परिषद के सदस्य आत्माराम गुप्ता की हत्या की साजिश में अपराधी घोषित किया गया था और जिसे कोर्ट से उम्र कैद की सजा मिली थी उसे भी तिहार के जेल नं0 6 में रखा गया था पर कनीमोरी की गिरफ्तारी और जेल नं0 6 में उनका निवास देश भर के अखबारों में सबसे बड़ी सुर्खी बनकर छाया रहा जब स्पेशल ब्ण्ठण्प्ण् कोर्ट ने उनकी जमानत की अर्जी नामंजूर कर दी तो एक नारी पुलिस आफीसर ने उनका हाथ पकड़ कर उन्हें पटियाला हाउस काम्पलेक्स से बाहर निकाला और वे जेल नं0 6 में भेज दी गयी जेल के अधिकारी यह कहते हैं कि कनीमोरी को पढ़ने के लिये अखबार, देखने के लिए टेलीविजन सेट और हवा के लिये एक सीलिंग फैन और सोने के लिये एक चारपायी दी जायेगी। 15ग10 फीट की इस कोठरी में कनीमोरी को काफी तकलीफ महसूस होगी क्योंकि चेन्नई की ब्ण्प्ण्ज्ण् कालोनी में अपने जिस राजसी बंगले में वे रहती थीं वहां एयर कंडीशनिंग समेत आधुनिक जीवन की सभी
सुविधायें उपलब्ध थी। कहां राजमहल कहा 15ग1 फीट की लगभग सुविधा शून्य चारपायी पर सोने की दुनिया। 43 वर्षीय कनीमोरी की जमानत जब जब्त हो गयी और उन्हें जेल की ओर ले जाया जाने लगा तो उनकी आंखों में आंसू भर आये। महान् माने जाने वाले करूणानिधी की दूसरी पत्नी राजथी कभी यह सोच भी नहीं सकती थी कि उसे अपने जीवन में यह दिन भी देखने को मिलेगा। खुशी की बात है कि उनके पति अरिविन्दन कोर्ट में मौजूद थे और उन्होंने इस विपत्ति में धैर्य रखने का साहस उनके प्रति अपना प्यार जता कर किया। शायद ‘माटी’ के कुछ पाठक इस बात से परिचित न हो कि कनी मोरी पर कौन से जुर्म लागू किये गये हैं। कलिगनार टी.वी. में उनके 20ः शेयर है और उनकी कम्पनी को शाहिद बलवा के द्वारा 200 करोड़ रूपये पहुंचाये गये। शाहिद बलवा की एक फर्म स्वान टेलीकाम को पूर्व दूरसंचार मंत्री ए. राजा ने फेवर कर अरबों का फायदा पहुंचाया था। इस फेवर के लिये कनीमोरी की सिफारिशांे को जिम्मेवार ठहराया गया है और इसी फेवर के लिये शाहिद बलवा ने 200 करोड़ रूपये कलगनार टी.वी. को चुकाये। तिहार जेल में ही जेल नं0 6 से कुछ दूरी पर जेल नं0 4 है। इस जेल में कनीमोरी के साथ कलगनार टी.वी. के मैनेजिंग डायरेक्टर शरद कुमार को रखा गया है। उन पर भी हेरा फेरी के द्वारा ए. राजा के माध्यम से करोड़ों रूपये जुटाने का आरोप है। इसी जेल नं0 4 में अभय कुमार श्रीवास्तव भी बन्द है जो नाल्कों के पिछले चीफ मैनेजिंग डायरेक्टर थे। और जेल नं0 4 में ही कामनवेल्थ गेम्स में सरकार को 90 करोड़ का चूना लगाने वाले सुरेश कल्माणी जी भी हवा खा रहे हैं। कल्माणी पर अभी और कई आरोपपत्र दाखिल हुए है। देखते जाइये सी.बी.आई. क्या क्या गुल खिलाती है?
