Tuesday, 14 July 2015

प्रश्न उत्तर माँगते हैं

हजारों साल से फसलें उगाता जा रहा हूँ
 भूख की डाईन निरन्तर बलि अभी तक पा रही है ।
 काहिरा से सोन तट सब भर दिये वस्त्रा भरण से
श्रम रता धनिया चिता पर अर्ध नग्ना जा रही है ।
प्रश्न उत्तर मांगते हैं ।
जूझते अंगार प्रश्नों से रहे    हैं ऋषि मनीषी
एक उत्तर था 'प्रवाहण ' नें सुझाया ।
एक उत्तर बुद्ध की वाणी बना था
एक उत्तर अरब से उठकर हमारे द्वार आया ।
 किन्तु सब उत्तर निरुत्तर बन खड़े हैं
गली खेतों में पडी लाशें उन्हें ललकारती हैं ।
ईशु ,प्रभु ,गांधी ,गुरूनानक सभी की स्वर लहरियाँ
गोलियों से बिंध तड़प इतिहास पर सिर मारती हैं ।
 प्रश्न उत्तर मांगते हैं ।
गगन गंगा द्वार जय- रथ मनुज का आकर खड़ा है
ज्योति वस्त्रों से सजे नभ के पड़ोसी जुड़ रहे हैं ।
सौर मंडल पार धरती से नियन्त्रित मनुज यन्त्रित
इंद्रधनुषी केतु ऊर्जा सेतु से नित उड़ रहे हैं ।
एक बाली से सहस्त्रों बालियाँ हैं फूट निकली
रेत के उर से निकल लहरा रही पाताल धारा ।
 तरल सोने से भरा है वक्ष माँ का धन्य पावन
अब हमारे हाथ जल थल ही नहीं आकाश सारा ।
भोज से फेके गये पत्तल उठा कर चाटने
मनु -पुत्र भी क्यों आज भी टकरा रहे हैं ।
पूज्य मानव -देह की ऐसी उपेक्षा ,आह बापू !
सद्य -जाता शिशु पड़ा है गिद्ध, कौवे खा रहे हैं ।
प्रश्न उत्तर मांगते हैं ।
आज संभव है धरा का हर मनुज
पा सके घर ,वस्त्र ,वाहन ,स्वास्थ्य, सुख
आज  संभव है गरीबी, भुखमरी
व्यर्थता ,वेरोजगारी को दबा दे मृत्यु- मुख
किन्तु यह संभावना कविता बनी क्यों जी रही है ।
अन्तरिक्षी आणविक विस्फोट का विष पी रही है ।
प्रश्न उत्तर मांगते हैं ।
परत पर परतें चढ़ी हैं यह मुखौटों का छलावा
है हमी में खोट हम  दो -जीभ बनकर जी रहे हैं
सत्य कुछ है ,कथ्य कुछ है फिर कबीरा रो रहा है ।
जान कर भी जान डर से होठ अपने सी रहे हैं ।
वर्ष में छह बार केंचुल छोड़ता फणिधर कटीला
हर दिवस चोला बदलने की लगी है होड़ नर में
ज्योति -सीढ़ी   अनुछुई  अब तक उपेक्षित ही खड़ी है
समझ कर थाती सहेजे है मनुज कंकाल कर में ।
 तोड़ दो वे मौन जो दीवार बन कर आ खड़े हैं
तोड़ दो हर घेर जो इन्सानियत को बांधता है
सींच दो अँकुर मरुस्थल चीर कर जो उग रहे हैं
 नाच कर तलवार पर साधक कला को साधता है ।
प्रश्न छाती खोल कर सम्मुख खड़े हैं
हो अगर सामर्थ्य उनका भार झेलो ।
देह माटी की न जोड़ो मोह उससे
गांधी का ,बुद्ध का कुछ प्यार ले लो ।
 सो चुके लम्बी अवधि तक
अब तनिक फिर जागते हैं ।
 प्रश्न उत्तर मांगते हैं ॥









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