Saturday, 23 April 2016

                                 .........................नवयुवक ने एक चाल सोची । उसने बढ़िया नक्कासी किया हुआ एक जूता तैय्यार करवाया । जूता इस कुशलता के साथ तैयार किया गया था कि उसे दायें या बायें किसी भी पैर में पहन लिया जाये । बिना जूता पहने किसान अपने बैल को झाड़ियों के बीच बने रास्ते  से बाजार की ओर ले जा रहा था । धूर्त परीक्षार्थी ने रास्ते में नक्काशीदार जूता रख दिया  और झाड़ियों में छिप गया । किसान ने पास पहुँच कर जूते को देखा और बहुत खुश हुआ पर अकेले एक जूते को लेकर क्या करता । वह बैल को लेकर आगे चल पड़ा । धूर्त परीक्षार्थी जो झाड़ियों में छिपा था निकल कर बाहर आया जूता उठाया और फिर झाड़ियों में से  झुक कर गुजरता हुआ एक छोटे रास्ते से किसान से आगे उसी रास्ते पर पहुँच गया जिस पर किसान अपने बैल को लिये जा रहा था उसने वह जूता रास्ते पर  रख दिया और छिप कर पास ही झाड़ियों में जा बैठा । किसान वहां पहुँचा उसने जूता देखा और फिर खड़ा होकर सोचने लगा पीछे छूटा हुआ जूता और यह जूता  दोनों का यह जोड़ा कितना अच्छा रहेगा । उसने बैल को एक पेंड की लटकी डाली से बाँध दिया और पीछे पड़े जूते को उठाने के लिये लौट पड़ा । कहना न होगा कि इस बीच धूर्त परीक्षार्थी ने बैल को  खोलकर झाड़ियों  के बीच छिपे रास्ते से निकाल कर धूर्त तिकड़ी के अड्डे पर पहुंचा दिया । पेड़ों लताओं , और झाड़ियों से घिरकर यह अड्डा पास होकर भी सर्वथा सुरक्षित था और यहीं पर उस धूर्त तिकड़ी द्वारा ठगा गया माल -टाल पत्थरों से ढकी भूमिगत गुफा में इकट्ठा किया गया था । धूर्त परीक्षार्थी पहली परीक्षा में पास हो गया ।
                     बेचारा किसान करता क्या न करता कुछ दिन बाद दूसरा बैल लेकर बाजार की ओर चल पड़ा । धूर्तता की यह एक नयी चाल दिखाने का एक मौका आ गया । रास्ते के  एक पेंड की डाल  पर अपने पंजों से डाल को दबाकर धूर्त परीक्षार्थी उल्टा लटक गया । कलाबाज तो वह था ही उसने यह नाटक इसलिये किया कि शायद किसान उसे मुसीबत में फँसा देखकर कुछ मदद देने की सोचे । पर किसान अब होशियार था उसने देखी -अनदेखी कर अपनी राह पकड़ी । धूर्त परीक्षार्थी सीधा होकर सावधानी से कूदकर झाड़ियों के बीच छिपे रास्ते से किसान से आगे निकल आया और फिर उसी मुद्रा में रास्ते के पास के एक डाल में लटक गया । किसान अबकी बार कुछ देर रुका । धूर्त नवयुवक के याचना भरे मुख पर एक निगाह डाली फिर न जाने क्या सोचकर आगे चल पड़ा उसके थोड़ा आगे जाते ही धूर्तता की सरदारी का परीक्षार्थी फिर सीधा होकर सावधानी से नीच कूंदा । झाड़ियों से ढके एक शार्ट कट से तेजी से चलकर किसान से  आगे उसी राह पर आकर रास्ते में खड़े एक पेंड की डाल से उसी मुद्रा में लटक गया । रास्ते में उसने अपने चेहरे पर मिट्टी और पत्तियों को मसल कर एक हरी सलेटी  पर्त चढ़ा ली थी । किसान ने उसे देखा । ताज्जुब में आ गया, उसने सोचा कि यह एक ही आदमी है या कोई अलग -अलग आदमीं हैं । चेहरे को देखने पर उसे कुछ समझ में नहीं आया । उसने सोचा थोड़ा पीछे जाकर वह देख ले कि दूसरा आदमी अभी लटका है या नहीं । सौ -पचास कदम का फासला ही तो है । बैल कहाँ भाग कर जायेगा । बैल को वहीं  छोड़कर वह पीछे लौट पड़ा अब क्या था बिजली की तेजी से बैल की रस्सी धूर्त राज  के हाथ  में आ गयी और दूसरा बैल भी तिकड़ी के अड्डे में पहुँच गया । किसान के पास अब रह ही क्या गया था ? क्या करे, घर में तो बीज भी नहीं थे यह तो अच्छा ही हुआ कि वह लकड़ी के हल से खेत पहले ही जोत चुका था । अब अगर उसमें बीज पड़ जायँ तो उसमें कुछ फसल हो जायेगी । फसल होने पर फिर बैल ले लिया जायेगा अब इस तीसरे बैल को बेचकर बीज का और फसल होने तक कुछ खाने -पीने का इन्तजाम किया जाय । बड़ी सोच विचार के बाद एक दिन किसान अपने तीसरे बैल को लेकर बाजार की ओर चल पड़ा , अन्तिम परीक्षा की घड़ी आ गयी । धूर्तों की तिकड़ी की सरदारी अब पास ही दिखायी पड़ने लगी । पर कौन  सी चाल चली जाय ? धूर्त परीक्षार्थी बुद्धि का तेज तो था ही पशुओं की बोलियां बोलने में भी अपना सानी नहीं रखता था । "माटी " के पाठक शायद यह न जानते हों कि हर गाय -बैल के रम्भाने में एक समानता दिखायी पड़ती है । पर हर   रंभास दूसरे रंभास से कुछ भिन्नता भी रखती है । धूर्त परीक्षार्थी ने किसान के दोनों बैलों की रंभास को अभ्यास करके अपने अपनी आवाज के जादू में बाँध लिया था । अबकी बार उसने किसान को आगे राह पर जाने दिया । वह छिप कर पीछे -पीछे चलता रहा । जब किसान उस जगह से आगे निकल गया जहां से उसका दूसरा बैल ठगा गया था तो धूर्त परीक्षार्थी एक अत्यन्त घनी छैलदार झाडी के भीतर छिपकर बैठ गया । वहां से उसने बैल की आवाज निकाली । किसान को लगा कि उसका बैल जिसे वह विडी कहकर पुकारता था बोल रहा है । उसने कहा विडी- विडी । धूर्त परीक्षार्थी ने दो तीन आवाजें निकाल कर किसान की पुकार का उत्तर दिया और फिर उसने एक दूसरे प्रकार की रंभास निकाली । किसान को लगा कि उसका पहला बैल किडी भी दूसरे बैल विडी के साथ है । उसने सोचा कि दोनों बैल कहीं  जंगल में भटक गये होंगें । और अब कहीं शायद इसकी झोपड़ी की तलाश में झाड़ियों के बीच भूले -भटके हैं । उसका मन प्रसन्नता से भर गया । तीसरे बैल की रस्सी एक डाल से लटकाकर वह पीछे लौटकर उसी झाड़ियों के बीच भटक रहे दोनों बैलों को लेने के लिये मुड़ा । अब क्या था आनन -फानन तीसरा बैल भी झाड़ियों की खर -खर के बीच न जाने कहाँ से तिकड़ी के अड्डे पर पहुँच गया । धूर्त परीक्षार्थी शत -प्रतिशत अंक लेकर उत्तीर्ण हो चुका था ।
(क्रमशः )

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