जनकथाओं का नीतिशास्त्र (गतांक से आगे )
धूर्त परीक्षार्थी नें दो तीन आवाजें निकाल कर किसान की पुकार का उत्तर दिया और फिर उसने एक दूसरे प्रकार की रभ्भास निकाली। किसान को लगा कि उसका बैल किडी भी दूसरे बैल विडी के साथ है। उसने सोचा कि दोनों बैल कहीं जंगल में भटक गये होंगें और अब कहीं शायद इसकी झोपड़ी की तलाश में झाड़ियों के बीच भूले -भटके हैं। उसका मन प्रसन्नता से भर गया तीसरे बैल की रस्सी एक डाल से लटकाकर वह पीछे लौटकर उसी झाड़ियों के बीच भटक रहे दोनों बैलों को लेने के लिये मुड़ा। अब क्या था आनन-फानन तीसरा बैल भी झाड़ियों की खर -खर के बीच न जाने कहाँ से तिकड़ी के अड्डे पर पहुच गया। धूर्त परीक्षार्थी शत -प्रतिशत अंक लेकर उतीर्ण हो चुका था।
तीनो धूर्त शर्त के मुताबिक़ उसे अपना सरदार मानने पर मजबूर थे। सरदार होने का मतलब था कि उसे वह सब माल -टाल दिखाना होगा जो उन तीनो नें बहुत लम्बे समय से अपनी धूर्तता के बल पर ठग -लूट कर इकट्ठा किया था। धूर्त परीक्षार्थी केवल तीन बैल लाकर ही सोना -चांदी और रत्नों के भण्डार का मालिक होने जा रहा था। कैसे बर्दाश्त किया जाय उन तीनों ने मिलकर एक सांठ -गाँठ की सरदारी परीक्षा पास धूर्त नवयुवक को चतुरायी पूर्वक रास्ते से हटा दिया जाय। जर्मन कहानी का यह बदला हुआ स्वरूप सोमदेव भट्ट की हितोपदेश वाली भोलेराम ब्राम्हण की कहानी से काफी कुछ भिन्न है पर तीन की संख्या पर अत्यधिक बल होने के कारण ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं इन दोनों कहानियों का मूल स्रोत एक ही रहा होगा । इसी प्रकार की एक कहानी नार्वे में भी प्रचलित है जिसे Shifty Sandy के नाम से जाना जाता है। योरोप के कई अन्य देशों में भी इसी प्रकार की मिलती जुलती कहानियां सामान्य घरों के बीच सुनी -सुनायी जाती हैं। ऐसा लगता है कि अलग -अलग दिशाओं में आर्यों के भिन्न -भिन्न कबीले हजारों वर्ष पहले जब नये -नये भू भागों की तलाश में चल निकले तो उन सबके पास कथाओं की एक सम्मिलित पूँजी थी जो बाद में बढ़ -फैलकर भिन्न रूपों और भिन्न भौगोलिक परिस्थतियों में विस्तार की अतिशयता पा गयीं। कथाओं के इस तुलनात्मक अध्ययन पर हम फिर कभी प्रकाश डालना चाहेंगे। इस सन्धर्भ में यूनान ,मिस्र ,परशिया और बेवीलोन की कथाओं को भी समावेशित किया जायेगा। पर अभी तो आप सब यह जानना चाहेंगे कि तिकड़ी की सरदारी का इम्तिहान पास करने वाला धूर्तराज नवयुवक तिकड़ी के रास्ते से हटा या नहीं हटा और जर्मन कहानी का जन कथात्मक पटाक्षेप किस भांति अभिनीत हुआ। तो आइये संक्षेप में पटाक्षेप की ओर बढ़ें।