पर अब जो प्रश्न हम सब साधारण जन के दिमाग में उठता है वह यह है कि यदि सत्ता के शीर्ष पर बैठे पुरूष और नारी राजनीतिक प्रतिनिधियों और अपराधियों का इतना गहरा चारित्रिक पतन हो चुका है तो क्या भारतीय राष्ट्र के लिये कोई आशा की किरण दिखायी पड़ती है। ऊपर हमने कुछ ही नाम गिनाये हैं और पिछले कई अनेक नाम इसमें जोड़े जा सकते हैं। सत्यम घोटाले से आदर्श हाउसिंग घोटाले तक भ्रष्टाचार का लम्बा सफर चलता ही रहा है और लगता है इस मंजिल पर चलने वालों में अभी भी कोई अच्छी खासी कमी नहीं आयी है
नितिन गडकरी जी यह कह कर भले ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री यदुरप्पा का बचाव कर ले ंकि प्लाट आबंटन में उन्होंने जो कुछ किया है वह गैर कानूनी नहीं है हाँ अनैतिक अवश्य कहा जा सकता है। कई बार साधारण जन को ऐसा लगता है कि सी.बी.आई भी अपराधियों को सरकार के इशारे पर बचाने की कोशिश करती है और कई बार ऐसा लगता है कि सी.बी.आई. बिल्कुल सही ढंग से अपराधी तत्वों को दंडित करवाने की ओर बढ़ रही है। हम यहां जिन अपराधियों की बात कर रहे हैं वे कोई हजार, लाख, करोड या दस करोड़ का घोटाला करने वाले अपराधी नहीं है उनमें से अधिकांश अरबपति है। उनके परिवार की कई पीढ़िया बिना किसी कामकाज किये ऐश्वर्य का जीवन जी सकती है पर फिर भी उनकी दानवीय भूख नहीं मिटती। खाने को दो, खाने को दो क्या सोना, रत्न, डालर, यूरो ओर लम्बे चौड़े भूमिखण्ड। उनका हाज्मा इतना दुरूस्त है कि वे अन्न तो क्या धातुओं और भूखण्डों की पथरीली पर्तों को भी चबा कर हजम कर लेते हैं शायद इसीलिये वे विदेशों के बराबर चक्कर लगाया करते हैं क्योंकि वहां के और दूर दराज के टापू देशों के कितने ही बैंक जमीन के नीचे छिपी अपनी तिजोरियों में हाज्में की अचूक गोलियां छिपायें हैं। वाराणसी में उत्तर-प्रदेश के कांग्रेसी सम्मेलन में कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कनीमोरी के गिरफ्तारी के एक दिन पहले या शायद उसी दिन इस बात पर जोर दिया था कि केन्द्र की कांग्रेस सरकार भ्रष्टाचार को मिटाने के लिये जितना काम कर रही है उतना काम अन्य किसी पार्टी की सरकार ने कभी नहीं किया। यह कहना कि उनकी इस बात में कोई सच्चायी नहीं है, ठीक नहीं लगता पर यह कहना कि उनकी बात में शत प्रतिशत सच्चायी है भी ठीक नहीं लगता। भ्रष्टाचार मिटाना तो सरकार का काम ही है, अपराधियों का पकड़ना और जेल के सिक्चों के पीछे डालना तो सरकार का काम ही है। पाकेट मार, उठाई चोर और टुच्चे अपराधी पुलिस की पकड़ में आते ही रहते हैं पर हवाई जहाजों और चार्टर्ड प्लेनों में उड़ने वाले सारी धरती के कोने कोने में अपराध के बीज बोने और जाल बिछाने वाले अपराधियों को यदि राज्य सरकारे और विशेषतः केन्द्र सरकार पकड़ कर यदि दंडित करने में समर्थ नहीं होगी तो देश की शासन व्यवस्था का अर्थ ही क्या है । कौन कितने एकड़ के बंगले में रह रहा है और किसके पास कितने निजी सेवक या स्वास्थ्य और सुख सुविधायें है इन बातों को लेकर ही यदि चुनाव लड़े जाते हैं तो जनतंत्र की परिभाषा ही बदलनी होगी। भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता प्रकाश जावेडकर के इस कथन मंे भी कुछ सच्चायी झलकती दिखायी पड़ती है कि ए.राजा और कनीमोरी की गिरफ्तारी इसलिये संभव हो पायी है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 2ळ स्पेक्ट्रम घोटाले को अपनी देख रेख में ब्ण्ठण्प्ण् द्वारा जांच करवा रहा है राजनीतिक पार्टियां परस्पर विरोधी बातें करती ही रहती है, शायद करना भी चाहिए पर नीति संचालित राजनीति को राष्ट्र हित का ध्यान सदैव रखना होगा।
