आत्मवादी विचारक उस रहस्यमयी साधना की वकालत करते हैं जो मानव को जीवन मरण के चक्र से मुक्ति दे सके | अनात्मवादी विचारक मुक्ति ,निर्वाण ,मोक्ष ,कैवल्य या स्वर्गारोहण जैसी मानसिक स्थितियों को एक मिथकीय आभाष के अतिरिक्त और कोई महत्त्व नहीं देना चाहते | पर इतना तो वे भी मानते हैं कि जन्म और मृत्यु के बीच का देह यापन काल सामाजिक सेवा में अर्पित कर देनें से अस्तित्व की सार्थकता उपलब्ध की जा सकती है | दोनों ही विचारधाराओं के महान चिन्तक जिस केन्द्र बिन्दु को जीवन सार्थकता का अनिवार्य तत्व मानते हैं वह है दीर्घ कालीन सभ्यता में अर्जित स्थायी जीवन मूल्यों के लिये अथक प्रयास और स्वैच्छिक उत्सर्ग | इस कसौटी पर कानपुर नगर में सामाजिक सेवा में रत बहुसंख्यक महान पुरुषों में प्रातः स्मरणीय श्री गणेश शंकर विद्यार्थी जी शीर्षस्थ स्थान पर बैठनें के सच्चे हकदार हैं | पत्रकारिता के माध्यम से उन्होंने मानव मूल्यों की जो पहचान जनमानस पर बनायी वह उनके काल में तो सार्थक थी ही पर उसकी सार्थकता आज के सन्दर्भ में और अधिक महत्वपूर्ण हो गयी है | और सच पूछो तो न केवल आज बल्कि आनें वाले कल और आगत शताब्दियों में भी जैसे -जैसे मानव की भूमण्डलीय पहचान स्थापित होगी वैसे -वैसे उसकी सार्थकता और अधिक विस्तार पाती रहेगी | गणेश शंकर जी का जीवन मानव भविष्य के उस स्वर्णिम विकास के लिये नींव के पत्थर का काम कर सकेगा जिसका स्वप्न महर्षि अरविन्द ,गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ,और महात्मा गांधी नें देखा था | किसी भी देश का अतीत अपनें में विरोधी सम्भावनायें छिपाये रहता है | उसमें काफी कुछ चमकदार और टिकाऊ होता है पर चमकदार परतों के बीच में बहुत कुछ मलिन और उपेक्षणीय भी छिपा रहता है | मध्यकालीन इतिहास में धर्म और मजहब के नाम पर कुछ ऐसे धब्बे हिन्दुस्तान की सामासिक जीवन पद्धति पर छोड़ रखे हैं जिन्हें हम शब्दों की किसी भी कलाबाजी से मिटा पानें में असमर्थ रहे हैं | राष्ट्रपिता नें अंग्रेजों से स्वतन्त्रता की लड़ाई लड़ते हुये यह कभी नहीं कहा था कि हमें अंग्रेज जाति से घृणां करनी चाहिये | वस्तुत:घृणां की कुत्सित मनो लहर उनके मानस जगत से सदैव के लिये विलुप्त हो गयी थी | श्रद्धेय गणेंश शंकर जी अतीत को भुलाकर उसी भारत निर्मांण का स्वप्न देखते थे ज़िसका आधार गांधी ,नेहरू ,मौलाना आजाद ,और रफ़ी अहमद किदवई रख रहे थे |
भारत नें बहुत बड़े -बड़े बलिदान देखें हैं इन बलिदानों ने न जानें कितनें महाकाव्यों को जन्म दिया है पर मेरी समझ में श्रद्धेय गणेंश शंकर विद्यार्थी का बलिदान साम्प्रदायिक है | सौहाद्र के लिये किये गये बलिदान की सबसे प्रेरक और अनूठी मिसाल है | मृत्यु तो एक अमिट सत्य है | पर गणेश शंकर जी नें मृत्यु को वरण करके मृत्यु को पछाड़ दिया | मौत भले ही हर जगह अपनी विजय पताका फहराती हो पर उन्होंने मौत की छाती पर आदर्श की अमरता का विजय स्तम्भ खड़ा कर दिया | उनके जीवन की घटनाओं पर विद्वान वक्ताओं ने अपनीं प्रेरक व्याख्यायें प्रस्तुत की हैं और पत्रकार के रूप में उनकी महानता को वस्तुपरक विश्लेषण के द्वारा प्रस्तुत किया है | मैं श्रद्धेय गणेंश शंकर जी के जीवन की महानता को विशेषणों से घेरकर संकुचित नहीं करना चाहता | उनके बलिदान ने उन्हें जिस सीढ़ी पर खड़ा कर दिया उस सीढ़ी को भाषा के विशेषण छू भी नहीं सकते | अपनें जीवन में तो वे महान थे ही अपनी मृत्यु से उन्होंने महानता को भी एक नये पायदान पर पहुंचा दिया | धन्य है कानपुर नगर की यह धरती जिसे ऐसे महान मानव की कर्मभूमि होनें का सौभाग्य प्राप्त हुआ | आइये हम सब इस अमर शहीद के बौनें संस्करण बननें के लिये प्रभु से प्रार्थना करें |
भारत नें बहुत बड़े -बड़े बलिदान देखें हैं इन बलिदानों ने न जानें कितनें महाकाव्यों को जन्म दिया है पर मेरी समझ में श्रद्धेय गणेंश शंकर विद्यार्थी का बलिदान साम्प्रदायिक है | सौहाद्र के लिये किये गये बलिदान की सबसे प्रेरक और अनूठी मिसाल है | मृत्यु तो एक अमिट सत्य है | पर गणेश शंकर जी नें मृत्यु को वरण करके मृत्यु को पछाड़ दिया | मौत भले ही हर जगह अपनी विजय पताका फहराती हो पर उन्होंने मौत की छाती पर आदर्श की अमरता का विजय स्तम्भ खड़ा कर दिया | उनके जीवन की घटनाओं पर विद्वान वक्ताओं ने अपनीं प्रेरक व्याख्यायें प्रस्तुत की हैं और पत्रकार के रूप में उनकी महानता को वस्तुपरक विश्लेषण के द्वारा प्रस्तुत किया है | मैं श्रद्धेय गणेंश शंकर जी के जीवन की महानता को विशेषणों से घेरकर संकुचित नहीं करना चाहता | उनके बलिदान ने उन्हें जिस सीढ़ी पर खड़ा कर दिया उस सीढ़ी को भाषा के विशेषण छू भी नहीं सकते | अपनें जीवन में तो वे महान थे ही अपनी मृत्यु से उन्होंने महानता को भी एक नये पायदान पर पहुंचा दिया | धन्य है कानपुर नगर की यह धरती जिसे ऐसे महान मानव की कर्मभूमि होनें का सौभाग्य प्राप्त हुआ | आइये हम सब इस अमर शहीद के बौनें संस्करण बननें के लिये प्रभु से प्रार्थना करें |
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