कौआ तिकड़ी नें सोचा कि सबसे पहले उन्हें अपने छिपे खजाने को इस स्थल से उठाकर कहीं और छिपाना होगा। अभी तक उनके सरदार होने वाले धूर्तराज का खिताब जीतने वाले नवयुवक को उनके खजाने का पता नहीं था पर जब वह शैतान के चित्र को सामने रखकर नवयुवक को सरदार बनाकर अपनी शपथ ले लेंगे तो उन्हें भूतल के गर्भ में छिपे अपने खजाने का पता उसे बताना ही होगा । पर खजाने को ले जाने के लिये उन्हें एक गाड़ी चाहिये बैल तो उनके पास हैं हीं उन्हें कहीं से ठगकर गाड़ी लानी होगी । उन्होंने उस नवुवक से कहा कि वे कुछ दिनों के लिये किसी ऐसे काम पर जा रहें हैं जो यह साबित कर दे कि वे नवयुवक सरदार के साक्षी होने योग्य हैं। नवयुवक सरदार को उन्होंने वहीं रूककर स्थान और बैलों की देखभाल करने को कहा। बुद्धिमत्ता की नाप तौल में पशुओं के संसार में कुत्ते और घोड़े बैलों से और अन्य पशुओं से बाजी मार गये हैं। पर बैल भी है जो अपने मालिक की वफादारी पूरी तरह निभाते हैं ,उसकी आवाज को पहचानते हैं और उसके सुख -दुःख में शरीक होते हैं। तीनो बैल तिकड़ी के उस अड्डे में बंधे रहकर बहुत बेचैन महसूस करते थे। मोटी रस्सी तुडाकर भागांन मुमकिन न था पर उनकी पशु खोपड़ियां किसी मौके का इन्तजार कर रहीं थीं। धूर्त राज नवयुवक जिसने अपनी चालों से सरदार का पद जीत लिया था अब अकेले में पड़ा -पड़ा कुछ सोचा करता था। वह भीतर ही भीतर जान गया था कि तिकड़ी उसे रास्ते से हटा देने की तरकीब खोज रही है पर जर्मनी के उस शिफील्ड नामक वन्य इलाके के शेरिफ माइकेल हेनरिच कुछ और ही प्लान बना रहे थे। (आगे अगले अंक में )
धूर्त परीक्षार्थी नें दो तीन आवाजें निकाल कर किसान की पुकार का उत्तर दिया और फिर उसने एक दूसरे प्रकार की रभ्भास निकाली। किसान को लगा कि उसका बैल किडी भी दूसरे बैल विडी के साथ है। उसने सोचा कि दोनों बैल कहीं जंगल में भटक गये होंगें और अब कहीं शायद इसकी झोपड़ी की तलाश में झाड़ियों के बीच भूले -भटके हैं। उसका मन प्रसन्नता से भर गया तीसरे बैल की रस्सी एक डाल से लटकाकर वह पीछे लौटकर उसी झाड़ियों के बीच भटक रहे दोनों बैलों को लेने के लिये मुड़ा। अब क्या था आनन-फानन तीसरा बैल भी झाड़ियों की खर -खर के बीच न जाने कहाँ से तिकड़ी के अड्डे पर पहुच गया। धूर्त परीक्षार्थी शत -प्रतिशत अंक लेकर उतीर्ण हो चुका था।
तीनो धूर्त शर्त के मुताबिक़ उसे अपना सरदार मानने पर मजबूर थे। सरदार होने का मतलब था कि उसे वह सब माल -टाल दिखाना होगा जो उन तीनो नें बहुत लम्बे समय से अपनी धूर्तता के बल पर ठग -लूट कर इकट्ठा किया था। धूर्त परीक्षार्थी केवल तीन बैल लाकर ही सोना -चांदी और रत्नों के भण्डार का मालिक होने जा रहा था। कैसे बर्दाश्त किया जाय उन तीनों ने मिलकर एक सांठ -गाँठ की सरदारी परीक्षा पास धूर्त नवयुवक को चतुरायी पूर्वक रास्ते से हटा दिया जाय। जर्मन कहानी का यह बदला हुआ स्वरूप सोमदेव भट्ट की हितोपदेश वाली भोलेराम ब्राम्हण की कहानी से काफी कुछ भिन्न है पर तीन की संख्या पर