श्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी ने शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही यह घोषणा कर दी कि 400 एकड़ जमीन सिंगूर के किसानों को लौटा दी जायेगी, बाकी के अधिग्रहीत भू भाग पर यदि टाटा चाहे तो अपना कोई कारखाना लगा सकते हैं। ‘माटी’ इसे किसानों, यानि सामान्य जनों और खरबपतियों के बीच एक तालमेल स्थापित करने का प्रचार मानती हैं। समान्वित विकास टकराव से नहीं होता सहयोग से होता है। हरियााणा के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह हुडा के इस कथन की मार्मिकता हमें छू लेती है कि जो कुर्सी का कांटा होता है उसका नशा तो कभी उतरता ही नहीं। उनकी बात को आगे बढ़ाते हुए हम कह सकते है कि और नशे उतर जाते हैं यहां तक कि सांप और बिच्छू के काटने का जहर भी समाप्त किया जा सकता है पर जो कुर्सी का कांटा है उसे स्वप्न में भी कुर्सी ही दिखायी पड़ती है इसका यह मतलब नहीं है कि भूपेन्द्र सिंह हुडा राजनीति को सन्यास से जोड़ना चाहते हैं। यद्यपि वे बार-बार यह कह रहे हैं कि जब कभी जनता चाहेगी वे इस्तीफा दे देंगे। पर इतना तो स्पष्ट है कि केवल सत्ता में आने के लिये और उस सत्ता का पारिवारिक या कौटुम्बिक दुरूपयोग करने के लिये जो प्रदेशीय या राष्ट्रीय नेता कार्यरत रहते हैं उन्हें शर्म से अपना सिर झुका लेना चाहिए। राष्ट्र की केन्द्रीय सरकार को कई बार ललकार लगाने वाले करूणानिधी जी अपने परिवार के कारण ही 85-86 वर्ष की उम्र में जिस मानसिक यंत्रणा से गुजर रहे होंगे उसका अन्दाज लगाना भी मुश्किल है यह दूसरी बात है कि वे हेकड़ी भरी अपनी बेसिर पैर की उक्तियां दोहराते रहें। हां उनका एक वाक्य जरूर बाहरी मार करता है। तमिल नाडू में जय ललिता की पार्टी ।ण्प्ण्क्ण्डण्ज्ञण् से हार खाने के बाद उन्होंने कहा कि जनता ने उन्हें सन्यास लेने का मौका दिया है और जनता की इस राय को वह सिर माथे स्वीकार करते हैं। सत्ता के शानदार दिनों में भारत की ब्राह्मण मान्यताओं से भरी सामाजिक संस्कृति को नकारने वाला यह अनीश्वरवादी नेता जीवन की संध्या में यदि राजनीति से सचमुच सन्यास ले ले तो यह भारतीय दर्शन की विजय ही होगी। भारत के चार राज्यों के चुनाव की चर्चा के कारण पिछले दिनों की कुछ महत्वपूर्ण घटनायें इन दिनों समाचार पत्रों में मुख्य सुखिर्या नहीं पा रही है उदाहरण के लिये अन्ना हजारे की नागरिक समिति के सदस्यों और केन्द्रीय मंत्रिमण्डल के प्रतिनिधियों के बीच हुई मीटिंगों में भ्रष्टाचार निरोधी बिल पर कहां तक सहमति हो पायी है इस दिशा में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है। श्री कपिल सिब्बल द्वारा बार-बार यह कहा जाता रहा है कि भ्रष्टाचार निरोधी बिल संसद के मानसून सत्र में पेश कर दिया जायेगा और अभी कमेटी के को-कन्वीनर शांति भूषण जी का एक स्टेटमेन्ट आया है जिसमें उन्होंने कहा है कि कई महत्वपूर्ण मामलों में असहमति बनी हुई है और अगर जल्दी-जल्दी मीटिंग न बुलाई गयी तो जून तक सर्वसम्मति बिल का ड्राफ्ट बनना मुश्किल होगा। केन्द्रीय सरकार को इस दिशा में और अधिक सजग होकर काम करना है यदि एक प्रभावशाली एन्टी करप्श्न बिल संसद के दोनों सदन पास कर दें और बिल पास होने की अनुमति सर्व पार्टी आधार पर मिल जाय तो भ्रष्टाचार उन्मूलन की दिशा में यह आज तक का सबसे सार्थक बिल होगा। इधर बाबा रामदेव 4 जून से दिल्ली में अनशन करने का निश्चिय किये बैठे हैं। वे हमारे एक जाने माने योगा गुरू