अत्यधिक बल होने के कारण ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं इन दोनों कहानियों का मूल स्रोत एक ही रहा होगा । इसी प्रकार की एक कहानी नार्वे में भी प्रचलित है जिसे Shifty Sandy के नाम से जाना जाता है। योरोप के कई अन्य देशों में भी इसी प्रकार की मिलती जुलती कहानियां सामान्य घरों के बीच सुनी -सुनायी जाती हैं। ऐसा लगता है कि अलग -अलग दिशाओं में आर्यों के भिन्न -भिन्न कबीले हजारों वर्ष पहले जब नये -नये भू भागों की तलाश में चल निकले तो उन सबके पास कथाओं की एक सम्मिलित पूँजी थी जो बाद में बढ़ -फैलकर भिन्न रूपों और भिन्न भौगोलिक परिस्थतियों में विस्तार की अतिशयता पा गयीं। कथाओं के इस तुलनात्मक अध्ययन पर हम फिर कभी प्रकाश डालना चाहेंगे। इस सन्धर्भ में यूनान ,मिस्र ,परशिया और बेवीलोन की कथाओं को भी समावेशित किया जायेगा। पर अभी तो आप सब यह जानना चाहेंगे कि तिकड़ी की सरदारी का इम्तिहान पास करने वाला धूर्तराज नवयुवक तिकड़ी के रास्ते से हटा या नहीं हटा और जर्मन कहानी का जन कथात्मक पटाक्षेप किस भांति अभिनीत हुआ। तो आइये संक्षेप में पटाक्षेप की ओर बढ़ें।
कौआ तिकड़ी नें सोचा कि सबसे पहले उन्हें अपने छिपे खजाने को इस स्थल से उठाकर कहीं और छिपाना होगा। अभी तक उनके सरदार होने वाले धूर्तराज का खिताब जीतने वाले नवयुवक को उनके खजाने का पता नहीं था पर जब वह शैतान के चित्र को सामने रखकर नवयुवक को सरदार बनाकर अपनी शपथ ले लेंगे तो उन्हें भूतल के गर्भ में छिपे अपने खजाने का पता उसे बताना ही होगा । पर खजाने को ले जाने के लिये उन्हें एक गाड़ी चाहिये बैल तो उनके पास हैं हीं उन्हें कहीं से ठगकर गाड़ी लानी होगी । उन्होंने उस नवुवक से कहा कि वे कुछ दिनों के लिये किसी ऐसे काम पर जा रहें हैं जो यह साबित कर दे कि वे नवयुवक सरदार के साक्षी होने योग्य हैं। नवयुवक सरदार को उन्होंने वहीं रूककर स्थान और बैलों की देखभाल करने को कहा। बुद्धिमत्ता की नाप तौल में पशुओं के संसार में कुत्ते और घोड़े बैलों से और अन्य पशुओं से बाजी मार गये हैं। पर बैल भी है जो अपने मालिक की वफादारी पूरी तरह निभाते हैं ,उसकी आवाज को पहचानते हैं और उसके सुख -दुःख में शरीक होते हैं। तीनो बैल तिकड़ी के उस अड्डे में बंधे रहकर बहुत बेचैन महसूस करते थे। मोटी रस्सी तुडाकर भागांन मुमकिन न था पर उनकी पशु खोपड़ियां किसी मौके का इन्तजार कर रहीं थीं। धूर्त राज नवयुवक जिसने अपनी चालों से सरदार का पद जीत लिया था अब अकेले में पड़ा -पड़ा कुछ सोचा करता था। वह भीतर ही भीतर जान गया था कि तिकड़ी उसे रास्ते से हटा देने की तरकीब खोज रही है पर जर्मनी के उस शिफील्ड नामक वन्य इलाके के शेरिफ माइकेल हेनरिच कुछ और ही प्लान बना रहे थे। (आगे अगले अंक में )
No comments:
Post a Comment