हैं और उनकी ईमानदारी पर किसी को कोई सन्देह नहीं है पर उनकी कुछ मांगे तर्क की कसौटी पर खरी नहीं उतरती। अभी पिछले दिनों मैं एक जूते की दुकान पर अपने लिये रिलेक्सों के जूतों का एक जोड़ा और म्ेबवतज की खुली चप्पलों को खरीदने के लिये गया था बातों बातों में मैंने दुकान के तरूण मालिक से यह पूँछा कि बाबा रामदेव यह कह रहे है कि 500 रूपयें के नोटों और हजार रूपये के नोंटो का चलन बन्द कर दिया जाय क्योंकि ब्लैक का रूपया इन्हीं बड़े नोटों से सुरक्षित किया जाता है। तरूण मालिक ने जो उत्तर दिया वह विचार के लायक हैं। उसने कहा बाबा रामदेव का मैं आदर करता हँू उनके व्यक्तित्व में भारत की सच्ची संस्कृति झलकती हैं। पर यदि 1000 और 500 रूपये के नोट बन्द कर दिये जांय तो मेरी तो दुकानदारी ही चौपट हो जायेगी। यहां तो छोटा मोटा खरीददार भी 500 का नोट पकड़ाता है। और कई जूतों के ब्रैंड 1000 रूपये से कम कीमत की बात ही नहीं करते। उसने आगे कहा कि विदेशी तिजोरियों से धन पहले निकलवा लिया जाय, देशी तिजोरियाँ तो देश की सरकार जब चाहे खुलवा सकती है हाँ बाबा रामदेव की इस बात में जरूर दम लगता है कि सरकार सम्मान का झूठा मुखौटा चढ़ाये उन लोगों का नाम उजागर करें जिनकी ब्लैकमनी विदेशी बैंकों में जमा हैं। और जिनकी लिस्ट भारत सरकार के पास मौजूद है। इसके साथ ही शासकों को सादगी से रहने की उनकी अपील भी मन को छू लेती है। ‘माटी’ चाहेगी कि बाबा रामदेव का जीवन दाँव पर न लगे और वे स्वस्थ्य रह कर लम्बे समय तक भारति kmयों को चरित्र निर्माण का मार्गदर्शन देते रहे।
सहस्त्रों वर्षों से धर्म, नीति शास्त्र, समाज व्यवस्था और मानवीय आदर्शों पर स्थापित शासन व्यवस्था इस प्रयास में लगी रही है कि मनुष्य पशुवृत्ति से ऊपर उठ कर विश्व मानवता के धरातल पर जिये। सरल शब्दों में सहस्त्राब्दियों से यह प्रयास होता रहा है कि प्रत्येक सभ्य मनुष्य निजी स्वार्थ से ऊपर उठकर राष्ट्रहित और मानव हित में चिन्तन और आचरण की प्रक्रिया प्रारम्भ करें। विश्व के महान् चिन्तकों, विचारको, सन्तो, धर्मगुरूओं, धर्म संस्थापकों की लम्बी सूची बना कर यह दिखाया जा सकता है कि सभी ने केवल यह कहा है कि हमें सच्चे अर्थों में मनुष्य बनना चाहिए। इन्सान होना, सच्चा आदमी होना संम्भवतः मनुष्य के जीवन में सबसे कठिन काम है। बिल गेट्स, वारेन वफै, अजीम प्रेम जी, टाटा और बिड़ला सभी ने भौतिक ऐश्वर्य की उच्चतम चोटियां लांघ डाली है पर वे सभी अभी तक सच्चे इन्सान बनने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे चुने हुए प्रतिनिधि, हमारे मंत्री, मुख्य मंत्री और केन्द्र स्तर पर कैबिनेट मंत्री और प्रधानमंत्री सभी को यह देखना होगा कि केवल उनका अपना जीवन ही पवित्र, बेदाग और आदर्श न हो बल्कि उनके परिवारजनों और निकट सम्बन्धियों का जीवन भी आलोचना से ऊपर दिवाकर जैसा प्रभामय हो। शैक्सपियर की प्रसिद्ध उक्ति हमें सदा ध्यान रखनी होगी, -‘‘सीजर को सन्देह से परे रहना ही है पर उससे भी बड़ी नजीर होगी सीजर की पत्नी को सन्देह से परे रहना।’’ हम सब देवता बनने का प्रयास करते हैं और देवताओं की पूजा करते हैं पर इन्सान बनना शायद देवत्व पाने से भी बड़ी उपलब्धि है। तभी तो महाराष्ट्र के सन्त ने गाया है ‘‘साबार ऊपर मानुष भाई’’। और ऊर्दू की निम्नलिखित शेर इस भाव को और अधिक स्पष्टता से व्यक्त, करती हैः- ‘‘मानता हँू हो फरिश्ते शेख जी, आदमी होना मगर दुश्वार है।’’ क्या हमारे राजनीति के दिग्गज आदमी बन सकेंगे
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